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‘अगर घर में होते तो हम सब मर जाते’

इमरान क़ुरैशी बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए केरल के कोल्लम में पुत्तिंगल मंदिर हादसे में न सिर्फ़ श्रद्धालु प्रभावित हुए बल्कि मंदिर के आसपास के लोगों को भी काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा है. हादसे से प्रभावित अनिता प्रकाश ने कहा, ”यहां तो जंग का मैदान जैसा हो गया है. आख़िरी धमाका तो ऐसा था […]

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केरल के कोल्लम में पुत्तिंगल मंदिर हादसे में न सिर्फ़ श्रद्धालु प्रभावित हुए बल्कि मंदिर के आसपास के लोगों को भी काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा है.

हादसे से प्रभावित अनिता प्रकाश ने कहा, ”यहां तो जंग का मैदान जैसा हो गया है. आख़िरी धमाका तो ऐसा था जैसे कोई बम गिराया गया हो.”

अनिता प्रकाश के मुताबिक़ इस धमाके से आसपास के क़रीब 35-40 घरों को नुक़सान हुआ है.

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उन्होंने कहा, "क़रीब छह बजे सुबह जब हम लौटे, तो घर में सब टूट-फूट गया था. घर के आसपास हाथ-पैर बिखरे पड़े थे. घर के पीछे एक फटा हुआ सिर पड़ा था. ये सब इतना दुखद था. उन्हें यह नहीं करना चाहिए था. इसे रोका जा सकता था."

केरल में पुत्तिंगल देवी मंदिर में आग लगने से अनिता के घर को बुरी तरह नुक़सान पहुँचा है.

अनिता प्रकाश उन्हीं पंजक्षम्मा की बेटी हैं जिन्होंने पुत्तिंगल देवी मंदिर में हर साल होने वाली आतिशबाज़ी की शिकायत ज़िला प्रशासन से कई बार की थी.

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अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि इस आतिशबाज़ी से उनके घर को काफ़ी नुक़सान होता है.

कोल्लम में 108 लोगों की मौत हो गई है, और कई लोग घायल हुए हैं. घायलों में कई लोगों की हालत काफ़ी गंभीर बताई जा रही है.

भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के हेलिकप्टरों से मरीज़ों को ले जाने की व्यवस्था की जा रही है.

अनिता प्रकाश ने कहा, ”धमाके के बाद हमारा घर रहने लायक नहीं रह गया. सब कुछ टूट-फूट गया. किस्मत अच्छी थी कि हम शनिवार रात यहां से दो सौ मीटर दूर एक मित्र के घर चले गए थे.”

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उन्होंने कहा, "अगर घर में होते तो हम सब मर जाते."

अनिता ने बताया कि मंदिर में घोषणा की गई थी कि आतिशबाज़ी का छोटा कार्यक्रम होगा पर टीवी चैनलों पर एक प्रतियोगिता की बात कही जा रही थी.

एक घंटे के बाद सुबह करीब 3.30 बजे एक ज़बर्दस्त धमाका हुआ.

अनिता के मुताबिक़ एक पटाखा ठीक से नहीं खुला और उसका एक हिस्सा उस घर पर गिरा, जिसमें डायनामाइट या उस जैसी कोई चीज़ रखी थी.

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इसी गांव के सत्यन ने बीबीसी को बताया, ”जब धमाका हुआ तो हम सब मदद के लिए भागे. सब जगह इंसानों का मांस बिखरा था. मेरा पैर किसी के सीने पर पड़ा तो देखा उसके शरीर का नीचे का हिस्सा ग़ायब था.”

आतिशबाज़ी से चिंतित अनिता प्रकाश और उनके पति ब्रिटेन से 80 वर्षीय पंजक्षम्मा के साथ रहने के लिए आए थे.

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पंजक्षम्मा की कई साल तक चली शिकायतों के कारण कलेक्ट्रेट से एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां का दौरा भी किया था.

ब्रिटेन में सोशल सर्विस विभाग में काम करने वाली अनिता ने बताया कि उनकी मां ने इस अधिकारी को मंदिर में पिछले दो बार हुई आतिशबाज़ी से घर को हुए नुक़सान के बारे में बताया था.

ज़िला प्रशासन ने शिकायत का कोई जवाब नहीं दिया पर शनिवार तीन बजे कुछ लोगों ने उनसे शिकायत वापस लेने की अपील की.

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अनिता के मुताबिक़ उन्होंने शिकायत लेने से मना कर दिया तो उन्हें धमकियां दी गईं. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से भी की.

अनिता का कहना है ये हादसा मंदिर प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है.

अनिता ने कहा मंदिर कमेटी ने न सिर्फ़ आदेश की अनदेखी की बल्कि आसपास के लोगों की भी अनदेखी की और इतने सारे लोगों की मौत हो गई.

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