श्रीनगर स्थित नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में कश्मीरी और ग़ैर-कश्मीरी छात्रों के बीच तनाव के बाद बुधवार को केंद्रीय मानवसंसाधन मंत्रालय की दो सदस्यीय टीम ने अधिकारियों और छात्रों से मुलाक़ात की है.
टी-20 वर्ल्ड कप में भारत-वेस्ट इंडीज़ के मैच के बाद एनआईटी में पढ़ रहे छात्रों के दो गुटों के बीच झड़पें हुईं थीं जिसके बाद कैम्पस को बंद कर दिया गया था.
कैम्पस को मंगलवार को जब दोबारा खोला गया तो एक बार फिर झड़पें हुईं. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं. एनआईटी में लगभग 70 फ़ीसदी छात्र दूसरे राज्यों के होते हैं.
ग़ैर-कश्मीरी छात्रों का आरोप है कि उनकी जान को ख़तरा है और वो कैम्पस छोड़कर जाना चाहते हैं.
बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती से इस बारे में बात की है जिन्होंनें उन्हें यक़ीन दिलाया है कि सभी छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा.
राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने ख़ुद भी महबूबा मुफ़्ती से बात की है. मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि राज्य सरकार ने डिवीज़न स्तर के एक अधिकारी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
कैम्पस में हालात का जायज़ा लेने के लिए मंत्रालय के टेक्निकल शिक्षा के निदेशक संजीव शर्मा और उपनिदेशक (वित्त) फ़ज़ल महमूद बुधवार को श्रीनगर पहुंचे.
एनआईटी के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इस टीम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सुरक्षा का विश्वास दिलाना है.
छात्रों ने कुल पांच मांगे रखी हैं जिनमें कैम्पस में मंदिर का निर्माण, तिरंगा फहराना, एनआईटी के कुछ स्थानीय फ़ैकल्टी के ख़िलाफ़ कार्रवाई शामिल हैं.
उधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि इस मामले को बहुत ही सावधानी से निपटने की ज़रुरत है.
उन्होंने कहा कि मानवसंसाधन मंत्रालय से एक टीम का आना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की जगह सीआरपीएफ़ की तैनाती बताती है कि केंद्र सरकार को महबूबा मुफ़्ती में विश्वास नहीं है.
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