पाकिस्तान ने जिस कथित भारतीय जासूस का वीडियो दिखाया है, वो वीडियों तो सही है लेकिन कहानी मनगढ़ंत लगती है.
पाकिस्तान में हुई एक प्रेस कांफ्रेस में कुलभूषण यादव नाम के एक व्यक्ति का वीडियो दिखाया गया जिसमें वो ख़ुद को भारतीय नौसेना का मौजूदा अधिकारी और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का सदस्य बता रहा है. भारत ने इसका खंडन किया है और कहा है कि हो सकता है कि अफ़सर का अपहरण हुआ हो.
पाकिस्तान की ओर से जो कहानी गढ़ी गई है उसमें कई खामियां हैं.
पहली बात, पकड़ा गया शख्स कहता है कि वो नौसेना अधिकारी है जिसका कार्यकाल 2022 तक है.
नौसेना अपने अधिकारी को कैसे किसी और संस्थान को दे सकती है, वो भी खुफिया काम करने के लिए?
अगर इस तरह का काम कराना हो तो रिटायर्ड व्यक्ति से काम कराया जाता क्योंकि मौजूद अफ़सर से ऐसा काम कराने में बड़ा ख़तरा है.
ऐसे ऑपरेशन में, सिरे से पूरे ऑपरेशन को नकार देने की गुंजाइश रखी जाती है. लेकिन यदि सर्विंग अफ़सर पकड़ा जाए तो इनकार की गुंजाइश बिल्कुल ख़त्म हो जाती है और देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है.
इसीलिए सर्विंग अफ़सर को कभी ऐसे काम पर नहीं लगाया जाता है.
दूसरी बात, वो कहता है चाबहार में वो व्यापार करता है. ये ईरान में है जहां विदेशियों को इस तरह का व्यापार करने की इजाज़त नहीं होती.
व्यापार चलाने के लिए फ़ारसी भाषा आनी चाहिए. लेकिन कोई सबूत नहीं मिला है कि इस आदमी को फ़ारसी भाषा की जानकारी है.
तो फिर ये चाबहार में काम कैसे कर सकता है?
तीसरी बात, चाबहार में रहकर वो किस तरह बलूचिस्तान में जानकारियां जुटाएगा, इस पर विस्तार से कुछ नहीं बताया गया, सिर्फ़ उसी का बयान है.
कोई कच्ची गोली खेलने वाले लोग ही इस तरह की स्टोरी बना सकते हैं.
अगर सर्विंग अधिकारी को ऐसे काम के लिए भेजा जाता है तो उनको कोई ना कोई राजनयिक कवर या इस तरह का कोई सरकारी कवर देकर भेजा जाता है.
ये तो पाकिस्तान की जनता के लिए एक काउंटर-स्टोरी बनाने का मौका पैदा किया गया है.
पठानकोट आई पाकिस्तानी टीम के सामने जो ठोस साक्ष्य लाए जा रहे हैं उसे पाकिस्तान नकार नहीं सकता है.
पाकिस्तान की जनता जानना चाहती है कि पठानकोट में उनकी टीम क्या कर रही है, वापस आकर क्या स्टोरी देती है.
लेकिन जनता को भ्रम में डालने के लिए काउंटर-स्टोरी ये है कि ‘हमने भी ऐसा आदमी पकड़ा है जो भारत की खुफिया एजेंसी का सदस्य है.
(बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से बातचीत पर आधारित)
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