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गांव से निकलेगा विकास का हाइवे

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश की है. यह कोशिश सोमवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2016-17 के बजट में दिखती भी है. किसानों से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी झोली खोल दी है. किसानों का ऋण कम करने के लिए 15 हजार करोड़ […]

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश की है. यह कोशिश सोमवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2016-17 के बजट में दिखती भी है. किसानों से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी झोली खोल दी है. किसानों का ऋण कम करने के लिए 15 हजार करोड़ का एक कोष बनाने की घोषण एक अच्छी पहल है. पिछले दो-तीन साल से कम वर्षा की मार सबसे अधिक ग्रामीण मजदूरों पर पड़ी है. यही वजह है कि सरकार ने बजट में मनरेगा का आवंटन बढ़ा दिया है. यह मनरेगा में अब तक का सबसे बड़ा आवंटन है. ऐसा लगता है कि बजट का फोकस गांव-गंवई को किया गया है.
नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ सोमवार को वर्ष 2016-17 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए करीब 35984 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया. वित्त मंत्री ने कृषि ऋण पर ब्याज छूट के लिए 15000 करोड़ रुपये का आवंटन किया जबकि नयी फसल बीमा योजना के लिए 5500 करोड़ रुपये आवंटित िकये.सरकार ने दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया.
वित्त मंत्री ने अरुण जेटली ने यह भी कहा कि एकीकृत कृषि बाजार 14 अप्रैल को पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा िक मार्च 2017 तक सभी 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने लोकसभा में 2016-17 का बजट पेश करते हुए कहा – हमें अपने किसानों का आभारी होना चाहिए जो देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं. हमेंखाद्य सुरक्षा से परे सोचने और किसानों को आय सुरक्षा के लिहाज से वापस करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि सरकार कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में अपने हस्तक्षेप पर नए सिरे से ध्यान दिया देगी ताकि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके. जेटली ने कहा कि कृषि और किसानों के कल्याण के लिए हमारा कुल आवंटन 35984 करोड़ रपए है.
वित्त मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है कि किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण मिले. उन्होंने कहा – वित्त वर्ष 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 2016-17 में कृषि ऋण का लक्ष्य नौ लाख करोड़ रुपये होगा जो आज तक का उच्चतम स्तर है. किसानों के ऋण भुगतान का बोझ कम करने के लिए उन्होंने कहा कि ब्याज छूट के लिए 2016-17 बजट में 15000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
फसल बीमा के लिए 5500 करोड़
जेटली ने कहा कि सरकार ने एक उल्लेखनीय फसल बीमा योजना – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- पेश की है. इसके लिए बजट में 5500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है ताकि 2016-17 में प्रभावी कार्यान्वयन हो सके. उन्होंने कहा कि यह सिंचाई, कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. जेटली ने कहा- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मिशन के तौर पर कार्यान्वित और किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि को इस योजना के तहत सिंचाई के दायरे में लाया जाएगा. जेटली ने कहा कि नाबार्ड में 20000 करोड़ रुपये के आरंभिक कोष के साथ एक प्रतिबद्ध दीर्घकालिक सिंचाई कोष बनाया जाएगा. उन्होंने कहा – त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 89 सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाएगी जो काफी समय से लंबित है. इससे 80.6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में मदद मिलेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि अगले साल 89 परियोजनाओं के लिए 17000 करोड़ रुपये और अगले पांच साल में 86500 करोड़ रुपये की जरुरत होगी. सरकार 31 मार्च, 2017 से पहले इनमें से कम से कम 23 परियोजनाएं पूरी करेगी.
डेरी के लिए चार योजनाएं
वित्त मंत्री ने दुग्ध उत्पादन को लाभकारी बनाने के लिए पशुधन संजीवनी, नकुल स्वास्थ्य पत्र, उन्नत प्रजनन प्रौद्योगिकी, ई-पशुधन हाट और देसी नस्लों के लिए राष्ट्रीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना करने की भी घोषणा की है. इन परियोजनाओं में अगले कुछ वर्षों के दौरान 850 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
पहल: किसानों के खातों में जायेगी उर्वरक सब्सिडी
सरकार ने उर्वरक सब्सिडी भी अब सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने की पहल की घोषणा की है. पायलट आधार पर देश के कुछ जिलों में इसकी शुरुआत की जायेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए यह घोषणा की. सालाना उर्वरक सब्सिडी बिल लगभग 73000 करोड़ रुपये है. इस सब्सिडी का बाड़ हिस्सा सीधे मूल्य नियंत्रण वाले उर्वरकों के उत्पादकों को जाता है. जेटली ने कहा – हम रसोई गैस सब्सिडी को सीधे
लाभार्थी के बैंक खाते में डालने की योजना की शुरआत पहले ही कर चुके हैं. इस सफल अनुभव के आधार पर हम देश के कुछ जिलों में प्रायोगिक आधार पर उर्वरक के लिए भी डीबीटी शुरू करने का प्रस्ताव करते हैं ताकि किसानों को इसके तहत गुणवत्तापरक सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें.
उल्लेखनीय है कि आर्थिक समीक्षा में भी उर्वरक क्षेत्र में आमूल चूल सुधारों का आह्वान करते हुए किसानों को उर्वरक सब्सिडी में डीबीटी का समर्थन किया गया था. संसदीय समिति की एक िरपोर्ट के अनुसार उर्वरक विभाग किसानों का ब्योरा हासिल करने के लिए एक खाके पर काम कर रहा है.
फूड प्रोडक्ट्स में 100 प्रतिशत एफडीआइ
वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट भाषण में भारत में बनाए और बेचे जाने वाले फूड प्रॉडक्ट्स में एफआईपीबी के जरिये 100 फीसदी विदेशी निवेश (एफडीआई) की घोषणा की है. जेटली ने कहा कि मौजूदा खराब वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी एक गंभीर समस्या है और इससे वित्तीय बाजार की हालत खराब हुई है. हालांकि विपरीत चुनौतियोंके बी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.
ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा
ऑर्गेनके खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग को देखकर सरकार ने ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसके लिए सरकार ने अगले तीन वर्ष में पांच लाख एकड़ भूमि ऑर्गेनिक खेती के अंतर्गत शामिल करने का लक्ष्य रखा है.
मनरेगा के लिए अब तक का सबसे बड़ा आवंटन
कभी मनरेगा के प्रभाव पर सवाल उठाने वाली राजग सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 मंंे इस योजना के लिए आवंटन 3800 करोड़ रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संसद मंे पेश केंद्रीय बजट मंे ग्रामीण विकास की रूपरेखा पेश की.
जेटली ने लोकसभा मंे अपने बजट भाषण मंे कहा – 2016-17 मंे मनरेगा के लिए 38500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यदि पूरी राशि खर्च हो जाती है, तो यह मनरेगा मंे अब तक सबसे बड़ा बजट खर्च होगा. सरकार ने इससे पिछले वित्त वर्ष के बजट मंे मनरेगा के लिए 34699 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इसके अलावा सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशांे द्वारा इस कोष के वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर 5000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने का वादा किया था. सरकार को अपने वादे की याद दिलाते हुए ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने जेटली को पिछले साल 30 दिसंबर को पत्र लिखा लिखा था.
मनरेगा के लिए 2014-15 मंे आरंभिक बजटीय आवंटन 34000 करोड़ रुपये था. संशोधित बजट मंे इसे घटाकर 31000 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस साल दो फरवरी को मनरेगा कार्यक्रम के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राजग सरकार ने कहा था कि उसने संप्रग की इस योजना को रिकार्ड धन उपलब्ध करा कर इसको नया रूप दिया है. उस समय राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य किया था कि अब उनकी सरकार की ओर से मनरेगा की तारीफ करना उसकी राजनीतिक समझ का एक उदाहरण है.
भाषण में किसान वृद्धि व निवेश शब्द पर जोर
नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट भाषण की भाषा पर गौर किया जाए तो इस बार उनका जोर किसानों, कृषि, वृद्धि निवेश व बुनियादी ढांचे पर रहा. यानी उनके बजट भाषण में इन शब्दों को कई बार बोला गया. जेटली ने बजट भाषण 2016-17 में सबसे अधिक जिस शब्द का इस्तेमाल किया वह है ‘निवेश‘. उन्होंने अपने भाषण में 37 जगह ‘निवेश’ का जिक्र किया. हालांकि पिछले बजट भाषण में यह संख्या 60 थी. इसी तरह बजट भाषण में वृद्धि शब्द 20 बार, किसान शब्द 32 बार व कृषि शब्द 24 बार आया. जेटली के पूर्ववर्ती पी चिदंबरम ने फरवरी 2014 में अपने अंतरिम बजट में ‘वृद्धि’ शब्द का इस्तेमाल 32 बार किया लेकिन उन्होंने ‘निवेश’ केवल 11 बार बोला. जेटली ने ग्रामीण इलाकों या अर्थव्यवस्था के बारे में कम से 25 बार बोला.
जेटली ने इस बार बजट भाषण में ‘व्यापार सुगमता’ को छह बार बोला. जेटली ने इस भाषण में वैश्विक संकट को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अवसर में बदलने की प्रतिबद्धता जताते हुए ‘संकट’ शब्द का केवल एक बार जबकि ‘अवसर’ शब्द का 12 बार इस्तेमाल किया. जेटली ने ‘आम आदमी’ का एक बार जबकि ‘काले धन’ का दो बार जिक्र किया. जेटली के बजट भाषण में इस्तेमाल किए गए अन्य प्रमुख शब्दों में रोजगार, कौशल, युवा, निगमित व गरीब हैं.
संचार से राजस्व 98995 करोड़ रहने का अनुमान
नई दिल्ली. सरकार को वित्त वर्ष 2016-17 मंे संचार सेवाआंे से 98,994.93 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान है. इसमंे स्पेक्ट्रम नीलामी से प्राप्त राशि और दूरसंचार विभाग द्वारा लगाए गए अन्य शुल्कांे से प्राप्त राशि शामिल है. अगले साल के लिए संचार सेवाआंे से अनुमानित प्राप्तियां चालू वित्त वर्ष के 56034.35 करोड़ रुपपे के संशोधित अनुमान से लगभग दोगुना हैं.
सरकार ने पहले 2015-16 मंे संचार सेवाआंे से राजस्व 42,865.62 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था़ वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट प्रस्तावांे के अनुसार संचार सेवाआंे से 2016-17 मंे प्राप्तियां 98994.93 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. बजट दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘पिछले साल के बकाये और नई नीलामी से प्राप्तियांे को भी बजट अनुमान 2016-17 मंे शामिल किया गया है.’ दूरसंचार विभाग की योजना जून-जुलाई तक स्पेक्ट्रम नीलामी शुरु करने की है.
जेटली ने आम बजट की प्रति रखी राज्यसभा में
नयी दिल्ली : राज्यसभा में सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट की प्रति सदन के पटल पर रखी. जेटली ने उच्च सदन में आम बजट और इसे संबंधित दस्तावेजों की प्रतियां सदन के पटल पर रखी. उन्होंने आम बजट के साथ साथ वृहद् आर्थिक रुपरेखा विवरण, को सदन के पटल पर रखा. सभापति हामिद अंसारी ने इसके बाद बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया.
सदन की बैठक शुरू होने से पहले जेटली पूर्व प्रधानमंत्री एवं विख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह की सीट की तरफ बढ़े. उन्हें आते देख सिंह भी आगे आ गये और दोनों के बीच कुछ मिनट तक बातचीत हुई. कांगे्रस के उप नेता आनंद शर्मा और जेटली के बीच भी परस्पर अभिवादन हुआ. ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह भी पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के पास गये और उनसे कुछ देर बातचीत की. इसके बाद वह विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से भी कुछ देर बातचीत करते हुए देखे गये. भाजपा सदस्यों ने जेटली को बधाई दी.
कर के मोर्चे पर और अधिक किया जा सकता था
मुंबई : विशेषज्ञांे ने बजट में कर प्रस्तावांे को मिलाजुला बताते हुए कहा है कि इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है और ज्यादातर उपायों की उम्मीद पहले से की जा रही थी. हालांकि, विशेषज्ञांे ने सरकार के अप्रत्यक्ष कर संग्रहण के 20600 करोड़ रुपये के उंचे लक्ष्य पर संदेह जताते हुए कहा है कि पूर्व में भी इसे हासिल नहीं किया जा सका है.
खेतान एंड कंपनी के दिनेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार का अप्रत्यक्ष करांंे से अतिरिक्त राजस्व जुटाने का प्रयास संभवत: पूरा नहीं हो पाएगा. विशेषरुप से आभूषण और परिधान क्षेत्रांे से. बजट 2016-17 मंे आभूषण और ब्रांडेड परिधानांे पर उत्पाद शुल्क की दरांे मंे क्रमश: एक और दो प्रतिशत की बढोतरी की गई है. उन्हांेने कहा कि पूर्व मंे इन उत्पादांे पर शुल्क लगाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं. इसके अलावा तंबाकू उत्पादांे, एसयूवी और 10 लाख रपये से अधिक की लग्जरी कारों पर भी उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है. केपीएमजी इंडिया के गिरीश वनवारी ने कहा कि कराधान के मोर्चे पर कुछ नया नहीं किया गया है.
डाकघरों में एटीएम लगाने पर जोर देगी सरकार
केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह अगले तीन साल में डाकघरों में बडी संख्या में एटीएम लगाने पर जोर देगी ताकि ग्रामीण इलाकों में बेहतर वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में यह घोषणा की. उन्होंने कहा,‘ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच उपलब्ध कराने के लिए, हम अगले तीन साल के दौरान देश भर में डाकघरों में बडी संख्या में एटीएम लगाने पर जोर देंगे. ‘ डाक विभाग ने इस साल मार्च तक 1000 एटीएम लगाने की घोषणा पहले ही कर रखी है.
कर विवादों में ब्याज माफ करने की पेशकश
विदेशी निवेशकों की आशंकाओं को शांत करने के प्रयासों के तहत सरकार ने कर कानूनों में पिछली तारीख से संशोधन से सामने आए मामलों के एकमुश्त निपटान की पेशकश की. इसके तहत कंपनियों से सम्बद्ध मामले में मूल कर मांग का भुगतान करने पर उन्हें ब्याज व जुर्माने से छूट देने का प्रस्ताव किया है.स्थिर व विश्वसनीय कराधान प्रणाली उपलब्ध कराने के लिए बजट में ‘प्रत्यक्ष कर विवाद निपटान योजना’ की पेशकश की है.
ग्रामीणों की आय बढ़ाने के ठोस उपाय जरूरी
राजेश रपिरया
वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश वर्ष 2016-17 के आम बजट से साफ जाहिर है कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे जुमलों की हवा निकल गयी है. विदेशी निवेश और कॉरपोरेट पूंजी के सहारे देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मोदी सरकार ने दो साल बिता दिये, लेकिन अब तक संतोषजनक नतीजा सामने नहीं आया है. खर्च योग्य आमदनी में गिरावट हुई है, जिसका सीधा असर देश की विकास दर पर पड़ा है और केंद्र सरकार का सारा गणित गड़बड़ा गया है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार के पिछले दो बजटों में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा की गयी, जबकि देश में पिछले लगातार दो सालों से सूखा पड़ा है. इस बजट में सरकार ने ग्रामीण भारत पर खर्च बढ़ा कर कुछ हद तक उसकी भरपाई करने की कोशिश की है. यही वजह है कि मनरेगा से लाख घृणा करने के बावजूद सरकार ने इस प्रोग्राम के लिए बजट में आवंटन बढ़ाया है. ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी में भारी गिरावट आयी है.
ग्रामीण मजदूरी की दर कम हुई है और ग्रामीण मजदूरों का पलायन होने लगा है. करीब 3,500 करोड़ रुपये आवंटन बढ़ाने से मजदूरी में इजाफा होगा, इसमें संदेह होना स्वाभाविक है. असल मायनों में ग्रामीण मजदूरी की बढ़ोतरी की दर मई, 2014 तक 13 फीसदी थी, जो गिर कर महज तीन फीसदी रह गयी है. ‘नीति आयोग’ के रमेश चंद्र के शोधपत्र के अनुसार वर्ष 2012-13 के बाद से कृषि आमदनी में महज एक फीसदी का इजाफा हुआ है.
ग्रामीण भारत पर खर्च बढ़ाया गया है, उससे इस दशा में सुधार होना चाहिए, लेकिन इससे किसानों को कर्ज से मुक्ति मिलेगी और आत्महत्या की घटनाएं कम होगी, इसमें संदेह है. ग्रामीण विकास के लिए इस बजट में 87,765 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले बजट में 79,526 करोड़ रुपये था. आगामी पांच सालों में सिंचाई पर 86,500 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा मोदी सरकार ने किया है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए आवंटन बढ़ाया गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में चार करोड़ गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है, जो सराहनीय है. मूल सवाल यह है कि क्या ये गरीब परिवार गैस का खर्च वहन कर पायेंगे? जैसे देश में बिजली का उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन बिजली कंपनियों का कहना है कि इसकी मांग नहीं बढ़ रही है. दरअसल, देश की एक बड़ी आबादी के सामने सबसे बड़ी समस्या आमदनी बढ़ाने की है. इस लिहाज से सरकार की ओर से कोई बड़ी कोशिश बजट में नहीं दिखी.
शहरी मध्यम वर्ग का इस बजट से भड़कना स्वाभाविक है. देश में करीब चार करोड़ करदाता हैं. इनमें से करीब तीन करोड़ ऐसे करदाता हैं, जिनकी आमदनी सालाना पांच-सात लाख रुपये से कम है. तीन से पांच लाख रुपये सालाना आमदनी वालों को आय कर में महज तीन से पांच हजार रुपये की छूट मिली है.
बजट प्रतिक्रिया
यह बजट उद्योगपतियों के हित में है. सरकार यूपीए सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ा रही है. गरीबों के लिए कोई नयी योजना नहीं. किसानों को कोई फायदा नहीं. सरकार को उनका ऋण माफ करना चाहिए था.
मल्लिकाजरुन खड़गे, कांग्रेा नेता
रोड, रेलवेज, रूरल सब पर ध्यान दिया गया है. इसका असर दिखेगा. जो सिगरेट, तंबाकू अफोर्ड कर सकते हैं वे और खर्च भी उठा सकते हैं. सबके लिए संभवावनाओं पर ध्यान दिया गया है.
किरण बेदी, पूर्व आइपीएस
इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है. जिस वर्ग के लोगों ने मोदीजी के लिए वोट किया, उसे ही बजट में कुछ हासिल नहीं हुआ. यही इसकी बड़ी नाकामी है. सिर्फ लुभाने की कोशिश की गई है.
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली
इस बजट से मांग बढ़ेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है, क्योंकि इस बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खासा जोर दिया गया है. काले धन के लिए स्वैच्छिक खुलासे की स्कीम अच्छा संकेत देता है.
संजीव गोयनका, चेयरमैन सीइएससी
बहुत बड़ा बजट है, ग्रामीण सेक्टर के लिए फंडिंग काफी बढ़ायी गयी है. इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी खर्चा किया जा रहा है. नियमों में सरलीकरण कर रहे हैं, निवेशक इसको रिस्पांड करेंगे.
बिजयंत पांडा, बीजेडी

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