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छोटी-छोटी आदतों से होगा व्यक्तित्व विकास

हमारा व्यक्तित्व छोटी-छोटी बातों से प्रभावित होता है. कई बार जब हम किसी मुसीबत में फंसते हैं, तो वहां से निकलने में भी हमारा व्यक्तित्व हमारी मदद कर सकता है. इसके लिए हमें कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे हम इसका फायदा उठा सकते हैं.. किसी काम की शुरुआत आपके प्रभाव से होती […]

हमारा व्यक्तित्व छोटी-छोटी बातों से प्रभावित होता है. कई बार जब हम किसी मुसीबत में फंसते हैं, तो वहां से निकलने में भी हमारा व्यक्तित्व हमारी मदद कर सकता है. इसके लिए हमें कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे हम इसका फायदा उठा सकते हैं..

किसी काम की शुरुआत आपके प्रभाव से होती है. उसकी सफलता भी बहुत कुछ आपके प्रस्तुतीकरण पर ही निर्भर करती है. अत: जरूरी है कि आप अपने व्यक्तित्व को संवारें. अकसर हम देखते हैं कि कुछ लोग दूसरों को जल्दी प्रभावित कर लेते हैं, उनसे बेहतर तालमेल और संबंध कायम कर लेते है. अपनी कुछ आधारभूत आदतों को समझने और अच्छी चीजों को अपने जीवन में उतारने से यह संभव है. नीचे कुछ बातें दी जा रही हैं, जिनसे आप अपने व्यक्तित्व का विकास करके उसे प्रभावशाली बना सकते हैं.

दूसरों के प्रति स्वयं का व्यवहार
सबसे जरूरी है दूसरों के प्रति आपका व्यवहार. हमारा व्यवहार आसपास के वातावरण को बनाता या बिगाड़ता है. उचित होगा कि हमारा व्यवहार संयमित हो, जिससे माहौल भी संयमित रहे. अपने व्यवहार से हम किसी को भी अपमानित न करें. महिलाओं से संवाद स्थापित करते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें.

सभी को पसंद आनेवाला व्यक्तित्व
दूसरों को सुनने और समझने में रुचि लें. यदि आप दूसरों में रुचि लेंगे, तभी वे आप में रुचि लेंगे. अच्छा श्रोता बनें और दूसरों को उनके विषय में बताने के लिए प्रोत्साहित करें. एक प्रेरक के तौर पर बात करते समय ध्यान रखें कि आपके विचार यहां महत्वपूर्ण नहीं हैं, दूसरों की रुचि और आवश्यकता को ही महत्व दें. याद रहे कि आपकी भूमिका सिर्फ एक मददगार की है. अत: उन पर अपने विचार न थोपें. दूसरों के महत्व को स्वीकारें और उनकी भावनाओं का आदर करें.

अपने हाव-भाव
बात करते समय अकसर हमारे हाव-भाव चर्चा के अनुकूल नहीं होते, जिससे प्रभाव पैदा नहीं हो पाता है. कोशिश होनी चाहिए कि हमारी मुखाकृति, हाथ, हाव-भाव, आवाज का उतार-चढ़ाव और वेश-भूषा हमेशा अनुकूल ही रहे. ये व्यक्तित्व के प्रभाव को बढ़ाने के साथ ही हमारे विचारों को भी वजन प्रदान करते हैं.

कुतर्क न करें
तर्क का अंत नहीं होता. निर्थक बहस करने की अपेक्षा सार्थक बहस ज्यादा सही है. दूसरों की राय को सम्मान दें. ‘आप गलत हैं’, ऐसा कभी न कहें. यदि आप खुद गलत हैं, तो सबसे पहले अपनी गलती स्वीकारें. दूसरों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दें. इससे वे अनुभव करेंगे कि आपकी नजर में उनकी बातों का पूरा महत्व है.

स्वयं का भी करें मूल्यांकन
व्यक्तित्व विकास के लिए खुद का ईमानदारी से मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है. अपने विचारों के बारे में और कार्य प्रणाली के बारे में हमेशा सोचें. अपनी कमियों के बारे में अपने मित्रों से चर्चा करें. इससे आपको अपने अंदर सुधार लाने के साथ-साथ वह क्षमता भी हासिल होगी, जिससे आप अपने बारे में भी विश्लेषण कर सकें.

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