दक्षा वैदकर
बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद प्रसिद्ध नहीं हुए थे. उन्हें अच्छी किताबें पढ़ने का बहुत शौक था. एक बार वे देश में ही कहीं प्रवास पर थे. उनके गुरु भाई उन्हें एक बड़े पुस्तकालय से अच्छी-अच्छी किताबें लाकर देते थे. स्वामीजी की पढ़ने की गति बहुत तेज थी.
मोटी-मोटी कई किताबें एक ही दिन में पढ़ कर अगले दिन वापस कर देते थे. उस पुस्तकालय का अधीक्षक बड़ा हैरान हुआ. उसने स्वामीजी के गुरु भाई से कहा : आप इतनी सारी किताबें क्यों ले जाते हैं, जब आपको इन्हें पढ़ना ही नहीं है? रोज इतना वजन उठाने की क्या जरूरत है?
स्वामीजी के गुरु भाई ने कहा : मैं अपने गुरु भाई विवेकानंद के लिए ये किताबें ले जाता हूं. वे इन सब किताबों को पूरी गंभीरता से पढ़ते हैं. अधीक्षक को विश्वास ही नहीं हुआ. उसने कहा : अगर ऐसा है, तो मैं उनसे मिलना चाहूंगा. अगले दिन स्वामीजी उससे मिले और कहा : महाशय, आप हैरान न हों. मैंने न केवल उन किताबों को पढ़ा है, बल्कि उन्हें याद भी कर लिया है.
स्वामी विवेकानंद ने जब उन किताबों के कई महत्वपूर्ण अंश सुना दिये, तो पुस्तकालय अधीक्षक चकित रह गया. उसने उनकी याददाश्त का रहस्य पूछा. स्वामीजी बोले : मन को एकाग्र करके पढ़ा जाये, तो वह दिमाग में अंकित हो जाता है. एकाग्रता का अभ्यास करके आप जल्दी पढ़ना भी सीख सकते हैं. इन दिनों परीक्षा की तैयारी का दौर चल रहा है.
ऐसे में कई स्टूडेंट्स कहते हैं कि पढ़ाई में मन नहीं लगता. ध्यान भटक जाता है. ज्यादा देर तक पढ़ नहीं सकते. जो पढ़ते हैं, कुछ दिनों बाद भूल जाते हैं. इसके लिए क्या करें? ऐसे स्टूडेंट्स के लिए ही यह कहानी है. दरअसल, आजकल के स्टूडेंट्स में एकाग्रता की कमी बहुत ज्यादा है.
ध्यान भटकने की सबसे बड़ी वजह उनकी आदतें और आसपास का माहौल है. फेसबुक, व्हॉट्सएप्प, इंटरनेट, टीवी के वे इतने आदी हो चुके हैं कि हर थोड़ी देर में उन्हें इन चीजों को देखने, चेक करने की इच्छा होती है. और जब वे ऐसा करते हैं, तो उनके कई मिनट, घंटे बरबाद हो जाते हैं. वापस पढ़ाई का मूड बनाने में उन्हें खासा समय लग जाता है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– पूर्ण एकाग्रता से कार्य करने पर हम उसे शीघ्रता और गुणवत्ता से करते हैं और अभ्यास से सब कुछ संभव हो जाता है.
– एकाग्र होना सीखें. अपने आसपास ऐसी कोई चीज न रखें, जो आपका ध्यान भटकाये. तभी आप मन लगा कर पढ़ सकेंगे.