सिगरेट, सिगार और बीड़ी बिंदास होने का प्रतीक नहीं, गंभीर और जानलेवा बीमारियों का सबब है. यह केवल उनके लिए घातक नहीं है, जो धूम्रपान करते हैं, बल्कि उनके लिए भी उतना ही घातक है, जो इनके धुएं के संपर्क में आते हैं. इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है. पहले लोगों से इस तरह के अनुरोध किये जाते थे. सार्वजनिक स्थान, रेल और बसों के अंदर इस तरह के अनुरोध लिखे जाते थे. बाद में मनाही लिखी जाने लगी. 1989 में भारतीय रेल ने रेल गाड़ी और रेलवे परिसर में धूम्रपान पर कानूनी निषेध की व्यवस्था की, लेकिन इस निषेध में भी ‘उदारता’ थी. भारतीय रेल अधिनियम, 1989 की धारा 167 में यह प्रावधान किया गया कि अगर कोई अन्य यात्री आपत्ति करता है, तब प्रतिबंध लागू होगा. इसमें सौ रुपया तक जुर्माने का भी प्रतिबंध था, लेकिन यह सारी व्यवस्था बहुत कारगर नहीं थी.
2003 में बना सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान प्रतिबंध लगाने वाला कानून
इसलिए वर्ष 2003 में फिर एक कानून बना. यह है सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन, निरोध तथा व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण विनियमन) अधिनियम, 2003. इसे संक्षेप में सीओटीपीए कहते हैं. इसमें सभी तरह के सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक है. इसमें प्रत्येक उस स्थान को सार्वजनिक स्थान माना गया है, जहां आम आदमी आता-जाता है. इसमें इस बात को लेकर बहस की कोई गुंजाइश नहीं है कि ऐसे सार्वजनिक स्थान पर आम आदमी को आने-जाने का अधिकार है या नहीं. इस प्रतिबंध के लागू होने के लिए इतनी बातों का होना ही काफी है कि कोई स्थान सार्वजनिक है और वहां आम आदमी का आना-जाना होता है. ऐसे स्थानों में आडियोरियम, स्टेडियम, खेल के मैदान, सरकारी या गैर संस्थानों के सरकारी भवन व उसके परिसर, सार्वजनिक क्षेत्र के भवन व उसके परिसर, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे तथा इस प्रकार के अन्य स्थान शामिल हैं. इसके लिए इस कानून की धारा-04 में स्पष्ट व्यवस्था है.
तो कहां करेंगे धूम्रपान
सीओटीपी एक्ट की धारा-4 में ही ऐसे होटल, जहां 30 या इससे ज्यादा कमरे हैं या उस रेस्तरां , जहां 30 या इससे ज्यादा सीटें हैं तथा हवाई अड्डे का वह क्षेत्र, जिसे अलग से धूम्रपान क्षेत्र या स्थान के रूप में बनाया गया है, वहां धूम्रपान की अनुमति है. इसके अलावा निजी स्थानों में धूम्रपान कर सकते हैं.
सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान किया, तो जुर्माना
इस कानून की धारा-21 में सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करते पाये जाने पर जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माने की यह रकम 200 रुपये तक है.
कौन करेगा धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थान सुनिश्चित
इस कानून की धारा 25 एवं 26 में केंद्र और राज्य सरकार को सार्वजनिक स्थानों को धूम्रपान मुक्त सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया है. इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उसे एक या उससे अधिक व्यक्तियों को नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है. ऐसे नियुक्त प्रवर्तन अधिकारी को मौके पर ही मामले को निबटाने का अधिकार है. वह चाहे तो अपराध दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अनुसार इसकी जांच कार्रवाई भी कर सकता है.
सार्वजनिक स्थानों में धूम्रपान के विरुद्ध नियम
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंध पर सरकार ने नियम भी बनाया और उसे पहली बार फरवरी 2004 में अधिसूचित किया गया, लेकिन उनमें कई त्रुटियां थीं. उसमें धूम्रपान तथा गैर धूम्रपान वाले क्षेत्रों को व्यावहारिक रूप में अलग-अलग नहीं किया गया था. साथ ही नियमों को लागू करने के लिए किसी जिम्मेवार प्राधिकरण की व्यवस्था नहीं गयी थी. उन कमियों को दूर करने के लिए नया नियम बनाया गया, जिसे 30 मई 2008 को अधिसूचित किया गया. यह 02 अक्तूबर 2008 से लागू किया गया.
धूम्रपान क्षेत्र या स्थान कैसा होना जरूरी
नये नियम में वैसे रेस्तरां और होटल में धूम्रपान को लेकर दिशा निर्देश शामिल किया गया है, जहां कोई व्यक्ति धूम्रपान कर सकता है. इसके मुताबिक धूम्रपान क्षेत्र या स्थान वास्तविक रूप से अलग होना चाहिए और वायु संचरण यानी हवा निकलने का अलग कमरा होना चाहिए. इसकी दीवारें चारों ओर पूरी ऊंचाई वाली होनी चाहिए. धूम्रपान कक्ष के दरवाजे ऐसे होने चाहिए, जो स्वचालित हो और लोगों के कमरे में आने-जाने के समय को छोड़ कर हमेशा बंद रहे. धूम्रपान वाले क्षेत्र में हवा को सीधे बाहर निकालने की व्यवस्था होनी चाहिए. यहां इस तरह के यंत्र लगाना जरूरी है, जो अंदर की हवा को बाहर निकाले, ताकि भवन और परिसर के अंदर धूम्रपान निषेध क्षेत्र में जानेवाली हवा में यह प्रदूषित धुआं न मिल सके.
धूम्रपान का कमरा अलग होगा
जिस होटल में 30 या इससे ज्यादा कमरे हैं, वहां धूम्रपान वाले कमरों की विशेष रूप से व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि जहां एक या अधिक तल या विंग हैं और धूम्रपान कक्ष भी उसी तल या विंग में बनाया गया है, तो उस तल या विंग को अलग खंड में होना चाहिए.
धूम्रपान कक्ष से दूसरे लोगों रखना है अलग
जिस कमरे में धूम्रपान की व्यवस्था की गयी हो, उसके दरवाजे के ऊपर ‘धूम्रपान कक्ष’ अंगरेजी तथा अधिकृत एक भारतीय भाषा में निश्चित रूप से लिखा हो, ताकि दूसरे लोग वहां न जायें और धूएं के संपर्क में न आएं. साथ ही इन कमरों के धुएं की निकासी बाहरी होनी चाहिए और यहां से निकलने वाला धुआं गैर धूम्रपान वाले क्षेत्र की हवा में वापस नहीं मिलना चाहिए.
कौन वसूलेगा जुर्माना
नये नियमों के अनुसार अधिनियम की धारा चार के प्रावधानों को कार्यान्वित कराने के लिए यानी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान के प्रतिबंध को लागू करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों ने अधिकृत अधिकारियों की इक्कीस श्रेणियां तय की हैं. इनके अलावा प्रत्येक कार्यालय, संस्थान और संगठन के अध्यक्ष, मानव संसाधन प्रबंधक और प्रशासन के अध्यक्ष को इस कानून के उल्लंघन करने वाले से जुर्माना वसूलने का अधिकार दिया गया है. जुर्माने के तौर पर वसूली गयी राशि पर सरकार का अधिकार है. इसलिए इस राशि को सरकार के खजाने में जमा कर देना है.
ये हैं सार्वजनिक स्थल
बारात घर/ बैंक्वेट हाल
ऑडिटोरियम
अस्पताल भवन
रेल प्रतीक्षालय
ऐतिहासिक स्थान
न्यायालय भवन
काम करने के स्थान
प्राइवेट कार्यालय
सार्वजनिक कार्यालय
मनोरंजन केंद्र
रेस्तरां
बार
डिस्कोथिक्स
जलपान कक्ष
कैंटीन
कॉफी हाउस
पब्स
हवाई अड्डा
शैक्षणिक संस्थान
बैंक
शॉपिंग मॉल
सार्वजनिक जन सुविधा
रेलवे स्टेशन
बस अड्डा
खुले ऑडिटोरियम
स्टेडियम
सिनेमा घर
वह स्थान, जहां आम जनता की आवाजाही होती है.
कानून उल्लंघन की शिकायत करें
रेल विभाग व इसके परिसर : स्टेशन मास्टर, सहायक स्टेशन मास्टर, स्टेशन अध्यक्ष, स्टेशन इंचाजर्.
सरकारी व निजी अस्पताल : निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक, अस्पताल प्रशासक.
डाक घर : पोस्ट मास्टर.
सार्वजनिक क्षेत्र : पुलिस सब इंस्पेक्टर, फूड इंस्पेक्टर, सरपंच, पंचायत सचिव, मुखिया.
न्यायालय भवन व परिसर : रजिस्ट्रार.
सार्वजनिक परिवहन : टिकट संग्रहक व कंडक्टर, यातायात अधीक्षक.
चलती ट्रेन : टीटीइ,टीसी, मुख्य टिकट इंस्पेक्टर, रेलवे सुरक्षा बल के सहायक सब इंस्पेक्टर व उससे ऊपर का अधिकारी.