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हम सब में गुण हैं, जरूरत है तो बस पारखी नजर की

।।दक्षा वैदकर।।एक छोटी बच्ची थी, जो हमेशा हंसती नजर आती थी. उसके सामने के दो दांत टूटे थे, जैसा कि बचपन में हर बच्चे के टूटते हैं. वह फिर भी खूब हंसती. उसकी सौतेली मां को उसकी हंसी नहीं भाती थी. वह उसे कहती ‘हंसना बंद करो. हंसते हुए तुम बहुत बुरी दिखती हो.’ छोटी […]

।।दक्षा वैदकर।।
एक छोटी बच्ची थी, जो हमेशा हंसती नजर आती थी. उसके सामने के दो दांत टूटे थे, जैसा कि बचपन में हर बच्चे के टूटते हैं. वह फिर भी खूब हंसती. उसकी सौतेली मां को उसकी हंसी नहीं भाती थी. वह उसे कहती ‘हंसना बंद करो. हंसते हुए तुम बहुत बुरी दिखती हो.’ छोटी बच्ची के दिमाग में यह बात घर कर गयी. उसने हंसना बंद कर दिया. देखते ही देखते वह बड़ी हो गयी. एक दिन दोस्तों के साथ वह बैठी थी कि किसी बात पर उसे हंसी आ गयी.

वह खिलखिला कर हंस पड़ी. दोस्तों में ही शामिल एक युवक उसकी हंसी पर मोहित हो गया. उसनेशादी का प्रस्ताव रख दिया. दोनों की शादी भी हो गयी. अब वह रोज उसकी हंसी की तारीफ करता है और वह रोज खूब हंसती है. उसकी जिंदादिल मुस्कान की वजह से उसे लोग बहुत पसंद करते हैं. दोस्तों हम में से ऐसे कई लोग हैं, जो नकारात्मक टिप्पणी करनेवालों से घिरे हैं और अपनी कीमत नहीं जानती. यह कहानी उन्हीं के लिए हैं.

एक हीरा व्यापारी था. गंभीर बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हो गयी. अपने पीछे वह पत्नी व बेटे को छोड़ गया. जब बेटा बड़ा हुआ, तो मां ने कहा, ‘बेटा, मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गये थे. तुम बाजार जाओ और इसकी कीमत का पता लगाओ. ध्यान रहे, तुम्हें केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है.’ युवक पत्थर लेकर निकला. उसे एक सब्जी बेचनेवाली महिला मिली. युवक ने पूछा ‘अम्मा, इस पत्थर के बदले मुङो क्या दे सकती हो?’ सब्जीवाली बोली ‘दो गाजरों के बदले मुङो ये दे दो. तौलने के काम आयेगा’. युवक फिर एक दुकानदार के पास गया. दुकानदार बोला, ‘इसके बदले मैं अधिक-से-अधिक 500 रुपये दे सकता हूं. देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ’. युवक इस बार सुनार के पास गया, सुनार ने पत्थर के बदले 20 हजार देने की बात की.

फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले एक लाख रुपये का प्रस्ताव मिला. अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा. विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला, ‘यह तो अमूल्य हीरा है. करोड़ों रुपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है.’

बात पते कीः-
-कभी खुद के गुणों को कम न आंकें. अपने अंदर छिपी काबिलीयत को पहचानें और उसे सही जौहरी के पास ही बेचें, जो उसकी सही कीमत लगायें.
-हर व्यक्ति में कोई न कोई गुण जरूर होता है. जरूरत है, तो बस पारखी नजर की, जो उस गुण को पहचान लेता है और उसका मालिक बन जाता हैं.

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