जब हम किसी पर हंसते हैं या किसी के साथ अपनी हंसी को शेयर करते हैं, तो उस हंसी के पीछे के कारण को हमारा दिमाग भांप लेता है और इसका हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है.
हमारा दिमाग हर तरह की हंसी की संवेदनशीलता को समझता है. विभिन्न प्रकार की हंसी को सुन कर हमारा दिमाग विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रिया भी देता है. ‘डेली मेल’ की एक खबर के मुताबिक हमारा दिमाग इस बात को समझता है कि सामनेवाले की हंसी सिर्फ गुदगुदानेवाली है या फिर कोई खुशी देनेवाली है.
‘लाफिंग परसेप्शन नेटवर्क’ पर शोध कर रहे जर्मनी के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह पाया कि हमारा दिमाग इस बात को बहुत गहराई तक समझ लेता है कि सामनेवाले की हंसी का मतलब क्या है.
इसके बाद हम भले ही इस चुहलबाजी में लेकर आगे निकल जायें, लेकिन हमारा दिमाग उस हंसी के पीछे छुपी सामाजिक प्रतिष्ठा को मापने लगता है. अपने अध्ययन में वैज्ञानिक विल्डग्रबर ने एफएमआरआइ (फंक्शनल मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग) स्केन का सहारा लिया, जिससे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदमी ज्यादातर तीन प्रकार की हंसी हंसता है- प्रसन्न हंसी, कटाक्ष हंसी और गुदगुदानेवाली हंसी. वैज्ञानिकों के मुताबिक इन तीनों हंसी का हमारी सेहत पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव पड़ता है.