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कार्यकुशलता से नहीं रहेंगे बेरोजगार

कई बार हमें किसी से यह सुनने को मिलता है कि देश में बहुत बेरोजगारी है और मैंने इतनी पढ़ाई की, लेकिन मैं अभी तक बेरोजगार हूं. विडंबना यह है कि हममें से ज्यादातर लोग केवल किताबी ज्ञान को महत्व देते हैं, व्यावहारिक कार्यकुशलता को नहीं. कार्यकुशलता एक आदत है, जिसे हमें अपने साथ आत्मसात […]

कई बार हमें किसी से यह सुनने को मिलता है कि देश में बहुत बेरोजगारी है और मैंने इतनी पढ़ाई की, लेकिन मैं अभी तक बेरोजगार हूं. विडंबना यह है कि हममें से ज्यादातर लोग केवल किताबी ज्ञान को महत्व देते हैं, व्यावहारिक कार्यकुशलता को नहीं. कार्यकुशलता एक आदत है, जिसे हमें अपने साथ आत्मसात कर लेना चाहिए. यहां मुङो एक बहुत सुंदर कहानी याद आती है.

लगभग 12-13 साल का एक बच्चा अपने घर के पास एक दवा की दुकान में गया और दुकानदार से बोला, ‘अंकल, क्या मैं एक फोन कर सकता हूं?’ दुकानदार ने सहमति जतायी, तो वह बच्चा फोन के पास रखे एक संदूक को खिसका कर उस पर चढ़ गया, ताकि वह फोन तक पहुंच सके. फिर उसने फोन पर एक नंबर मिलाया, उधर से एक महिला की आवाज आयी. दुकानदार बहुत ध्यान से उस बच्चे की बात सुनने लगा.

बच्चे ने पूछा, ‘मैडम, मुङो पता चला है कि आप अपने बगीचे की देखभाल के लिए कोई आदमी ढूंढ़ रही हैं, मैं आपके बगीचे में काम करना चाहता हूं, क्या आप मुङो मौका देंगी?’ महिला ने जवाब दिया, ‘नहीं, मैंने कुछ समय पहले एक लड़के को रख लिया है, अब मुङो किसी नये आदमी की कोई जरूरत नहीं.’ बच्चे ने कहा, ‘मैडम यदि आप मुङो मौका दें, तो मैं उस लड़के को दी जानेवाली सैलरी से आधी सैलरी पर काम कर सकता हूं.’

महिला ने जवाब दिया, ‘नहीं, मैं उस लड़के के काम से बहुत संतुष्ट हूं और अब कोई आदमी बदलना नहीं चाहती.’ बच्चे ने फिर कहा, ‘मैडम, मैं उसी वेतन में आपके बगीचे के चारों तरफ के रास्ते को भी साफ कर दिया करूंगा.’ महिला ने उत्तर दिया, ‘नहीं, मुङो कोई नया आदमी नहीं चाहिए, धन्यवाद.’ इतना कह कर महिला ने फोन रख दिया. बच्चे के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी. दुकानदार ने कहा, ‘बच्चे, मैं तुम्हारी बात ध्यान से सुन रहा था, मैं तुम्हारी बात से बहुत प्रभावित हुआ. मुङो तुम्हारे जैसे आदमी की ही तलाश थी, मैं तुमको अपनी दुकान पर काम देता हूं.’ बच्चे ने कहा, ‘नहीं अंकल, मुङो कोई नौकरी नहीं चाहिए. दरअसल मैं ही वह लड़का हूं, जो उस महिला के यहां काम करता है. मैं तो केवल यह देखना चाहता था कि क्या वह मेरे काम से संतुष्ट हैं या नहीं. मुङो यह जान कर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि वह मैडम मेरा काम पसंद करती हैं.’ दूकानदार उस बच्चे की बात सुन कर दंग रह गया.

हम सब यदि कार्यकुशलता को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें, तो जीवन में कभी भी हमें बेरोजगारी और बेकारी जैसे शब्दों का सामना नहीं करना पड़ेगा. आज हर क्षेत्र में केवल वही व्यक्ति सफल है, जिसने अपने काम को परफेक्शन के साथ करना सीख लिया है.

आशीष आदर्श
कैरियर काउंसेलर

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