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बाजी पलटने को सभी पार्टियां लगायेंगी जोर

सिल्क नगरी भागलपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है. इसकी वजह भी साफ है.2010 के आम चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2014 के उप चुनाव में बाजी पलट गयी. यहां से कांग्रेस के अजीत शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार को पराजित कर दिया था. आम चुनाव […]

सिल्क नगरी भागलपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है. इसकी वजह भी साफ है.2010 के आम चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2014 के उप चुनाव में बाजी पलट गयी. यहां से कांग्रेस के अजीत शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार को पराजित कर दिया था.

आम चुनाव में यहां से जीते अश्विनी चौबे के लोकसभा जाने के चलते उप चुनाव हुआ था. इस सीट पर 1990 से भाजपा का लगातार कब्जा रहा. लिहाजा, इस चुनाव में भाजपा पूरा जोर लगाकर इस सीट को हासिल करना चाहेगी. बीते चुनाव से लेकर अब तक चुनाव को प्रभावित करने वाली कई चीजें बदल चुकी हैं.

पार्टियों-गंठबंधनों के सामाजिक आधार में भी व्यापक बदलाव आया है. निश्चय ही यह परिवर्तन चुनाव में उम्मीदवारों की जीत-हार की दिशा तय करेगा. आज पढ़िए, भागलपुर विधानसभा सीट पर चुनावी हलचल के बारे में.

सिल्क नगरी भागलपुर विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. इस सीट ने बिहार को विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कई मंत्री भी दिये हैं.

इस सीट पर प्राय: भाजपा या कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1990 से 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा. 2014 में विधायक अश्विनी कुमार चौबे के बक्सर सीट से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद यहां पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने इस पर कब्जा जमाया. यहां के विधायक अजीत शर्मा बने.

1957 से 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाये रखा था. उस समय जनसंघ पार्टी के नाम से उम्मीदवार चुनाव लड़ते थे. इस सीट पर अलग-अलग बिरादरी की अपनी अहमियत है.

इस विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस अपने सहयोगी पार्टी के सहारे फिर से इस सीट पर कब्जा जमाना चाहती है, वहीं भाजपा इस बार किसी भी हालत में इस सीट को खोना नहीं चाहती है. भाजपा इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है.

1990 से लगातार रहा भाजपा का कब्जा, कांग्रेस रही उसके पीछे

1990 से 2014 के उपचुनाव से पहले तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा. 1995 के चुनाव में राजद के केदार यादव दूसरे स्थान पर थे.

उसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस ही रही. 2014 के उपचुनाव में भाजपा ने अश्विनी चौबे के स्थान पर भाजपा जिलाध्यक्ष नभय कुमार चौधरी को मैदान में उतारा था. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने हराया था. लगातार पराजय के बाद कांग्रेस को यहां कामयाबी मिली थी.

इस सीट से जीते शिवचंद्र झा बने थे विधानसभा का स्पीकर

भागलपुर विधानसभा सीट ने बिहार को विधानसभा अध्यक्ष भी दिया है. इस सीट से जीते विधायक अश्विनी चौबे नगर विकास मंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं. इसी विधानसभा सीट से जीते प्रो शिवचंद्र झा विधानसभा अध्यक्ष भी रहे.

सभी पार्टियों ने शुरू की चुनाव की तैयारी

12 अक्तूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए भागलपुर विधानसभा के लिए सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. महागंठबंधन से यहां से कांग्रेस के सीटिंग एमएलए है.

इस कारण कांग्रेस ने अपनी तैयारी जोरशोर से शुरू कर दी है. पहली बार महिला कांग्रेस द्वारा इस चुनाव को लेकर काफी सक्रियता देखी जा रही है.

महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष कोमल सृष्टि और प्रदेश नेत्री अनामिका शर्मा ने चुनाव में महिलाओं की टीम बनायी है. यह टीम महीना दिन पहले से ही घर-घर जाकर कांग्रेस की ओर किये गये काम की जानकारी दी जा रही है. वोटरों को बताया जा रहा है कि उप चुनाव में जीत के बाद से अब तक पार्टी ने इस विधानसभा क्षेत्र के लिए क्या-क्या किया.

शहर के वार्ड और चौक-चौराहों पर नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया जा रहा है. खुद विधायक चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं. बूथ कमेटी को और मजबूत बनाने के लिए युवाओं का दल तैयार किया जा रहा है.

भाजपा ने भी कमर कसी, वापस पाना चाहती है सीट

भाजपा में चुनाव लड़ने वाले कई दावेदार हैं. भाजपा की ओर से महाजनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है.

टिकट के दावेदार विपिन शर्मा, डॉ प्रीति शेखर,पप्पू मिश्र, अजिर्त शाश्वत, विजय साह, नभय कुमार चौधरी, बंटी यादव, रंजन सिंह आदि चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं. पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित बिहार पैकेज को लेकर जनता के पास जाने की तैयारी कर रही है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को भाजपा से छीना था.

भाजपा के बाहर के कई नेता भागलपुर में आकर चुनाव की स्थिति का आकलन कर रहे हैं कि हालत अभी कैसी है. वे वोटरों का मन टटोल रहे हैं. गुजरात और झारखंड से भाजपा के कई नेता जिले की सीटों का आकलन कर रहे हैं कि इन सीटों पर भाजपा की स्थिति कैसी रहेगी.

वे यह भी पता लगा रहे है कि कौन सीट पर कौन उम्मीदवार मैदान में उतारा जाये जो वहां से अपनी जीत पक्की कर सके. उम्मीदवारी की आस लगाये बैठे कई नेता चाह रहे हैं कि पार्टी जल्दी से नाम की घोषणा कर दे, तो वो पूरे मन के साथ चुनाव तैयारी में लग जायें. जिले की कई सीटों पर भाजपा के सहयोगी दलों की नजर है.

नाथनगर सीट पर लोजपा की निगाह तो कहलगांव सीट पर रालोसपा की निगाह है. भाजपा के ही कई नेता दोनों सीट पर अपनी तैयारी कर रहे हैं.

इसलिए है भागलपुर सीट पर सबकी नजर

भागलपुर सीट का काफी महत्व है. इस पर सभी पार्टियों की निगाह है. भाजपा तो किसी भी सूरत में इसे फिर से पाना चाहती है. यही हाल कांग्रेस का है.

दोनों ही पार्टियां गुटबाजी से बचना चाहती हैं. उनकी कोशिश हो कि पार्टी के अंदर के अलग-अलग धड़ों को एकजुट किया जाये. भाजपा नरेंद्र मोदी के परिवर्तन रैली के बाद अति उत्साहित नजर आ रही है.

इस रैली के बाद भागलपुर से सांसद रहे व राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन का पार्टी के भीतर कद बढ़ा है. वहीं दूसरी आरे,कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की निगाह में यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है. अब तक की गतिविधियों से साफ है कि चुनाव में दो ही कोण होंगे.

(इनपुट : भागलपुर से ललित किशोर मिश्र.)

मतदाता 3,16,109

इस बार के विधानसभा चुनाव में भागलपुर विधानसभा सीट पर 3,16,109 वोटर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. इनमें 1,69,730 पुरुष हैं और करीब 1,46,360 लाख महिला वोटर हैं.

रेंग-रेंग कर चलती हैं गाड़ियां और लोग

भागलपुर में सबसे बड़ी समस्या जाम की है. इससे छुटकारे की ठोस पहल नहीं हुई. सुबह से शाम तक लोगों को जाम से सामना करना पड़ता है. लोग घंटों इसमे फंसे रहते हैं. अब तो पैदल चलने में भर दुश्वारी है.

शहर में ट्रैफिक चेक पोस्ट नहीं बने हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि भागलपुर नगर निगम ने शहर में ऑटो स्टैंड भी नहीं बनाया. जिससे ऑटो सड़क पर खड़ी कर लोग यात्रियों को बैठाते हैं. लोहिया पुल पर हमेशा जाम की स्थिति रहती है. इस जाम से कई बार लोगों की ट्रेन छूट जाती है.

सुधरी बिजली, बनेगा बाइपास

भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में सालों से लंबित बाइपास का मामला सुलझ गया है. बाइपास का वर्क आर्डर भी हो गया है. 16.3 किलोमीटर सड़क के निर्माण के लिए 200.70 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. जल्द ही निर्माण कार्य भी शुरू हो जायेगा.

वहीं बिजली की समस्या बहुत हद तक सुधरी है. पहले जहां पांच से 10 घंटे तक भी बिजली नहीं मिलती थी, वहां 18 से 20 घंटे बिजली मिलती है. वहीं 525 करोड़ की जलापूर्ति योजना पर भी काम हो रहा है.

भागलपुर का चयन स्मार्ट सिटी के रूप में भी हुआ. इससे लोगों की उम्मीद जगी है कि उनके शहर की स्थिति आने वाले दिनों में ठीक होगी और उन्हें भी अपने शहर पर गुमान होगा. शहर में आधरभूत संरचना का विकास होगा.

राजधानी एक्सप्रेस नहीं चली

भागलपुर विधानसभा सीट ने कई मंत्री तो दिये, लेकिन शहर का विकास नहीं हो पाया. शहर के लोगों को चलने के लिए एक अच्छी सड़क नहीं है. नवगछिया से लेकर भागलपुर आने के क्रम में सड़कें इतनी जजर्र और बदहाल हैं कि आपको रोना आ जायेगा.

शहर में हवाई सेवा का शुरू होना अभी तक सपना ही है. भागलपुर में न डीआरएम कार्यालय ही हुआ ना ही राजधानी एक्सप्रेस ही चल पायी.वायदों की बात करें, तो प्राय: सभी चुनावों में सड़क, बिजली और बेहतर ट्रेन सेवाओं की बात की जाती रही है.

आश्वासन दिये जाते हैं कि भागलपुर से राजधानी एक्सप्रेस चलेगी, मगर यह अब तक पूरा नहीं होने वाला ऐसा आश्वासन बन चुका है, जिसके बारे में सुनते ही लोग चिढ़ने लगते हैं.

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