शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने गरीबों के इलाज के एवज में राशि मुहैया करानेवाली एक केंद्रीय योजना के तहत लाभ प्राप्त करने की खातिर निजी अस्पतालों द्वारा महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने के लिए किये जा रहे ‘अंधाधुंध हिस्टेरेक्टोमी’ ऑपरेशनों पर रोक लगाने के लिए केंद्र और एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) से आवश्यक कदम उठाने को कहा है.
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग ने कहा कि नर्सिग होम जरूरत नहीं होने पर भी हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन करके महिलाओं को धोखा दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) का लाभ उठा रहे हैं.
अदालत ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय और भारतीय चिकित्सा परिषद से ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही एनसीडीआरसी ने सिकंदराबाद आधारित यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स और इसकी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पद्मिनी वाल्लुरी को एक महिला का ‘लापरवाही से इलाज’ करने के कारण उसे तीन महीने के भीतर 10 लाख रुपये देने को कहा है. एनसीडीआरसी ने कहा कि डॉ पद्मिनी ने महिला की सहमति नहीं ली और उसके शरीर से अंडाशय और गर्भाशय निकाल दिया, जबकि इसकी जरूरत नहीं थी. अब महिला अब गर्भवती नहीं हो सकती.
मरीज को दी जाये जानकारी
अदालत ने यह भी गौर किया कि ऐसा दुर्लभ ही होता है कि जान बचाने के लिए हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन की जरूरत हो और यह ऑपरेशन अक्सर महिलाओं को परिणाम की जानकारी दिये बिना किया जाता है और महिलाएं इस बारे में पूछती हैं, तो ‘चिकित्सक उनसे झूठ बोलते हैं.’ मरीज के पति ने शिकायत दर्ज करायी थी कि उसकी पत्नी का उससे पूछे बिना और उसकी सहमति के बिना हिस्टेरेक्टोमी ऑपरेशन कर दिया गया. इस कारण उसे कई प्रकार की चिकित्सकीय जटिलताएं हो गयी और अब वह भविष्य में गर्भवती भी नहीं हो सकती.