दक्षा वैदकर
बोर्डस के रिजल्ट के साथ ही किसी घर में खुशी थी, तो किसी घर में ठीक-ठाक मार्क्स आने के बावजूद सारी चर्चा इस बात पर हो रही थी कि मार्क्स उम्मीद से कम कैसे रह गये? आपके मार्क्स बोर्डस में जैसे भी आये हों, अब वक्त आगे देखने का है.
जिन स्टूडेंट्स ने अच्छा स्कोर किया है, उन्हें बधाईयां और जिनके स्कोर बाकियों से कम रह गये, उनसे बहुत सारी उम्मीदें.. ये उम्मीदें हैं, भविष्य में ज्यादा बेहतर कर के दिखाने की. ये उम्मीदें हैं अपनी पसंद के विषय में भविष्य बनाने की. ये उम्मीदें हैं, रोज कुछ नया सीखने की और ये उम्मीदें हैं, कभी हार न मानने की.
दोस्तों, अब आप जिस भी कोर्स को चुनने जा रहे हैं, उसके आगे के अवसरों के बारे में जानकारी जुटाएं. यह भी जरूरी नहीं है कि यदि आप मैथ्स में ग्रेजुएशन कर रहे हैं, तो आपको इसी में पीजी और पीएचडी करना होगा. आप ग्रेजुएशन के बाद ऐसे कई कोर्सेस कर सकते हैं, जिनमें मैथ्स ग्रेजुएशन को ही एडमिशन दिया जाता है. इसके अलावा आपके पास अपनी रुचि के अनुरूप प्रोफेशनल कोर्सेज में जाने का विकल्प तो मौजूद है ही.
एक बात याद रखें, अपने करियर को आपको खुद बनाना है और इसके लिए आपकी पसंद-नापसंद मायने रखती है. पड़ोसी अंकल के बेटे द्वारा चुना गया कोर्स नहीं. उसी कोर्स को चुनें, जिसमें आपकी रुचि है. किसी और के दबाव में आकर जबरन मुश्किल विषय न ले बैठें.
जो स्टूडेंट्स फेल हो गये हैं, उन्हें सिर्फ यही सलाह है कि सिर्फ इतना ही गंभीर होइए कि आप अगले साल मन लगाकर दोबारा मेहनत कर सकें. किसी बात को दिल से लगाने की बजाय खुद अपनी मदद का फैसला लें.
उन विषयों पर गौर करें, जिनमें नंबर कम रह गये हैं. यह बात हमेशा याद रखें, फेल होना जीवन का अंत नहीं होता. कई ऐसे महान लोग हैं, जो फेल हो गये थे और उन्होंने दोबारा मेहनत कर अपना अलग मुकाम बनाया है. फेल को पॉजीटिवली लें. फेल होना बताता है कि तैयारी में कमी थी. बेहतर है कि अगली बार हम पूरी तैयारी के साथ एग्जाम दें.
बात पते की..
– आगे का कोर्स चुनते समय सिर्फ नंबर न देखें. यह जरूरी नहीं कि जिस विषय में आपके नंबर ज्यादा हो, उसी में आपकी रुचि भी हो.
– उस विषय को कैरियर के रूप में चुनें, जिससे पढ़ने में आपको बहुत मजा आता हो, जिसे पढ़ कर आप कभी भी बोर नहीं हो सकते.