20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्य के लिए भी सोचिए

।। अनुज कुमार सिन्हा।। – मुख्यमंत्री आवास में लगभग तीन साल पहले हेलीपैड बना है, जिस पर 30 लाख खर्च हुए. – अब इस हेलीपैड की चहारदीवारी व संतरी पोस्ट बनाने के लिए खर्च हो रहे हैं 41 लाख रुपये. – 24.56 लाख रुपये की लागत से राजभवन का नया गेट बना है. – एक […]

।। अनुज कुमार सिन्हा।।

– मुख्यमंत्री आवास में लगभग तीन साल पहले हेलीपैड बना है, जिस पर 30 लाख खर्च हुए.

– अब इस हेलीपैड की चहारदीवारी व संतरी पोस्ट बनाने के लिए खर्च हो रहे हैं 41 लाख रुपये.

– 24.56 लाख रुपये की लागत से राजभवन का नया गेट बना है.

– एक सांसद के आवास में कुछ नये कमरे बनाने और मरम्मत पर 33 लाख रुपये खर्च होंगे.

– एक पूर्व मंत्री (अभी विधायक) के आवास की मरम्मत के लिए 46 लाख रुपये स्वीकृत.

– एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के आवास की मरम्मत पर 32 लाख रुपये खर्च करने की तैयारी.

– एक पूर्व मुख्यमंत्री के आप्त सचिव के मकान की मरम्मत के लिए 19 लाख रुपये स्वीकृत.

– विधानसभा अध्यक्ष के आवास की चहारदीवारी के लिए 26 लाख मंजूर.

ये चंद उदाहरण हैं कि कैसे सरकार पैसे खर्च कर रही है, वह भी तब जब देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा हो. खुद झारखंड वित्तीय संकट में फंसा हो. कर्ज में डूबा हो. देखिए, झारखंड के कुछ आंकड़े.

-झारखंड के हर व्यक्ति पर 7853 रुपये का कर्ज है. राज्य बनने के समय यह सिर्फ 2300 रुपये था.

-झारखंड पर 25,837.89 करोड़ (2012 में) का कर्ज है. जबकि राज्य बनने के वक्त यह सिर्फ 6189.23 करोड़ था. यानी कर्ज चौगुना हो गया.

स्पष्ट है कि झारखंड कर्ज में डूबा हुआ है, आर्थिक संकट में है, पर यहां के मंत्री, विधायक, अफसर अनावश्यक खर्च करने से परहेज नहीं कर रहे हैं. केंद्र सरकार खर्च में कटौती की अपील कर रही है, सुझाव दे रही है. निजी कंपनियां छंटनी कर रही है, सुविधाओं में कटौती कर रही है, पर झारखंड को अभी इसकी चिंता नहीं है. सरकार तय करे कि कौन सा खर्च आवश्यक है, कौन अनावश्यक है. अगर मुख्यमंत्री आवास में हेलीपैड बनता है (भले ही तीन साल पहले बना हो) तो यह सवाल उठता ही है कि इसकी जरूरत क्या है? तीन साल में उस हेलीपैड पर एक बार भी हेलीकॉप्टर नहीं उतरा. फिर 30 लाख रुपये खर्च करने का औचित्य क्या था? अब हेलीपैड बन गया, तो उसकी चहारदीवारी, संतरी पोस्ट के लिए 41 लाख और खर्च हो रहे हैं. कहावत है-जितना का बाबू नहीं, उतना का झुनझुना. यही हाल है हेलीपैड का. मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, विधायकों के आवास खराब नहीं हैं. रहने लायक है. फिर भी इनकी मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. कहीं अतिरिक्त कमरे बन रहे हैं, तो कहीं नये बाथरूम. सवाल यह उठता है कि क्या राज्य ऐसे खर्च को वहन करने की स्थिति में है? क्या राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वह ऐसी फिजूलखर्ची को सह सके? ऐसा नहीं है कि हाल में फिजूलखर्ची बढ़ी है. राज्य बनने के बाद से ही मंत्रियों, विधायकों या मुख्यमंत्री आवास, अफसरों के आवास, उनके डेकोरेशन (फर्नीचर, परदे) पर बड़ी राशि खर्च होती रही है.

पहले से मुख्यमंत्री का सरकारी आवास कांके रोड में बना हुआ है. वहां उनका कार्यालय भी है. उस पर पहले से हर साल बड़ी राशि खर्च होती रही है. वर्तमान मुख्यमंत्री ने अपने पुरानेवाले आवास (जो उपमुख्यमंत्री के नाम पर उन्हें मिला था) को ही नया मुख्यमंत्री आवास बना दिया. अब उसे बड़ा किया जा रहा है. आप्त सचिव का आवास था, उसे तोड़ दिया गया. एसडीओ के आवास को भी मुख्यमंत्री आवास में मिला दिया गया. खर्च पर खर्च बढ़ता जा रहा है. अगर राज्य के वित्तीय हालात बेहतर होते, तो शायद कोई सवाल नहीं उठाता. सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे लोग आत्ममंथन करें कि क्या ऐसे निर्णय इस समय लेना उचित है? सिर्फ आवास की ही बात नहीं है. अनावश्यक यात्र क्यों हो? इस पर अंकुश लगना ही चाहिए. राज्य पर इतना वित्तीय भार न आ जाये कि इससे राज्य उबर ही न सके. विधायक, मंत्री के अलावा अफसर और कर्मचारी भी सोचें कि कहां-कहां बचत की जा सकती है.

राजभवन का गेट नहीं भी बनता, तो कौन सी आफत आ जाती? हेलीपैड नहीं बनता, तो क्या बिगड़ जाता? जितना आवश्यक हो, उतना ही आवास की मरम्मत पर खर्च करने से बचत हो सकती थी. यह सामूहिक जिम्मेवारी है. राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसे ही खर्च हो रहे हैं, पर नेतृत्व की शायद नजर नहीं है. राज्य को अगर वित्तीय संकट से उबारना है, आगे बढ़ना है, तो राज्य के एक-एक व्यक्ति को इस पर सोचना होगा.

अगर आपके गांव, प्रखंड, जिले में जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, फिजूलखर्ची हो रही है, तो आपको चौकस रहना होगा. यह जनता का पैसा है. इसके लिए आप टैक्स चुकाते हैं. हर व्यक्ति कुछ न कुछ टैक्स चुकाता है, नमक और तेल पर भी. आपके पैसे को अगर कोई नेता, अफसर बर्बाद करते हैं, तो आप आगे आयें. अपनी बात लिख कर भेजिए.
प्रभात खबर, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें