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गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम

सरकारी योजना : जानिए क्या है रांची : ग्रामीण विकास विभाग की ओर से यूएनडीपी के तकनीकी सहयोग से यह योजना चलायी जा रही है. इसके लिए सरकार ने झारखंड राज्य आजीविका प्रोत्साहन समिति का गठन किया है. समिति के माध्यम से समेकित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कार्यक्रम का क्रियान्वयन पश्चिमी सिंहभूम, […]

सरकारी योजना : जानिए क्या है

रांची : ग्रामीण विकास विभाग की ओर से यूएनडीपी के तकनीकी सहयोग से यह योजना चलायी जा रही है. इसके लिए सरकार ने झारखंड राज्य आजीविका प्रोत्साहन समिति का गठन किया है. समिति के माध्यम से समेकित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कार्यक्रम का क्रियान्वयन पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, रांची, पलामू और पाकुड़ जिले के चयनित 10 प्रखंडों में किया जा रहा है.

यहां पर 477 गांवों को लिया गया है. बिटिया वर्ष के दौरान महिला सशक्तीकरण के लिए समिति की ओर से समाज के वंचित वर्ग विशेष कर अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, विस्थापित और नि:शक्त महिलाओं और व्यक्तियों के लिए आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना योजना का उद्देश्य है. इसके लिए सरकार लाभुकों की क्षमता और समन्वय तकनीकों का संवर्धन भी करती है. सरकार के अनुसार यह राज्य की महिलाओं को सफल उद्यमी के रूप में पहचान दिलाने की दिशा में कारगर प्रयास भी है.

2575 से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित

सामाजिक जागरूकता के तहत समिति की ओर से 2575 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है. इससे 36500 से अधिक गरीब परिवारों तक समिति ने पहुंच बनायी है. बैंक लिंकेज और ऋण दिलाने के टूल्स से 13 हजार से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता भी योजना में दी गयी है. इतना ही नहीं, कार्यक्रम के जरिये 302 से अधिक ग्राम विकास समिति का गठन कर 5600 से अधिक सदस्यों को आजीविका, सूचना का अधिकार और पंचायती राज संस्थान विषय पर प्रशिक्षण भी दिया गया. पश्चिमी सिंहभूम की ही बात करें, तो वहां एक सौ से अधिक गांवों में 186 से अधिक वन अधिकार समितियां बनायी गयीं है.

विशिष्ट आजीविका मॉडल

महिला विशिष्ट आजीविका मॉडल को प्रोत्साहित करते हुए सरकार ने ड्रिप इरिगेशन, पॉली नर्सरी, सब्जी उत्पादन, कुक्कुट विपणन, तसर और अन्य वैसी गतिविधियां, जिससे महिलाओं की आय बढ़े, उसे जोड़ा गया. जनजातीय महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने उनकी वार्षिक आय में वृद्धि अंकित करने का दावा किया है. महिलाओं को मशीनों से पत्तल बनाने, गिलास का निर्माण करने, लाह उत्पादन, मत्स्य पालन और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों से भी जोड़ा गया. इससे महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति भी सुधरी है.

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