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लोगों को बस भरोसा दिलायें कि वे अकेले नहीं हैं

।। दक्षा वैदकर ।।एक आदमी अपनी कार से किसी नये शहर जा रहा था. रास्ता उसका जाना-पहचाना नहीं था इसलिए वह नक्शे की मदद से रास्ता तय कर रहा था. अचानक एक स्थान पर ड्राइविंग करते समय नक्शा देखने के प्रयास में उसकी कार सड़क से उतर गयी और कीचड़ से भरे गड्ढे में चली […]

।। दक्षा वैदकर ।।
एक आदमी अपनी कार से किसी नये शहर जा रहा था. रास्ता उसका जाना-पहचाना नहीं था इसलिए वह नक्शे की मदद से रास्ता तय कर रहा था. अचानक एक स्थान पर ड्राइविंग करते समय नक्शा देखने के प्रयास में उसकी कार सड़क से उतर गयी और कीचड़ से भरे गड्ढे में चली गयी. कार को और उस आदमी को तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन प्रयास करने पर भी कार गड्ढे से बाहर नहीं आ पा रही थी.

तकरीबन दो घंटे बाद एक व्यक्ति अपने गधे के साथ मार्ग से गुजरा. उस आदमी ने प्रार्थना की, मेहरबानी करके मेरी कार को गड्ढे से बाहर निकालने में मदद करें. उस व्यक्ति ने कारवाले की मदद करना स्वीकार कर लिया और उससे कहा कि यह कार्य तो उसका गधा रामू बड़े आराम से कर देगा.

आदमी को लगा कि एक अकेला गधा किस तरह उसकी इतनी बड़ी कार को निकाल पायेगा. फिर भी उसको वह गधा और उसका मालिक डूबते को तिनके का सहारा जैसा लग रहे थे. उसने हामी भर दी. राहगीर ने अपने गधे रामू के गले में रस्सी बांधी और उसे गाड़ी से जोड़ दिया. फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगा.. रामू.. श्यामू.. पप्पू.. जोर लगा. हईइया. रामू..श्यामू. पप्पू जोर लगा हईइया.. वह चिल्लाता रहा. थोड़ी देर में रामू गधे ने कार को गड्ढे से बाहर निकाल दिया.

आदमी ने राहगीर से पूछा कि क्या इस गधे के आपने तीन नाम रखे हुए हैं? राहगीर मुस्करा दिया और बोला- नहीं बाबूजी. रामू अंधा है. यदि उसके नाम के साथ अन्य गधों के नाम पुकारो, तो उसे लगता है कि वह सबके साथ काम कर रहा है और वह ईमानदारी से अपना पूरा बल काम में लगा देता है. अकेले होने का एहसास उसमें कमजोरी ला देता है. इसलिये मैं अपने तीनों गधों के नाम एक साथ पुकार रहा था.

यह कहानी हमें शब्दों की ताकत बताती है. यह बात ऑफिस में भी कई कर्मचारियों पर लागू होती है. यदि बॉस अपनी कर्मचारियों को भरोसा दिला दे कि इस काम में मैं तुम्हारे साथ हूं. तुमसे नहीं होगा, तो मैं तुम्हारे पीछे खड़ा हूं.. तो इन शब्दों का कर्मचारियों पर बहुत गहरा असर होता है. वे बिना मदद के ही बहुत सा काम कर देते हैं.

– बात पते की
* अगर आपने किसी को यह एहसास दिला दिया कि वह अकेला नहीं है, तो वह आदमी कठिन-से-कठिन काम भी कर सकता है.
* कई बार ऐसा होता है कि हम काम करने के काबिल होते हैं, लेकिन हमें खुद पर भरोसा नहीं होता. हमें केवल किसी के साथ की जरूरत होती है.

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