पीएमसीएच की सजर्री : तीन एचओडी समेत सात डॉक्टर हटाये जायेंगे
– डॉ अजीत सिंह, डॉ विश्वेंद्र प्रसाद सिन्हा और डॉ अजीत बहादुर सिंह, डॉ विजय कुमार का तबादला, चलेगी विभागीय कार्रवाई
– चार नर्स और ड्रेसर पर भी होगी कार्रवाई
– स्वास्थ्य मंत्री ने देर रात दी मंजूरी, आज जारी होगी अधिसूचना
पटना : गांधी मैदान हादसे के घायलों का हाल देखने रविवार को पीएमसीएच पहुंचे मुख्यमंत्री ने वहां की कुव्यवस्था को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की थी. इसके एक दिन बाद सोमवार को राज्य सरकार ने अस्पताल के अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद को निलंबित करने और तीन विभागाध्यक्षों समेत सात चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया है. सोमवार की देर रात स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.
अधीक्षक को निलंबित करने के बाद उनके पद का प्रभार पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ एसएन सिन्हा को सौंप दिया जायेगा. जिन डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी, उनमें यूरोलोजी विभाग के अध्यक्ष डॉ अजीत सिंह, हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ विश्वेंद्र प्रसाद सिन्हा व सजर्री विभाग के अध्यक्ष डॉ अजीत बहादुरसिंह, यूनिट इंचार्ज डॉ विजय कुमार और तीन अन्य यूनिट इंजार्ज शामिल हैं. इन सभी को पीएमसीएच से हटाने का निर्णय लिया गया है. अधीक्षक व इन डॉक्टरों पर विभागीय कार्रवाई भी चलेगी. नर्स और ड्रेसिंग से संबंधित चार कर्मियों पर भी कार्रवाई होगी.
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के रविवार की देर शाम पीएमसीएच दौरे में जिन विभागों में मरीज व उनके परिजनों ने शिकायत की थी, सबके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया गया है. सोमवार की देर रात स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह को मुख्यमंत्री आवास तलब किया गया. रात करीब 09:45 बजे रामधनी सिंह 1, अणो मार्ग पहुचे. यहां मुख्यमंत्री के साथ उनकी बंद कमरे में बातचीत हुई. इसके बाद पीएमसीएच के अधीक्षक को निलंबित करने और अन्य डाक्टरों का तबादला व कार्रवाई पर अंतिम मुहर लगा दी गयी. स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मंगलवार को दफ्तर खुलने के बाद इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.
सोमवार को बकरीद की छुट्टी होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग में देर रात तक पीएमसीएच के सभी वरीय चिकित्सकों को तलब कर उनसे पूछताछ की गयी. रविवार को मुख्यमंत्री जिन-जिन जगहों पर गये, उसका ब्योरा एकत्र किया गया. मुख्यमंत्री ने अपनी आंखों से जो कुछ देखा था, उसको लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर उच्चस्तरीय बैठक हुई. बैठक में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को भी तलब किया गया. विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार और सचिव आनंद किशोर की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने पीएमसीएच की अव्यवस्था के लिए अधिकारियों को फटकारा. करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद विभाग के सचिव आनंद किशोर पीएमसीएच परिसर पहुंचे. वहां उन्होंने अस्पताल के अधीक्षक और प्राचार्य के साथ बैठक की.
मुख्यमंत्री ने यहां किया था दौरा इमरजेंसी, आइसीयू, राजेंद्र सजिर्कल स्थित इएफ वार्ड, टीबी वार्ड, एबी वार्ड, एमएलए वार्ड, हड्डी रोग विभाग
हादसे के दिन भी अस्पताल में थी अफरा-तफरी
गांधी मैदान हादसे के बाद जब पीड़ितों को पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था, तो उस समय भी अस्पताल में अफरा-तफरी की स्थिति थी. घायलों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा था. घटना के दिन ही रात के 1:30 बजे मुख्यमंत्री इमरजेंसी वार्ड जायजा लेने पहुंचे, तो उन्हें कई शिकायतें मिलीं.
क्या था मामला
रविवार को जब मुख्यमंत्री पीएमसीएच में घायलों को देखने गये, तो वहां कोई वरीय चिकित्सक मौजूद नहीं थे. अधीक्षक डॉ लखेंद्र प्रसाद बार-बार बुलाने पर भी नहीं आये. मरीजों ने शिकायत की कि दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
आज जनसुनवाई
पटना : मंगलवार को हादसे की जनसुनवाई होगी. जांच अधिकारी गृह सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय प्रत्यक्षदर्शियों, पीड़ितों व हादसे की जानकारी रखनेवाले लोगों से बातचीत करेंगे. प्रत्यक्षदर्शी या पीड़ित लिखित या मौखिक जानकारी दे सकते हैं.
स्थान : समाहरणालय परिसर
समय : सुबह 10.30 बजे से
तीन डीएसपी व चार बिप्रसे अफसरों पर भी होगी कार्रवाई
पटना : रविवार को पटना की प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम, डीआइजी और एसएसपी को हटाने के बाद अब निचले स्तर के पदाधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है और संभावना है कि मंगलवार को राजधानी के पूरे प्रशासन को बदल दिया जाये. इस संबंध में गृह सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय ने सरकार को अपनी पहली अनुशंसा रविवार को ही भेज दी है. जांच टीम मंगलवार से पटना समाहरणालय परिसर में जनसुनवाई करेगी. जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जिन आइएएस और आइपीएस पदाधिकारियों का रविवार को तबादला किया गया है, उन्हें अभी पदस्थापित करने का सरकार कोई विचार नहीं कर रही है.
गृह सचिव और एडीजी के नेतृत्ववाली जांच टीम की अंतिम अनुशंसा प्राप्त होने के बाद यह तय किया जायेगा कि हटाये गये अधिकारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई चलेगी या नहीं. सूत्रों ने बताया कि गृह सचिव व एडीजी ने अपनी जांच में बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार पुलिस सेवा के भी कई अधिकारियों को इस घटना के लिए जिम्मेवार माना है. लेकिन, सोमवार को सचिवालय में बकरीद का अवकाश होने के कारण निचले स्तर के अधिकारियों को हटाये जाने की अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है. संभवत: यह अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी जायेगी.
सूत्रों ने बताया कि गांधी मैदान की घटना की जांच के क्रम में पटना के तीन डीएसपी स्तर के पदाधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पायी गयी है, जबकि सिटी मजिस्ट्रेट, एडीएम (विधि-व्यवस्था) और कार्यक्रम के दौरान मजिस्ट्रेट के रूप में डय़ूटी पर तैनात अधिकारियों की भूमिका से भी जांच टीम असंतुष्ट है. गृह सचिव व एडीजी ने रविवार को इन अधिकारियों से पूछताछ के बाद गांधी मैदान में लगे सीसीटीवी कैमरे का भी पुलिस नियंत्रण कक्ष में जायजा लिया है. साथ ही गांधी मैदान के पास स्थित दो बड़े होटलों के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला गया है. सीसीटीवी फुटेज की जांच में भी कई अधिकारियों की झूठ सामने आ गयी है. इन अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान जांच टीम को घटना के समय अपना जो लोकेशन बताया था, सीसीटीवी फुटेज में उनका लोकेशन कुछ और ही पाया गया है.
सीएम ने रिपोर्ट भेजने के लिए केंद्र से मांगा समय
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से टेलीफोन पर बात की और उन्होंने घटना की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को भेजने को कहा. हालांकि मुख्यमंत्री ने विस्तृत रिपोर्ट के लिए गृह मंत्री से आठ दिनों का समय मांगा है. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री कों बताया है कि बिहार सरकार इस मामले की जांच शुरू कर चुकी है और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. इसके लिए उन्होंने आठ दिनों की मोहलत मांगी है.
अगर न होतीं ये दस चूक, तो न होता इतना बड़ा हादसा
पटना : दशहरा के अवसर पर गांधी मैदान में रावण दहन से पहले 10 बड़ी लापरवाही खुल कर सामने आयी है. प्रभात खबर ने पड़ताल की, तो ये तथ्य सामने आये. गृह सचिव आमिर सुबहानी और अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय के नेतृत्व में हादसे की जांच शुरू हो गयी है.
प्रभात खबर ने पड़ताल के क्रम में 10 ऐसी चूकों को चिह्न्ति किया, जो हादसे के लिए जिम्मेवार हैं. इनकी पहचान प्रत्यक्षदर्शियों से की गयी बातचीत पर आधारित है.
मैदान में पसरा अंधेरा
गांधी मैदान के सौंदर्यीकरण के तहत मैदान के चारों ओर आठ हाइमास्ट लाइटें लगी हैं. लेकिन घटना के समय गांधी मैदान में दो लाख से भी अधिक की भीड़ के बावजूद गांधी मैदान में महज पांच हाइमास्ट लाइटें ही जल रही थीं, जो इतनी बड़ी भीड़ के लिए पर्याप्त नहीं थी. मैदान में अंधेरे से वहां लगे सीसीटीवी की तसवीरें भी धुंधली हैं, जिसके कारण जिम्मेवार लोगों की पहचान में परेशानी आ रही है.
जिम्मेवार : पटना नगर निगम
एक गेट पर दबाव
गांधी मैदान को सात फुट ऊंची चहारदीवारी से घेरे जाने के बाद कार्यक्रम की समाप्ति के बाद इतनी बड़ी भीड़ के निकलने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गयी थी. हालांकि गांधी मैदान के चारों तरफ कुल सात बड़े गेटों का निर्माण कराया गया है, लेकिन इनमें केवल दो ही गेटों को खोला गया था, जिसके कारण दक्षिणी गेट से बाहर निकलनेवाली भीड़ का दबाव अत्यधिक था.
जिम्मेवार : जिला प्रशासन
काउ कैचर खराब
मैदान में आवारा पशुओं के प्रवेश पर रोक के लिए गेट पर बने काउ कैचर के लोहे के रड खराब होकर जमीन में धंस गये हैं, जिसके कारण बिना देखे बाहर निकलनेवाला कोई भी शख्स दुर्घटना का शिकार हो सकता है. रामगुलाम चौक की तरफवाले गेट के काउ कैचर पर जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. भगदड़ की स्थिति बनने पर कई महिलाओं व बच्चों की मौत इसी काउ कैचर में गिर कर हुई.
जिम्मेवार : भवन निर्माण विभाग
सात फुट की चहारदीवारी
गांधी मैदान के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन ने उसकी सात फुट ऊंची दीवार से घेराबंदी कर दी है, जिसके कारण किसी भी आपात स्थिति में गेट के अलावा बाहर निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है. दीवार के अत्यधिक ऊंचा होने के कारण महिलाओं व बच्चों का पार करना भी संभव नहीं है. भगदड़ की स्थिति में सुरक्षा के लिए यह दीवार भी घातक साबित हुई.
जिम्मेवार : जिला प्रशासन
क्राउड मैनेजमेंट का अभाव
गांधी मैदान में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों को भीड़ नियंत्रण के लिए किसी भी तरह का प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में किसी भी आपात स्थिति में पुलिस के अप्रशिक्षित जवान सीधे लाठियों की भाषा का प्रयोग करते हैं, जिससे भीड़ के अक्सर अनियंत्रित होने का खतरा बना रहता है. अगर इन्हें प्रशिक्षण मिला होता तो ऐसी नौबत नहीं आती.
जिम्मेवार : जिला प्रशासन
अधिकारियों की गैरमौजूदगी
जब गांधी मैदान के दक्षिणी छार स्थित गेट से बाहर निकलने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी, तब वहां तैनात स्टैटिक मजिस्ट्रेट और अन्य जिम्मेवार अधिकारी मौजूद नहीं थे. यहां तक कि पुलिस के जवान भी भगदड़ के समय मौके पर मौजूद नहीं थे, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं किया गया. इससे हालात और भी बिगड़ते चले गये.
जिम्मेवार : डीएम और एसएसपी
नहीं थी कोई आपात सेवा
गांधी मैदान में रावण वध जैसे धार्मिक कार्यक्रम में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं कियेगये थे. यहां तक कि इतनी बड़ी भीड़ के लिए न तो कोई माइक थी और न ही मौके पर एक भी एंबुलेंस को तैनात किया गया था. घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने में भी घंटों का समय लग गया, जिसमें कई लोगों की जान चली गयी.
जिम्मेवार : जिला प्रशासन/ आयोजक
वीआइपी सुरक्षा पर पूरा ध्यान
हालांकि गांधी मैदान में घटना के समय बड़ी संख्या में पुलिस बल और स्टैटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गयी थी. लेकिन, कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री के काफिले को सुरक्षित निकालने के क्रम में फ्रेजर रोड को करीब 15 मिनट के लिए बंद कर दिया गया था. इससे एक्जिबिशन रोड के रामगुलाम चौक से लेकर होटल मौर्य तक वाहनों और पैदल चलने वालों से रास्ता जाम हो चुका था.
जिम्मेवार : पटना पुलिस ट्रैफिक
भीड़ में असामाजिक तत्व
हादसे की एक बड़ी वजह असामाजिक तत्व भी बने. ये असामाजिक तत्व भी गांधी मैदान में बड़ी संख्या में सक्रिय थे. जब घर लौटती भीड़ दक्षिणी गेट से निकलने के लिए जद्दोजहद कर रही थी, तब इन्हीं असामाजिक तत्वों ने बिजली का तार गिरने और करेंट आने की अफवाह उड़ा दी, जिसके कारण मची भगदड़ में 33 लोगों की जान चली गयी.
जिम्मेदार : जिला प्रशासन/ आयोजक
अव्यवस्थित ट्रैफिक
रावण वध कार्यक्रम के समय गांधी मैदान के चारों तरफ मूर्ति विसर्जन के लिए जुलूस भी सड़कों पर था. ऐसे में गांधी मैदान के चारों तरफ भीषण जाम की स्थिति बनी हुई थी. यहां सामान्य यातायात की भी व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं काम कर रही थी. जब रावण वध कार्यक्रम खत्म हुआ और लोग घरों के ओर लौटने लगे तो स्थिति और भी खराब हो गयी.
जिम्मेदार : ट्रैफिक महकमा
गृह सचिव व डीएम जिम्मेवार : मोदी
पटना महानगर भाजपा ने कारगिल चौक पर दिया धरना, राज्य सरकार पर लगाये आरोप
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रावण वध कार्यक्रम के बाद भगदड़ में मौत की सर्वदलीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इसकी सीबीआइ जांच की कोई आवश्यकता नहीं है. सर्वदलीय जांच कमेटी एक सप्ताह में जांच कर मामले को स्पष्ट कर देगी. मोदी कारगिल चौक पर पटना महानगर भाजपा के एक दिवसीय धरना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने गृह सचिव आमिर सुबहानी और पटना के डीएम मनीष कुमार वर्मा के कार्यकाल पर तल्ख टिप्पणी की. डीएम मनीष वर्मा को नीतीश कुमार का चहेता बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग ने पूर्णिया में चुनाव कराने लायक नहीं समझा था. इसलिए चुनाव होने तक उनका तबादला कर दिया गया. इस व्यक्ति को पटना जैसे बड़े शहर का डीएम बना दिया गया.
अब तक मृतक के परिजन से नहीं मिले नीतीश : मोदी
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अभी तक नीतीश कुमार एक भी मृतक के परिजन के घर सांत्वना देने नहीं गये? फुलवारी के एतवारपुर के एक मृतक परिवार से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और बिहार सरकार के मंत्री सांत्वना नहीं देने गये.
घटना के लिए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को जिम्मेवार बताते हुए उन्होंने कहा कि 2012 में छठ पर्व पर 18 की मौत हुई थी. इसके लिए बनी कमेटी की जांच का क्या हुआ? पीएमसीएच के हाल पर सीएम के वक्तव्य पर कहा कि लगता है कि पहली वार वह पीएमसीएच गये थे. अधीक्षक को तीन बार कहने के बावजूद वह सीएम से मिलने नहीं आया. घटना के दिन रात 10.30 बजे के बाद डॉक्टर पहुंचे. तब तक जूनियर डॉक्टरों के हवाले था पीएमसीएच. मोदी ने कहा कि मामले को विधानसभा के सत्र में भाजपा उठायेगी.
मोदी ने कहा कि सरकार कह रही है कि सीसीटीवी से दोषी पकड़े जायेंगे. अंधेरे में सीसीटीवी में घटना को दर्ज करने के लिए लाइट की व्यवस्था थी कि नहीं? उन्होंने कहा कि सरकार सीसीटीवी के तथ्य को पत्रकार और आम लोगों के सामने दिखाये.
एसएसपी के तबादला में देरी पर सवाल
मोदी ने कहा कि इधर घटना घट रही थी, उधर डीएम बेटे का बर्थ डे मना रहे थे. वहीं मुख्यमंत्री को जहानाबाद पहुंचे-पहुंचते बताया गया कि लोग भगदड़ में मर रहे हैं. इसके बावजूद वह परिवार के साथ पालक की सब्जी खाने महकार (गया) चले गये. उन्होंने कहा कि पटना डीएम के तबादला का क्या मतलब है? सात दिन बाद पता चलेगा कि उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद दे दिया गया. एसएसपी मनु महाराज का हम सम्मान करते हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में ही गांधी मैदान में बम विस्फोट हुआ. तबादले में देरी पर भी उन्होंने सवाल उठाया.
मृतक के परिजनों से मिलने के बाद मोदी ने कहा कि कहीं रोशनी नहीं थी. गेट को बंद कर दिया गया था. आठ सीडीपीओ के हवाले पूरी भीड़ थी. मोदी ने कहा कि भगदड़ में मौत की जांच के लिए बनी कमेटी पर हमें भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि एक ही व्यक्ति को पांच साल से गृह सचिव बनाये हुए हैं. सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भीड़ की उचित मॉनीटरिंग होती, तो हादसे को रोका जा सकता था. इसकी जांच हाइकोर्ट के जज या सर्वदलीय कमेटी से करायी जाये.
विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने मांझी सरकार की तुलना लालू प्रसाद के शासनकाल से की. विधायक नितिन नवीन ने कहा कि वर्तमान सरकार निरंकुश और लाचार हो गयी है. मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रजेश सिंह रमण, डॉ संजीव चौरसिया, विधान पार्षद सत्येंद्रनारायण कुशवाहा आदि मौजूद थे.
लोजपा ने की बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि जब बिहार के मुख्यमंत्री का ही प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं रहा, तो राज्य में आम लोगों की स्थिति का अंदाजा लगाना सहज है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का राज्य के प्रशासन पर कितना नियंत्रण है. इसका खुलासा रविवार को तब हुआ जब वह राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में दो घंटे तक अस्पताल अधीक्षक का इंतजार करते रहे और वह नहीं आये.
कई विभागाध्यक्षों ने भी मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना की. मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कोई प्रशासनिक कार्रवाई भी नहीं कर सके. इसका असर राज्य में असामाजिक तत्वों पर पड़ा है और वे बेखौफ अपनी करतूत को अंजाम दे रहे हैं.
आपदा प्राधिकार के सुझाव की अनदेखी
साल भर पहले प्राधिकार की चार सदस्यीय टीम ने दिये थे कई सुझाव
पटना : यदि पटना जिला प्रशासन आपदा प्रबंधन प्राधिकार के एक साल पहले दिये सुझाव पर गौर करता, तो रावण वध कार्यक्रम के बाद 33 लोगों की मौत नहीं होती. 2012 में छठ पर्व हादसा के बाद प्राधिकार की चार सदस्यीय टीम ने बड़े आयोजन के दौरान भीड़ प्रबंधन के कई सुझाव दिये थे. प्राधिकार के सुझाव को नजर अंदाज करने के कारण राजधानी में दो घटनाएं हई.
जिला प्रशासन ने नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान बम विस्फोट के बाद भगदड़ से भी नहीं सीखा. प्राधिकार के उपाध्यक्ष एके सिन्हा के नेतृत्व में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रोजेक्ट ऑफिसर अमित प्रकाश, मानवीय आपदा के प्रोजेक्ट ऑफिसर विशाल वासवानी और आपदा प्रबंधन में स्नातकोत्तर व स्वयंसेवक अली अहमद रेयानी ने भीड़ नियंत्रण और आपदा की स्थिति से निबटने के लिए कई सुझाव दिये थे.
1. ऐसे आयोजन से पूर्व संभावित खतरों की जानकारी प्राप्त करना चाहिए. आयोजन के क्रम में यदि उग्रवादी कार्रवाई या बम विस्फोट हो जाये, तो इससे निबटने के लिए हमें क्या करना चाहिए? आगजनी हो जाये अथवा भीड़ अचानक उग्र हो जाये,तो क्या बचाव होने चाहिए.
2. प्राधिकार ने भीड़ नियंत्रण के लिए लोगों के निकलने के लिए रास्ते और अफवाह से बचने के लिए जगह-जगह साइन बोर्ड लगाने का सुझाव दिया था. साइन बोर्ड ऐसे लगाया जाये कि लोग उसे पढ़ सके.
3. प्राधिकार ने भीड़ प्रबंधन के लिए खोये लोगों की सूचना के लिए घोषणा की तैयारी, सुरक्षा बल और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण और भीड़ को अलग-अलग प्रबंधन का सुझाव दिया था.
4. भीड़ की ओर वाहनों के प्रवेश पर रोक तथा भीड़ को बड़े गेट से निकालने का सुझाव था.
5. पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था के इंतजाम.
6. मोबाइल वैन से पेट्रोलिंग, अस्थायी चेक पोस्ट का निर्माण, होमगार्ड व एनडीआरएफ के जवान की तैनाती, बम और डॉग स्कवॉयड की तैनाती.
7. जगह-जगह एंबुलेंस, विशेष टीम, एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस और बचाव दल के इंतजाम.
8. एक सशक्त नियंत्रण कक्ष की स्थापना का सुझाव.
बिजली बिल नहीं चुकाने से बंद थी लाइट
गांधी मैदान में छह में से चार हाइ मास्ट लाइट ही कर रही थी काम
पटना : जिला प्रशासन ने करोड़ों रुपये खर्च कर गांधी मैदान का सौंदर्यीकरण का काम पूरा किया. सौंदर्यीकरण के तहत मैदान परिसर में मिट्टी भरी गयी और परिसर के किनारे छह हाइ मास्ट लाइट के अलावा 90 सीएफएल बल्ब लगाये गये, ताकि पूरा मैदान रात में भी रोशनी में डूबा रहे.
परिसर में जब बल्ब लगाये गये, तो मैदान का पूरा परिसर चकाचक दिख रहा था, लेकिन बिजली बिल का भुगतान नहीं किये जाने के कारण पेसू ने सभी सीएफएल के कनेक्शन काट दिये. यही वजह है कि पिछले दो माह से गांधी मैदान में एक भी सीएफएल नहीं जल रहा है. हालांकि, छह हाइ मास्ट लाइट में से चार जल रही हैं, जबकि एक हाइ मास्ट का तार चोरी कर लिया गया है, जिससे यह ठीक होने के बावजूद नहीं जल रही है. वहीं दूसरी हाइ मास्ट लाइट में दो-तीन बल्ब ही जलते हैं. हालांकि इस जजर्र हाइ मास्ट को भगदड़ हंगामे के बाद रविवार को दुरुस्त कर लिया गया.
दुर्घटना के बाद प्रशासन की खुली नींद
दरअसल शुक्रवार को हुए गांधी मैदान हादसे का सबसे बड़ा कारण मैदान परिसर में अंधेरे को माना जा रहा है. इसके बाद जिला प्रशासन की नींद खुली, तो आनन-फानन में बल्ब के नहीं जलने का कारण पता किया. जानकारी मिली कि बिजली बिल भुगतान नहीं होने के कारण सारे सीएफएल के कनेक्शन काट दिये गये हैं. जिला प्रशासन ने पेसू से संपर्क किया और सभी बंद पड़े सीएफएल बिजली कनेक्शन बहाल कराया और रविवार की शाम से सभी सीएफएल लाइट जलने लगी है.
उधर हाइ मास्ट लाइट के मेंटेनेंस कार्य की जिम्मेवारी निगम प्रशासन की है, लेकिन उसे पता ही नहीं कि कब से दो हाइ मास्ट लाइट बंद हैं. दुर्घटना के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर दोनों हाइ मास्ट को पेसू अभियंता के सहयोग से दुरुस्त किया गया है. इसके बावजूद एक हाइ मास्ट लाइट नहीं जल रही है. जिला प्रशासन को पता है कि रावण वध कार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोग गांधी मैदान में जुटते हैं. कार्यक्रम शाम के समय है, जिस समय अंधेरा हो जाता है. इसको लेकर डीएम-एसएसपी ने संयुक्तादेश जारी किया था, लेकिन उसकी मॉनीटरिंग नहीं की गयी थी. यही नहीं संबंधित अधिकारियों ने गांधी मैदान का निरीक्षण भी नहीं किया था.
अब भी अपनों की तलाश में भटक रहे कई परिवार
बेटी को याद कर बेहोश हो जाती है प्रतिभा
गांधी मैदान हादसे में मुस्कान (8) खो चुकी है. वह मां के साथ रावण वध देखने गयी थी. भगदड़ में मां प्रतिभा भीड़ में पैरों के नीचे दबी थी और मुस्कान का साथ छूट गया. बेटी की याद में प्रतिभा बेहोश हो जाती है. होश में आने पर वह बेटी को सामने लाने की जिद करती है. तीन दिनों से वह बेटी को खोजने के लिए पीएमसीएच आ रही है,लेकिन बेटी का पता नहीं चल पाया. यह स्थिति सिर्फ प्रतिभा की नहीं बल्कि कई लोगों की है.
पत्नी और दोनों बच्चियां गायब
वैशाली जिले के चंद्रेश्वर दास की पत्नी तारा देवी (35) हादसे में खो गयी है. पत्नी के साथ बेटी मिंटू (4) और निशु (7) का भी पता नहीं चल रहा है. चंद्रेश्वर ने बताया कि रावण वध हो चुका था. सभी वापस जा रहे थे. अचानक भगदड़ मची. कोई समझ नहीं पा रहा था. बस भागम भाग मची थी. हम जहां पर खड़े थे कुछ ही दूरी पर एक बच्च गिर गया.
लोग उस पर चढ़ कर निकलने लगे. उसकी मां रोने लगी. बस एक ही बात कह रही थी.मेरे बेटे को क्यों कुचल रहे हो? वह मर गया,लेकिन उसकी कोई सुनने को तैयार नहीं था. हम लोग थोड़ा साइड होकर निकलने लगे तभी मेन गेट तक पहुंचते ही परिवार का साथ छूट गया. जब बाहर निकले तो बड़ा बेटा अनुराग मेरे साथ था. काफी खोज की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. तब से लेकर आज तक पीएमसीएच में हैं.
साली का पता नहीं
रावण वध नहीं देखने की मेरी बात न
तो पत्नी मानी और न साली रिंकू. वैशाली जिले से आये संजय ने बताया कि साली रिंकू परिवार के साथ पटना के गर्दनीबाग में रहती है. भगदड़ में दोनों बहनों का साथ छूट गया. पत्नी तो गर्दनीबाग पहुंच गयी, लेकिन चार दिन बाद भी रिंकू का पता नहीं चल सका. पीएमसीएच के सभी वार्डो में रिंकू
देवी का पता लगाने के लिए संजय परेशान हैं.