कई बार हमारे साथ ऐसा होता है कि हम बहुत मेहनत करते हैं, दिन-रात एक कर देते हैं, लेकिन हमें 100 परसेंट रिजल्ट की जगह 80 परसेंट ही रिजल्ट मिल पाता है. ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? निश्चित रूप से हमें और मेहनत करनी चाहिए. जब हम अपना फोकस चेंज किये बिना दोबारा काम में लग जाते हैं, तो भले ही हमें 100 परसेंट न मिले, लेकिन 90 परसेंट तक हम जरूर पहुंच जाते हैं. आगे बढ़ने का यही सही तरीका है. धीरे-धीरे अपनी मेहनत से आगे बढ़ना, लेकिन अगर हमने 80 परसेंट आने के बाद इधर-उधर देखा और पाया कि आसपास वालों को तो 100 परसेंट मिल गया है, हमारा फोकस तभी बदल जायेगा. हमारे अंदर ईष्र्या की भावना आ जायेगी. हम दुखी हो जायेंगे. हमारा परफॉर्मेस गिर जायेगा. अब अगली बार हम 80 से नीचे गिर कर 60 परसेंट तक आ जायेंगे.
यही गलती हम रोज करते हैं. कई लोग दूसरों को देख कर अपना परफॉर्मेस गिरा लेते हैं और कई लोग इससे भी आगे जा कर यह सोचते हैं कि अब सामने वाले का 100 परसेंट कैसे कम किया जाये. वे जाल बिछाते हैं, चालें चलते हैं. साजिशें रचते हैं और काम बिगाड़ते हैं. लेकिन वे भूल जाते हैं कि जब हम किसी को नीचे करने के लिए गलत काम करते हैं, तो इस कर्म का फल भी आज नहीं तो कल, हमें जरूर मिलता है. भले ही आपने किसी के काम में बाधा डाल कर सफलता पा ली हो, लेकिन अगर सामने वाले को इससे दुख पहुंचा है, तो आपकी जिंदगी में भी यह दुख एक न एक दिन घूम कर, किसी न किसी रूप में जरूर आयेगा. यही जीवन का सत्य है.
कई बार हम बिजनेस मैन, ऑफिस के कर्मचारी ये सोचते हैं कि बिजनेस में थोड़ा बहुत ये सब तो चलता रहता है. कर्मचारी भी कहते हैं कि थोड़ा बहुत तो करना ही पड़ता है. वरना हम पिछड़ जायेंगे. बस हम भूल जाते हैं कि इस थोड़े बहुत का थोड़ा बहुत रिजल्ट भी हमें मिलेगा.
दोस्तों, हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि हम जैसा कर्म करते हैं, उसका वैसा ही फल हमें मिलता है. बेहतर है कि हम बद्दुआ नहीं, बल्कि दुआएं कमाएं.
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