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तारा शाहदेव प्रकरण:मारपीट और निकाह तक ही सीमित रही पुलिस की जांच

तारा शाहदेव प्रकरण मामले में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद उसे गुरुवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. वहीं पुलिस ने रंजीत की मां कौशल्या देवी को रिमांड में लेने के लिए अदालत में अरजी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर […]

तारा शाहदेव प्रकरण मामले में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद उसे गुरुवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. वहीं पुलिस ने रंजीत की मां कौशल्या देवी को रिमांड में लेने के लिए अदालत में अरजी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. रंजीत की मां को दो दिनों के लिए रिमांड पर लिया जायेगा. इस बीच तारा शाहदेव खेल मंत्री से मिली और अपनी बातें रखी. गुरुवार को रकीबुल ने पुलिस से मां की जमानत हो जाने पर फ्लैट में रहने देने के लिए ताला खोल देने का भी आग्रह किया.

रांची: निशानेबाज तारा शाहदेव प्रकरण के मामले में पुलिस की जांच अब तक सिर्फ रंजीत उर्फ रकीबुल की और से तारा शाहदेव के साथ मारपीट और निकाह करने तक सीमित रह गयी है. जांच के दौरान पुलिस ने जिन लोगों का बयान लिया है और जो साक्ष्य एकत्रित किये हैं, वह भी सिर्फ रंजीत उर्फ रकीबुल द्वारा तार शाहदेव के साथ मारपीट करने और निकाह करने से संबंधित है.

पुलिस ने कहने के लिए जांच का दायरा आगे तो बढ़ाया, लेकिन अब तक किसी बिंदु पर पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ सकी है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जब रंजीत को तीन दिनों के लिए रिमांड पर लिया, तब उसने पूछताछ में नेताओं, पुलिस अफसरों, वन विभाग के अधिकारियों और न्यायिक सेवा के अधिकारियों के साथ संबंध होने की बात स्वीकार की. रंजीत ने यह भी बताया कि वह आरंभ में अपना दिन गरीबी में गुजार चुका है. वन विभाग के अफसरों के संपर्क में आने के बाद उसे लाखों रुपये के काम मिले. उसने यह भी स्वीकार किया कि उसने कुछ नेताओं ने लिए न्यायालय में पैरवी की.

इधर, वन विभाग में रंजीत सिंह कोहली ने जो काम किये, उसमें रुपयों की गड़बड़ी हुई या नहीं, रंजीत सिंह कोहली को काम कैसे मिला, काम देने के लिए नियम-कानून का उल्लंघन तो नहीं हुआ, नेताओं के कहने पर उसने जिन केसों में पैरवी, उसमें नियम का उल्लंघन हुआ या नहीं, यदि कोहली ने नेताओं के कहने पर पैरवी की, तो उसे कितना लाभ हुआ, उसने रुपये किन-किन लोगों को दिये? इन बिंदुओं पर पुलिस की जांच में अब तक किसी तरह के साक्ष्य नहीं मिल पाये हैं.

तारा शाहदेव मामले की सुनवाई नौ सितंबर को
रांची. हाइकोर्ट में गुरुवार को नेशनल शूटर तारा शाहदेव के साथ रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन द्वारा धोखे से शादी कर मारपीट करने व उस पर जबरन धर्म बदलने का दबाव डालने के मामले की शीघ्र सुनवाई के लिए आग्रह किया गया. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी अखंड भारत संस्था के विजय कुमार जेठी ने जनहित याचिका दायर की है.

अपराध बड़ा, पर धाराएं हैं कमजोर: पीसी त्रिपाठी
तारा शाहदेव के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में जो धाराएं लगायी गयी है, वह कम है. पुलिस का अनुसंधान जारी है. रोज नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं. जो बातें सामने आ रही है, उसके अनुसार लगायी गयी धाराएं काफी कम है. हालांकि जांच अभी प्रारंभिक स्थिति में है. इसलिए किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दीबाजी होगी. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता व आपराधिक मामलों के जानकार पीसी त्रिपाठी ने कही. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि तारा शाहदेव की शिकायत पर हिंदपीढ़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस ने धारा 498ए/34 आइपीसी लगायी है. 498ए पत्नी को प्रताड़ित करने व एक नीयत होकर जोर जबरदस्ती करने का मामला है. इसमें तीन वर्ष का कारावास एवं जुर्माने का प्रावधान है. श्री त्रिपाठी ने कहा कि जांच का पहलू चारों तरफ से खुला हुआ है. जांच जारी है. अनुसंधान में जो तथ्य मिलते जायेंगे, उसके अनुसार पुलिस सुपरविजन में नयी धाराएं लगा सकती है.

धाराएं जोड़ने की काफी संभावना : विश्वजीत मुखर्जी

आपराधिक मामलों के अधिवक्ता विश्वजीत मुखर्जी ने कहा कि नेशनल शूटर तारा शाहदेव द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में पुलिस द्वारा 498ए/34आइपीसी की धाराएं लगाया जाना सिर्फ शुरुआती कदम है. नयी दफा लगाये जाने की पर्याप्त गुंजाइश है. पुलिस धर्म परिवर्तन के मामले में और कई धाराएं जोड़ सकती है. आरोपी रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन को पकड़ कर पुलिस पूछताछ कर रही है. नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं. बड़े-बड़े लोगों के साथ आरोपी की सांठगांठ का खुलासा हो रहा है. फिलहाल पुलिस की जांच पर लांछन लगाना या दखल देना उचित नहीं होगा. तहकीकात के बीच कोई भी आरोप लगाना जल्दीबाजी होगा. श्री मुखर्जी ने कहा कि ज्यूडिशियरी पुलिस का रबर स्टांप नहीं है. पुलिस धारा नहीं जोड़ेगी या आरोपी को बचाने का प्रयास करेगी, तो ज्यूडिशियरी से आग्रह कर धाराएं लगवायेंगे. आरोपी को उसके अपराध की सजा जरूर मिलनी चाहिए.

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