इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों ने अमरीकी पत्रकार जेम्स फॉली की रिहाई के लिए आठ करोड़ पाउंड यानी आठ अरब रूपए की मांग की थी.
फॉली ग्लोबल पोस्ट अखबार के लिए काम करते थे. अख़बार के सीईओ फिलिप बालबोनी का कहना था कि इस्लामिक स्टेट ने पिछले साल पैसे मांगे थे.
फॉली का अपहरण नवंबर 2012 में हुआ था और इस हफ्ते एक वीडियो जारी किया गया जिसमें फॉली का सर कलम करते हुए दिखाया गया है.
अमरीका ने फॉली की हत्या के मामले में आपराधिक जांच शुरु कर दी है.
अमरीका के अटार्नी जनरल एरिक होल्डर ने जांच की घोषणा करते हुए कहा कि अमरीका की याद्दाश्त कमज़ोर नहीं है.
उनका कहना था, ” हमने आपराधिक जांच शुरु कर दी है. जिन लोगों ने ऐसी घटना को अंजाम दिया है उन्हें ये समझने की ज़रुरत है कि हमारा न्याय विभाग, रक्षा विभाग और इस देश की याद्दाश्त लंबी है और हमारी पहुंच दूर तक है.
इस बीच ब्रिटेन में पुलिस और सुरक्षा सेवाओं का कहना है कि वो इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि फॉली को मारने वाला जिहादी ब्रितानी था या नहीं.
अपुष्ट खबरों के अनुसार हत्यारे का बोलने का तरीका लंदन या दक्षिण पूर्व इंग्लैंड जैसा था.
इस वीडियो में चरमपंथियों ने चेतावनी दी है कि अगर अमरीका उत्तरी इराक़ में बमबारी नहीं रोकेगा तो एक और अमरीकी की हत्या की जाएगी.
हालांकि इस चेतावनी के बाद भी मोसूल के पास अमरीकी बमबारी जारी है.
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