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पश्चिम बंगालः राज्यपाल जगदीप धनखड़ को विधानसभा में घुसने से रोका

<figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/788C/production/_110006803_governeroathtakingcermony-2.png" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> </figure><p>अभूतपूर्व और न भूतो न भविष्यति. गुरुवार सुबह को पश्चिम बंगाल विधानसभा के सामने जो नाटक हुआ उसकी व्याख्या इन दो शब्दों में ही की जा सकती है. </p><p>कुछ विधेयकों को राज्यपाल का अनुमोदन नहीं मिलने और इस वजह से विधानसभा का शीतकालीन अधिवेशन दो […]

<figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/788C/production/_110006803_governeroathtakingcermony-2.png" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> </figure><p>अभूतपूर्व और न भूतो न भविष्यति. गुरुवार सुबह को पश्चिम बंगाल विधानसभा के सामने जो नाटक हुआ उसकी व्याख्या इन दो शब्दों में ही की जा सकती है. </p><p>कुछ विधेयकों को राज्यपाल का अनुमोदन नहीं मिलने और इस वजह से विधानसभा का शीतकालीन अधिवेशन दो दिनों के लिए स्थगित होने के विवाद के बीच गुरुवार को विधानसभा के सामने जो कुछ हुआ, देश के संसदीय इतिहास में उसकी शायद ही कोई दूसरी मिसाल मिले. </p><p>राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पहले से सूचना के बावजूद विधानसभा परिसर में घुसने से रोक दिया गया. </p><p>वहां, उनके स्वागत के लिए न तो विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी मौजूद थे और न ही दूसरा कोई अधिकारी. बाद में राज्यपाल सामान्य गेट से पैदल ही भीतर घुसे.</p><p>विधानसभा में पुस्तकालय का दौरा करने के बाद बाहर निकले राज्यपाल ने पत्रकारो से बातचीत में इस घटना को संविधान और लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक करार दिया. </p><p>राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, &quot;मेरा दिल लहूलुहान है.&quot; </p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/E0CF/production/_110015575_governeratassemblygate.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> <figcaption>विधानसभा के गेट पर राज्यपाल</figcaption> </figure><h1>राज्यपाल का काफिला</h1><p>धनखड़ ने कहा कि उन्होंने बुधवार को ही विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा में आने की सूचना दे दी थी. </p><p>विधानसभा सचिव ने राजभवन के विशेष सचिव को फोन कर राज्यपाल को सपत्नीक दोपहर के भोज का न्योता भी दिया था. </p><p>लेकिन घंटे भर बाद ही उनको आने से मना कर दिया गया. </p><p>बावजूद इसके सुबह साढ़े दस बजे राज्यपाल का काफ़िला जब विधानसभा पहुंचा तो उनके लिए तय गेट नंबर तीन पर मोटा ताला जड़ा था. </p><p>बंद गेट के सामने कुछ देर तक इंतज़ार करने के बाद राज्यपाल पैदल ही सामान्य गेट से भीतर गए. </p><p>बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और राज्य सरकार की जम कर खिंचाई की.</p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/12EEF/production/_110015577_governerwithleftleaders.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> <figcaption>वामपंथी नेताओं के साथ राज्यपाल</figcaption> </figure><h1>विधानसभा की कार्रवाई</h1><p>इससे पहले बुधवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय की सीनेट की पहली बैठक में जाने पर वाइस-चांसलर और रजिस्ट्रार समेत तमाम अधिकारी ग़ैर-हाजिर रहे थे. </p><p>धनखड़ ने बुधवार को भी सरकार और विश्वविद्यालय प्रबंधन को खरी-खोटी सुनाई थी. </p><p>तृणमूल कांग्रेस की ओर से विधानसभा की कार्रवाई अचानक स्थगित होने का आरोप लगाए जाने के बाद धनखड़ ने बुधवार को कहा था, &quot;मैं न तो वह रबर स्टांप हूं और न ही पोस्ट ऑफिस.&quot; </p><p>उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, &quot;राज्यपाल के तौर पर मैं संविधान का पालन करता हूं और आंख बंदकर के फ़ैसले नहीं ले सकता.&quot; </p><p>राज्यपाल का कहना था कि वे संविधान के मुताबिक़ विधेयकों की जांच करने और बिना देरी के काम करने के लिए बाध्य हैं. इस मामले में सरकार की ओर से देर से हुई है.</p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/17D0F/production/_110015579_governeroathtakingcermony-6.png" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> </figure><h1>धनखड़ का राजनीतिक करियर</h1><p>जनता दल के टिकट पर वर्ष 1989 से 1991 के बीच राजस्थान के झुंझनू से सांसद रहे धनखड़ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रह चुके हैं. वे केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. </p><p>राजस्थान हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष धनखड़ वर्ष 1993 से 1998 तक राजस्थान के ही किशनगढ़ से विधायक रहे हैं.</p><p>लगभग चार महीने पहले बंगाल के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभलाने वाले धनखड़ ने इस दौरान जितनी सुर्खियां बटोरी हैं उतनी शायद उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में नहीं बटोरी होंगी. </p><p>बीते साढ़े तीन महीनों के दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन बीता है जब राज्यपाल और सरकार या सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच विवाद नही हुआ हो. </p><p>बीते महीने संविधान दिवस के मौक़े पर विधानसभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की सराहना की थी. </p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/4877/production/_110015581_rajbhawan-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> <figcaption>पश्चिम बंगाल का राजभवन</figcaption> </figure><h1>राज्यपाल का अभिभाषण</h1><p>राज्यपाल ने अपने भाषण में संवैधानिक प्रमुख पद की गरिमा कम करने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया था. </p><p>वहीं, ममता ने अपना भाषण उस समय शुरू किया जब राज्यपाल अपना भाषण ख़त्म कर सदन से निकल गए थे. </p><p>राज्यपाल और ममता ने वहां अभिवादन तो दूर, एक-दूसरे से आंख तक नहीं मिलाई थी.</p><p>राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव की शुरुआत उस समय हुई थी जब पुलिस के साथ झड़प में उत्तर 24-परगना जिले के बैरकपुर में बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के घायल होने के बाद दिल्ली दौर पर गए राज्यपाल बीच में ही यहां लौटे थे. </p><p>अस्पताल में सांसद से मुलाक़ात के बाद पहली बार उन्होंने राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाया था. </p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/9697/production/_110015583_governerwithbabul-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> <figcaption>बाबुल सुप्रियो के साथ राज्यपाल धनखड़</figcaption> </figure><h1>बाबुल सुप्रियो वाली घटना</h1><p>विभिन्न ज़िलों का दौरा कर प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाने के मुद्दे पर भी सरकार और राजभवन में ठनी रही. </p><p>राज्यपाल के दौरों के लिए सरकार ने हेलिकॉप्टर मुहैया नहीं कराया था. राजभवन की ओर से जारी बयानों में इसकी भी आलोचना की गई थी.</p><p>जादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के वामपंथी छात्र संगठनों की ओर से घेराव और उसके बाद उनको बचाने के लिए राज्यपाल के मौक़े पर जाने के बाद यह टकराव तेज़ हो गया था. </p><p>राज्यपाल ने इस घटना को राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति का गंभीर प्रतिबिम्ब बताया था.</p><p>दुर्गापूजा के मौक़े पर एक कार्यक्रम में राज्यपाल ने किसी का नाम लिए बिना कहा था, &quot;लोगों को लक्ष्मण रेखा पार किए बिना अपनी ड्यूटी करनी चाहिए. मैं कभी लक्ष्मणरेखा पार नहीं करूंगा. लेकिन आप सबको भी इसका ख़्याल रखना चाहिए.&quot; </p><figure> <img alt="पश्चिम बंगाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/DD4B/production/_110015665_governeratrajbhawan.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Sanjay Das/BBC</footer> </figure><h1>लोकतंत्र की भावना के ख़िलाफ़</h1><p>पहले राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कम से कम एक-दूसरे के ख़िलाफ़ कोई टिप्पणी नहीं की थी. </p><p>लेकिन अब तो दोनों-एक-दूसरे का नाम लिए बिना खुल कर बोलने लगे हैं. राज्यपाल ने ममता बनर्जी और राज्य सरकार पर राज्यपाल पद की गरिमा कम करने, अपमानित करने जैसे आरोप लगाए हैं तो ममता ने उनका नाम लिए बिना कह चुकी हैं कि कुछ लोग समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं.</p><p>तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी कई बार धनखड़ पर संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करने का आरोप लगा चुके हैं. </p><p>चटर्जी का कहना है, &quot; मैंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसा कोई राज्यपाल नहीं देखा है जो रोज़ाना मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की आलोचना करता हो और मीडिया को बयान देता हो.&quot;</p><p>राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच लगातार बढ़ती कड़वाहट लोकतंत्र की भावना के ख़िलाफ़ है. </p><p>राजनीतिक विश्लेषक मईदुल इस्लाम कहते हैं, &quot;इस खींचतान औऱ टकराव से राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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