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भारत की विकास दर और घटने की आशंका, गहराएगा नौकरियों का संकट- नज़रिया

<figure> <img alt="ग्रामीण" src="https://c.files.bbci.co.uk/136F2/production/_109720697_f2e623da-b96d-4469-b1af-b121a9e22515.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इकोनॉमिक थिंक-टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में और गिरावट आ सकती है.</p><p>एनसीएईआर का अनुमान है कि लगभग ‘सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रही सुस्ती के कारण’ 2019-20 की […]

<figure> <img alt="ग्रामीण" src="https://c.files.bbci.co.uk/136F2/production/_109720697_f2e623da-b96d-4469-b1af-b121a9e22515.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इकोनॉमिक थिंक-टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में और गिरावट आ सकती है.</p><p>एनसीएईआर का अनुमान है कि लगभग ‘सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रही सुस्ती के कारण’ 2019-20 की दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 4.9 प्रतिशत रह सकती है.</p><p>इसके पहले विश्व बैंक, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और आईएमएफ़ भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटा चुके हैं.</p><p>हाल ही में आई एसबीआई की रिपोर्ट में दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.</p><p>भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में अपने सबसे ऊंचे स्तर (8.1%) पर थी लेकिन इसके बाद से इसमें गिरावट देखने को मिली है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49525189?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी या सुस्ती का दौर?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48481291?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बेरोज़गारी दर 45 साल में सबसे ज़्यादा</a></li> </ul><figure> <img alt="मज़दूर" src="https://c.files.bbci.co.uk/77EE/production/_109720703_ec1886ad-f61e-454f-b5e1-c646e3a68fe6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>निर्यात में भी भारी कमी आई है</figcaption> </figure><p>चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तो यह छह साल के न्यूनतम स्तर (5%) पर पहुंच गई थी. अब अगर एनसीएईआर का अनुमान सही बैठा तो इसमें और कमी आ सकती है.</p><p>वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के आंकड़े सरकार इस महीने के आख़िर में जारी करेगी.</p><p>नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की सीनियर फ़ेलो <strong>बोर्नाली भंडारी</strong> से बीबीसी संवाददाता <strong>आदर्श राठौर</strong> ने बात की और जानना चाहा कि क्यों अनुमानित विकास दर कम है और इसका आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा.</p><p>पढ़िए, उन्होंने क्या बताया.</p><h3>’मांग में भारी गिरावट'</h3><p>एनसीएईआर ने 2019-20 वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इसका कारण यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मांग में बहुत गिरावट आई है. </p><p>प्राइवेट या घरेलू मांग में भी गिरावट देखने को मिली है. साथ ही टीवी, फ्रिज जैसी कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स और खाने-पीने की चीज़ों और कपड़ों जैसी कंज़्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स चीज़ों के औद्योगिक उत्पाद का सूचकांक भी गिरा है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50342521?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मूडीज़ ने भारत की रेटिंग ‘नकारात्मक’ क्यों की?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50093074?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारतीय अर्थव्यवस्था में अब भी गड़बड़ी – IMF प्रमुख</a></li> </ul><figure> <img alt="मज़दूर" src="https://c.files.bbci.co.uk/18512/production/_109720699_fd179760-2529-4bfb-a474-2ded78a7a56f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में जून से ही निगेटिव ग्रोथ दिख रही है जबकि कंज़्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स की ग्रोथ सितंबर में निगेटिव दिखी है.</p><p>इस निगेटिव ग्रोथ से पता चल रहा है कि देश के अंदर रहने वाले लोगों द्वारा होने वाला ख़र्च यानी प्राइवेट फ़ाइनल कंज़ंप्शन एक्सपेंडिचर भी गिरा है.</p><p>इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही से ही गुड्स एंड सर्विसेज़ का निर्यात सितंबर में 1.9 प्रतिशत रह गया. अक्तूबर में तो एक्सपोर्ट ग्रोथ निगेटिव में चली गई. </p><p>इसके अलावा निवेश की ग्रोथ भी निगेटिव है और सरकार द्वारा किए जाने वाले ख़र्च भी कम हुए हैं. जब चारों तरफ़ से मांग कम हो गई है तो इसी का कारण है कि विकास दर का अनुमान भी काफ़ी कम हो गया है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50064055?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सारी दुनिया के साथ भारत में भी मुश्किल दौर में अर्थव्यवस्था, IMF का अनुमान</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-50041810?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अर्थव्यवस्था की सुस्ती पर वित्त मंत्री के पति की सलाह </a></li> </ul><h1>नौकरियों पर असर</h1><p>किसानों की बात करें तो वह काफ़ी समय से कष्ट में हैं. अब मनरेगा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जैसी प्रमुख योजनाएं सरकार चला रही है ताकि ग्राणीण क्षेत्रों में डिमांड पैदा हो.</p><p>सरकार इन दोनों योजनाओं पर ध्यान दे रही है मगर पैसों को सरकार से लोगों तक पहुंचने और फिर उसे ख़र्च होने में समय लगता है.</p><p>उधर, संगठित क्षेत्र की बात करें तो जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उन्हें तो उतना फ़र्क़ नहीं पड़ेगा मगर बेरोज़गारों के लिए समस्या है.</p><p>हर साल नौकरी की तलाश में आने वाले नए युवाओं और टेक्नॉलजी बदलने या कंपनी बंद होने से प्रभावित हुए लोगों को भी समस्या होगी क्योंकि ग्रोथ कम रहने से नौकरियां पैदा नहीं होंगी.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50449583?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी सरकार NSO का डेटा क्यों रोकना चाहती है? </a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50051445?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नोबेल के बाद अभिजीत बोले संकट में है भारत</a></li> </ul><figure> <img alt="कर्मी" src="https://c.files.bbci.co.uk/29CE/production/_109720701_fd3d88e6-1184-47d3-a04a-90180a7facb0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>नई नौकरियां पैदा होने में मुश्किल आ सकती है</figcaption> </figure><h1>मांग बढ़ानी होगी</h1><p>सरकार की ओर से उद्यमों (आन्ट्रप्रनर्शिप) को बढ़ावा देने के लिए क़र्ज़ दिए जा रहे हैं लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सूक्ष्म उद्यमों को सबसे कम क़र्ज़ मिल रहा है. अधिकतर क़र्ज़ लघु और मध्यम उद्यमों को ही मिल रहा है.</p><p>भले ही इस दिशा में सरकार कोशिश कर रही है लेकिन वे प्रयास उतने सफल नहीं हो पा रहे. सूक्ष्म उद्यम या माइक्रो एंटरप्राइज़ वे होते हैं जिनका टर्नओवर एक करोड़ से कम होता है. इन उद्योगों के प्रभावित होने के कारण भी नौकरियों पर असर पड़ता है. यह भी एक चुनौती है.</p><p>कुल मिलाकर स्थिति यह है कि अगर उत्पादन हो भी रहा है तो सवाल यह है कि उसे ख़रीदने वाला भी तो कोई होना चाहिए.</p><p>ख़रीद नहीं हो रही तो मांग कम है. सप्लाई पर ध्यान दिया जा रहा है लेकिन मांग नहीं बढ़ रही. इसलिए ज़रूरी है कि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाई जाए.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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