<figure> <img alt="सबरीमला मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12935/production/_109658067_38d259ed-4e23-4287-90d3-2bed5245bc52.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद पर फ़ैसले के बाद सबरीमाला से जुड़ी पुरानी परंपरा से जुड़े भक्तों की नज़रें सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फ़ैसले पर है.</p><p>उनका कहना है कि स्वामी अयप्पा के मंदिर से जुड़ी परंपरा पर उनके भरोसे की जीत होगी और 10 साल से 50 साल के बीच उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगेगी.</p><p>लेकिन उम्मीद के साथ-साथ उन्हें आशंका भी है कि फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट क्या कहने वाली है. </p><p>बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हर उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा अर्चना सकती हैं. </p><p>इस फ़ैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिकाएं दायर की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ऐसी क़रीब 60 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. </p><p>इस साल के मंडला मकरविलयाकू के शुरु होने से पहले ही केरल सरकार ने सन्निधानम, सबरीमाला, पम्बा और निलक्कल के आसपास के इलाकों में करीब दस हज़ार पुलिसकर्मियों की तैनाती का फै़सला किया है. </p><p>सबरीमला मंदिर के कपाट पहली पूजा के लिए इसी शनिवार शाम को खुलेंगे.</p><p>रेडी टू वेट (इंतज़ार के लिए तैयार) महिला आंदोलन की पद्मा पिल्लई ने बताया, "हमें अयोध्या पर आए फ़ैसले और अनुच्छेद 25 को देखते हुए उम्मीद जगी है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आस्था से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने का हक़ नहीं होना चाहिए. हमारे वकीलों को इस बात का भरोसा है कि इस मामले में संवैधानिक समीक्षा हो सकती है और हो सकता है कि ये मामला आगे एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया जाए."</p><figure> <img alt="सबरीमला मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/17755/production/_109658069_02b8faab-0c5d-4a6f-9d2e-96a4930f9477.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>28 सितंबर 2018 में दिए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि स्वामी अयप्पा को "नैष्टिक ब्रह्मचारी" माना जाता है लेकिन उनके मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं और पुरुषों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.</p><p>कोर्ट के फ़ैसले के बाद पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे. इन विरोध प्रदर्शनों में कई महिलाएं भी शामिल थीं. 50 साल से अधिक की उम्र की कई महिलाओं को मंदिर जाने से रोका गया था और उनके साथ हिंसा भी हुई थी.</p><p>मंदिर जाने के लिए कई महिलाओं को पुलिस की सुरक्षा भी मुहैय्या कराई गई थी, लेकिन इसका भी जमकर विरोध हुआ. हालांकि 2 जनवरी को कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनि नाम की दो महिलाएं सन्निधानम तक जाने और पूजा करने में सफल हुईं.</p><figure> <img alt="कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनि" src="https://c.files.bbci.co.uk/10225/production/_109658066_22bf7f63-de4b-49de-8c79-99ceab2f6967.jpg" height="549" width="976" /> <footer>IMRAN QURESHI/BBC</footer> <figcaption>कनकदुर्गा (बाईं तरफ) और बिंदु अम्मिनि के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने को लेकर केरल दो दिन तक बंद रहा और पूरे राज्य में हिंसा होती रही.</figcaption> </figure><p>सामाजिक कार्यकर्ता और अयप्पा धर्म सेना से जुड़े राहुल ईश्वर कहते हैं कि कुछ मायनों में सबरीमाला मंदिर का मामला अयोध्या मामले जैसा है, हालांकि थोड़ा अलग भी है.</p><p>वो कहते हैं, "हम ये नहीं कहते कि आस्था का मामला क़ानून से ऊपर है. लेकिन हम अनुच्छेद 25 और 26 के तहत आस्था के हक के अधिकार की क़ानूनन सुरक्षा चाहते हैं. हम कह रहे हैं कि नैष्टिक ब्रह्मचारी होने के नाते स्वामी अयप्पा के जो अधिकार हैं कि उनकी सुरक्षा की जानी चाहिए."</p><p>ईश्वर को उम्मीद है कि कोर्ट का फ़ैसला उनके पक्ष में आएगा. हालांकि वो कहते हैं कि अगर फ़ैसला उनके पक्ष में न आया तो वो फिर से कोर्ट में क्यूरेटिव पीटिशन डालेंगे और साथ में इसके ख़िलाफ़ अध्यादेश लाने के लिए केंद्र सरकार पर भी दवाब डालेंगे."</p><p>ईश्वर मानते हैं, "भारत में जगन्नाथ पुरी समेत कुछ और मंदिरों में प्रवेश को लेकर कुछ समुदायों पर रोक है और यहां भी ऐसा है है. अनुच्छेद 24 और 25 के अनुसार हम अपने नियम खुद बना सकेंगे और ये तय कर सकेंगे कि कौन मंदिर में प्रवेश करे और किसे मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाए."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46864533?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सबरीमला में मकरज्योति की क्या है महत्ता</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46765823?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’धमकियां मिल रही हैं, लेकिन हम डरती नहीं हैं'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45921061?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’कोई महिला बिना चोट खाए सबरीमला मंदिर नहीं पहुंच सकती'</a></li> </ul><p>सबरीमला कर्म समिति के महासचिव एसजेआर कुमार ने अपील की है कि सबरीमाला मामले में फ़ैसला जो भी हो लोग बिना विरोध के उसे ठीक वैसे ही स्वीकार करें जैसा अयोध्या मामले में लोगों ने स्वीकार किया है.</p><p>कुमार कहते हैं, "किसी तरह की कोई हिंसा नहीं होगी. अगर कोई विरोध प्रदर्शन हुआ भी तो शांतिपूर्ण होगा. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान जप आयोजित किए जाएंगे. पिछली बार जो कुछ हुआ था वो पुलिस की सख्ती और मंदिर से जुड़े रास्तों पर हिंसक तत्वों के उतरने के कारण हुआ था."</p><p>ईश्वर और कुमार दोनों मानते हैं कि अगर फ़ैसले से कोई असंतुष्ट हुआ तो इसके लिए क़ानूनी रास्ते तलाशे जाएंगे. </p><p>केरल हिंदू हेल्पलाइन के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ नाम के एक व्यक्ति ने ट्विटर पर लिखा है, "कोर्ट का फ़ैसला पक्ष में आए इसके लिए लाखों भक्त पूजा कर रहे हैं. लेकिन ये कलयुग है और हमें बुरे वक्त के लिे तैयार रहना चाहिए."</p><p><a href="https://twitter.com/pratheesh_Hind">https://twitter.com/pratheesh_Hind</a></p><p>कुमार कहते हैं, "हमने सभी से हर हाल में शांति बनाए रखने के लिए कहा है. हम इस मामले में केंद्र सरकार से भी बात करेंगे क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में ये स्पष्ट लिखा था कि वो सबरीमला मंदिर के मुद्दे पर कुछ न कुछ ज़रूर करेंगे."</p><p>पूर्व लोकसभा सदस्य और सीपीएम नेता एमबी राजेश कहते हैं कि उन्हें भरोसा है कि फ़ैसला ने के बाद कहीं कोई हिंसा नहीं होगी. </p><p>इस बात की तरफ इशारा करते हुए कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी को यहां एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी, वो कहते हैं, "लोकसभा चुनावों के दौरान मूल मुद्दा सुलझा लिया गया था."</p><p>वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इस मामले में नरम रुख़ अपना रही है और उनसे किसी तरह के विरोध प्रदर्शनों का आयोजन से दूर रहने का फ़ैसला किया है. बीते चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की 20 में से 19 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.</p><figure> <img alt="सबरीमला मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/42BD/production/_109658071_4f723844-f01f-44ce-9a12-fc9ee4ea724b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कांग्रेस नेता रमेश चेन्नितला कहते हैं, "हमें इसकी चिंता नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला देगी. हम स्वामी अयप्पा पर आस्था रखने वालों के साथ हैं. केंद्र सरकार को क़ानून के पालन करते हुए और इसके दायरे में रहते हुए सभी भक्तों के हितों की रक्षा करनी होगी. फिलहाल हमें देश में शांति व्यवस्था बनाए रखनी है."</p><p>वो कहते हैं, "हमारी और लेफ्ट डेमोक्रेटिक गठबंधन की सरकार इस बात पर स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला कुछ भी हो, राज्य सरकार संविधान के दायरे में रहते हुए उसे लागू करने की हरसंभव कोशिश करेगी."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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अयोध्या फै़सले के बाद नज़रें सबरीमाला पर
<figure> <img alt="सबरीमला मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12935/production/_109658067_38d259ed-4e23-4287-90d3-2bed5245bc52.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद पर फ़ैसले के बाद सबरीमाला से जुड़ी पुरानी परंपरा से जुड़े भक्तों की नज़रें सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फ़ैसले पर है.</p><p>उनका कहना है कि स्वामी अयप्पा के मंदिर से जुड़ी परंपरा पर उनके भरोसे की जीत होगी और 10 साल […]
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