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संयुक्त राष्ट्र में पस्त हुआ पाकिस्तान, भारत ने किया झूठ का पर्दाफाश, इन तर्कों से कश्मीर पर कराया चुप
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में जम्मू कश्मीर मामले पर भारत ने एक-एक कर पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया है. भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा कि हमारे कदम से पाकिस्तान को अहसास हो गया है कि उसके आतंकी मसूबे अब कामयाब नहीं होंगे. इसके था ही पूरी […]
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में जम्मू कश्मीर मामले पर भारत ने एक-एक कर पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया है. भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा कि हमारे कदम से पाकिस्तान को अहसास हो गया है कि उसके आतंकी मसूबे अब कामयाब नहीं होंगे. इसके था ही पूरी दुनिया के सामने भारत ने जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया.
पाकिस्तान ने 115 पेज का डोजियर सौंपा था. इन 115 पन्नों में केवल और केवल झूठ ही थी. पाकिस्तान ने राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला के बयान को भी इस डोजियर में शामिल किया था.
भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन के तर्कों से पाकिस्तान पस्त हो गया. इससे पहले भारत की विदेश मंत्रालय की सचिव विजय ठाकुर सिंह ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि झूठ की यह कहानी वैश्विक आतंकवाद के केंद्र से आती है. भारत के इस दोहरे हमले ने पाकिस्तान की एक बार फिर बोलती बंद कर दी. भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के मंच पर क्या तर्क रखे, यहां पढ़ें…
– भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने बोलते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के बारे में गलत और मनगढ़ंत कहानी पेश की है. भारत द्वारा अपने संवैधानिक ढांचे के अनुरूप ही अनुच्छेद 370 को लेकर फैसला लिया गया है. अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, इसमें बदलाव करना पूरी तरह भारत का आतंरिक मामला और अधिकार है.
– पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और वह वैकल्पिक कूटनीति के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का संचालन करता है. भारत मानवधिकारों को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में दृढ़ता से विश्वास करता है.
– जो लोग क्षेत्र में किसी भी रूप में आतंकवाद को बढ़ावा देने व वित्तीय तौर पर इसका समर्थन करते हैं, वास्तव में वही मानव अधिकारों के सबसे बड़े हननकर्ता हैं.
– पाकिस्तान पीड़ित बनने का रोना रो रहा है, जबकि वास्तव में वह खुद मानवाधिकारों के हनन का अपराधी है. हमें उन लोगों पर लगाम कसनी चाहिए, जो मानवाधिकारों की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडों के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं.
– ये लोग (पाकिस्तान) दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों पर बोलने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वे अपने ही देश में उन्हें रौंद रहे हैं, वे पीड़ित की तरह रो रहे हैं, जबकि वास्तव में वे अपराधी हैं. कहा कि पाकिस्तान ने मानवाधिकार पर वैश्विक समुदाय की आवाज के रूप में बोलने का नाटक किया है, लेकिन वह दुनिया को और बेवकूफ नहीं बना सकता.
उसकी यह बयानबाजी पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ईसाई, सिख, शिया, अहमदिया और हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न से अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान नहीं भटका सकेगी।
– भारत ने अनुच्छेद 370 पर संसद द्वारा पारित अन्य विधानों की तरह ही भारतीय संसद द्वारा एक पूर्ण बहस के बाद लिया गया. इसे व्यापक तौर पर समर्थन भी मिला. विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान का नाम लिए बगैर उनके बयान का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान के कुछ नेताओं ने तो जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए जेहाद करने की भी मांग की है. पाकिस्तान ने इसके लिए ऐसी तस्वीरें दिखानी शुरू कीं, जिनका सच से कोई लेना-देना नहीं है.
– इस फैसले से संपत्ति पर अधिकार और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व समेत लैंगिक भेदभाव का अंत होगा, बाल अधिकारों का बेहतर संरक्षण होगा. साथ ही घरेलू हिंसा के खिलाफ संरक्षण मिलेगा. शिक्षा, सूचना और काम का अधिकार कानून लागू होगा और शरणार्थियों और वंचितों के खिलाफ भेदभाव समाप्त होगा.
– सीमा पार आतंकवाद के विश्वसनीय खतरों का सामना करने में हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी निवारक और एहतियाती उपायों की जरूरत थी. पाकिस्तान ने आज मानवाधिकारों पर वैश्विक समुदाय की आवाज के रूप में बोलने की मिथ्या कोशिश की. लेकिन दुनिया को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता, पाकिस्तान का बुरा रिकॉर्ड अपने आप में बोलता है.
– भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में साफ कहा कि पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है पर वह दूसरों को मानवाधिकारों के बारे में सीख देता फिर रहा है. कहा कि जहां तक इस्लामिक कोऑपरेशन संगठन (ओआईसी) का संबंध है, भारत के आतंरिक मामलों में टिप्पणी करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।
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