<figure> <img alt="कश्मीर का झंडा" src="https://c.files.bbci.co.uk/134E5/production/_108577097_gettyimages-1160116476.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया गया है.</p><p>इससे दो अहम बदलाव आए हैं. पहला ये कि राज्य को दो भागों में बांट दिया गया है. एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख.</p><p>दूसरा विशेष राज्य का जो दर्जा था, वो महत्वपूर्ण तत्व था. ये हिंदुस्तान का ऐसा राज्य था जिसके बारे में लोग समझते थे कि यह पूरी तरह से भारत से जुड़ा नहीं है.</p><p>जो भी नेता थे वो हमेशा 370 के मुद्दे को प्राथमिकता देते थे, उसे आगे लेकर चलते थे. वे कहते थे कि वो हिंदुस्तान का पूरा हिस्सा नहीं हैं, उनका भविष्य अभी तय होना बाक़ी है.</p><p>बदलाव अब यह हुआ है कि भारत सरकार ने कहा है कि यह पूरी तरह देश का अभिन्न हिस्सा है.</p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/18305/production/_108577099_gettyimages-1465098.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>अलग होने की सोच </h1><p>लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जो फ़ैसला वर्तमान की सरकार ने किया है, क्यों वो पहले की सरकारों ने नहीं सोचा होगा?</p><p>मैं समझता हूं कि ज़रूर सोचा होगा तभी तो अनुच्छेद 370 अस्थायी था. अस्थायी होने का मतलब ही यह है कि इसे किसी वक़्त ख़त्म कर दिया जा सकता था.</p><p>लेकिन किसी ने यह क़दम नहीं उठाया.</p><p>पहले भी बहुमत की सराकरें रही हैं. मैं निसंदेह यह मानता हूं कि पहले की सरकारों ने भी गंभीरता से इसे हटाने के लिए सोचा होगा लेकिन मुझे लगता है कि सभी ने यह भी सोचा होगा कि जो भी चल रहा है उसे चलने दिया जाए.</p><p>वर्तमान सरकार ने सोचा होगा कि अगर 70 साल से यह मसला बना हुआ है और ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा तो कुछ कड़े क़दम उठाए जाएं.</p><p>और तो और सत्ताधारी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसे हटाने का ज़िक्र किया जाता रहा था.</p><p>उनकी यह सोच है कि अनुच्छेद 370 के कारण ही कश्मीरी दिलो-दिमाग से भारतीय नहीं हो पाए हैं क्योंकि अगर मैं समझूं कि मैं इसका हिस्सा नहीं हूं, मैं अलग हूं तो मैं अपने आप को हमेशा अलग ही समझूंगा.</p><h1>पाबंदियां आख़िर क्यों?</h1><p>अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या ऐसे क़दम से कश्मीरियों के दिलों को जीता जा सकता है?</p><p>मैं समझता हूं कि यह पहला क़दम है. इसके बगैर कुछ नहीं हो सकता था. दूसरा क़दम यह होगा कि आप कश्मीरियों के दिलों को कैसे जीतेंगे. इसके लिए उनके विश्वास को जीतना होगा कि यह सबकुछ उनकी बेहतरी के लिए किया गया है.</p><p>मुझे लगता है कि दूसरा कदम प्रशासनिक मुद्दा है और उसकी तरफ सरकार का ध्यान हो सकता है.</p><p>पूरी दुनिया में यह बात हो रही है कि कश्मीर में संचार के साधनों पर पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए थी. जिस तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं, वैसी नहीं लगाई जानी चाहिए थी.</p><p>लेकिन मैं उन सभी से यह कहना चाहूंगा कि सरकार इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं कर रही है कि घाटी में पाबंदियां लगाई गई हैं. वहां पाबंदियां लगी हैं और उसमें धीरे-धीरे ढील दी जा रही है.</p><p>यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया है और उसने कहा कि सरकार को समय दिया जाना चाहिए ताकि स्थितियों को सामान्य किया जा सके.</p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/75E1/production/_108577103_gettyimages-533955150.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अगर आप पाबंदियां हटा देते हैं और कल को अगर हिंसा की घटनाएं होती हैं और कुछ लोग मारे जाते हैं तो भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना होगी.</p><p>तो बेहतर यह होगा कि हिंसा को रोका जाए. जब से अनुच्छेद 370 हटाया गया है तब से तीन लोगों की मौत हुई है और उनकी मौत पत्थरबाज़ी के दौरान हुई हैं.</p><p>उनकी मौत सैन्य बलों की हिंसा में तो नहीं हुई है न, तो यह सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.</p><p>सभी लोग यह समझते हैं, यहां तक कि भारत सरकार भी समझती है कि पाबंदियां नहीं होनी चाहिए और ये हमेशा के लिए नहीं लगाई जा सकती है.</p><p>धीरे-धीरे पाबंदियां हटाई जा रही हैं. स्कूल खोल दिए गए हैं, गाड़ियां चल रही हैं, क़र्फ्यू भी हटा लिए गए हैं, सिर्फ धारा 144 लागू है.</p><p>आहिस्ता आहिस्ता ये भी सामान्य होती स्थितियों के साथ हटा ली जाएंगी.</p><p>सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों की जान की हिफ़ाज़त करना है, क़ानून व्यवस्था को बनाए रखना है. सरकार ने यह सबकुछ किया है.</p><p>अंत में मैं कहना चाहूंगा कि जो भी आलोचना है उसे सरकार स्वीकार रही है और बेहतरी के लिए काम कर रही है.</p><p><strong>(बीबीसी संवाददाता रेहा</strong><strong>न</strong><strong> फ़ज़ल से बातचीत पर आधारित)</strong></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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‘अनुच्छेद 370 कश्मीरियों को दिल से भारतीय होने से रोकता था’: नज़रिया
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