<figure> <img alt="तीन तलाक़ विधेयक" src="https://c.files.bbci.co.uk/320C/production/_108121821_21edd603-63ed-4d2c-97c3-c44450bf7674.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पिछली एनडीए सरकार में अध्यादेश के ज़रिए लागू होने वाला तीन तलाक़ विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में पास हो गया. </p><p>पिछली सरकार में लोकसभा में पारित होने के बाद विधेयक राज्यसभा में लंबित हो गया था. राज्यसभा में सरकार का बहुमत न होने के कारण इसे पास नहीं कराया जा सका था लेकिन, इस बार कुछ दलों के वॉकआउट करने की वजह से सरकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को आसानी से पारित करवाने में सफल हो गई. </p><p>दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद ये क़ानून बन जाएगा.</p><p>तीन तलाक़ विधेयक अपनी शुरुआत से ही विवादित रहा है. विपक्ष से लेकर कई सामाजिक संगठन इसका विरोध करते रहे हैं. इसे आपराधिक क़ानून बनाने और पति को सज़ा के प्रावधान को लेकर ख़ासतौर पर आपत्ति जताई गई है. </p><p>वहीं, इस विधेयक के पक्ष में भी कई लोग मौजूद हैं और तीन तलाक़ की पीड़ित मुसलमान महिलाओं की मदद के लिए इस पर क़ानून बनाया जाना ज़रूरी मानते हैं. </p><p>इस संबंध में दोनों पक्षों की राय जानने के लिए हमने <strong>ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर और एक मुस्लिम संगठन </strong><strong>इमारत </strong><strong>शरिया</strong><strong> (बिहार)</strong><strong> के </strong><strong>महासचिव अनीसुर रहमान </strong><strong>क़ासमी </strong>से बात की. पढ़िए, उनका नज़रिया: </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49167901?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तीन तलाक़ विधेयक राज्यसभा से भी पारित</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39946982?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तीन तलाक़- जो बातें आपको शायद पता न हों</a></li> </ul><figure> <img alt="तीन तलाक़ विधेयक" src="https://c.files.bbci.co.uk/802C/production/_108121823_3148a9e8-ddc8-4554-b25a-4dbb6c57f12c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>ये एक चेतावनी है: शाइस्ता अंबर </h1><p>तीन तलाक़ विधेयक का पास होना एक ऐतिहासिक जीत है. जो काम उलमाओं और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को करना चाहिए था वो सरकार ने किया. </p><p>तलाक़-ए-बिद्दत, जो अल्लाह को पसंद नहीं है उसको बढ़ावा दिया गया और सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद भी तीन तलाक़ होते रहे. </p><p>अब क़ानून बन जाने पर तीन तलाक़ देने वाले को बार-बार सोचना होगा. </p><p>भले ही इसमें आपराधिक मामले की बात है लेकिन ख़लीफ़ा उमर ने महिलाओं के सम्बन्ध में जो सौ कोड़े मारने की बात कही थी उसे असल में तीन तलाक़ के ज़रिए पूरा किया जा रहा था और तलाक़ की व्यवस्था का दुरुपयोग हो रहा था. </p><p>जिन लोगों ने तलाक़ की व्यवस्था का दुरुपयोग किया है ये उनके के लिए एक चेतावनी है. अब तलाक़-ए-बिद्दत नहीं होना चाहिए. जो भी तलाक़ हो वो क़ुरान पाक के हिसाब से काउंसिल के ज़रिए होना चाहिए. साथ ही औरतों में जो तलाक़ का डर बना रहता था अब वो ख़त्म हुआ है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-37735334?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’सरकार इस्लाम में दखल ना दे'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-37706937?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">विदेश से फ़ोन पर तीन तलाक़, मुफ़्ती की मंज़ूरी</a></li> </ul><figure> <img alt="तीन तलाक़ विधेयक" src="https://c.files.bbci.co.uk/CE4C/production/_108121825_8b099ffb-f703-47ac-8aac-af2a0d3a477c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>'</strong><strong>महिलाओं को सहूलियत</strong><strong>'</strong></p><p>मैंने भी आपराधिक क़ानून न बनाए जाने की बात कही थी. जिस तरह हिंदू मैरिज एक्ट में जुर्माना और पहले साल भर के लिए अलग रहने का प्रवाधान है, उसी तरह इसमें भी हो सकता था. </p><p>साथ ही मैंने प्रधानमंत्री और क़ानून मंत्री से कहा था कि कोई भी ऐसा क़दम न उठाएं जिससे कोई शरीफ़ और ईमानदार शौहर भी फंस जाए. बीवी किसी के बहकावे में आकर कोई ग़लत क़दम उठा दे और शौहर के लिए मुश्किल खड़ी हो जाए. इससे मां-बाप अपने बेटे की शादी करने से डरेंगे. </p><p>इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था कि उपाय ऐसे न हों जिनका ग़लत इस्तेमाल हो सके. लेकिन, अब क़ानून बन गया है तो उसे मानना ही होगा और महिलाओं को काफ़ी हद तक सहूलियत ज़रूर मिलेगी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39875738?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फूलवती ने कैसे खोला ‘तीन तलाक़’ का पिटारा?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39971364?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बोर्ड ने माना क़ुरान में नहीं है तीन तलाक़</a></li> </ul><p><strong>महिलाओं के हक़ में नहीं: </strong><strong>अनीसुर रहमान</strong><strong> क़ासमी </strong></p><p>इस क़ानून से परेशानी होगी और मुसलमान महिलाओं की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. </p><p>ये क़ानून शौहर को तीन साल के लिए जेल भेजने की बात कहता है. इस तरह तीन साल तक आपने बीवी को सड़क पर खड़ा कर दिया. उनके रहन-सहन का इंतज़ाम कौन करेगा? ये विधेयक महिलाओं के हक़ में बिल्कुल नहीं है. </p><p>दूसरी बात ये है कि दस्तूर में जो तलाक़ का हक़ दिया गया है उसके ख़िलाफ़ भी ये क़ानून है. इसलिए हम कहते हैं कि ये ज़ुल्म का क़ानून है. </p><p>शौहर को सज़ा की बात करें तो इस बिल के मुताबिक़ कोई अगर तीन तलाक़ बोल भी दे तो वो तलाक़ नहीं माना जाएगा. जब तलाक़ ही नहीं हुआ तो शौहर को सज़ा क्यों दे रहे हैं?</p><p>हम लोगों ने राय दी थी कि इस मामले में सामाजिक सुधार की ज़रूरत है और उसी तरीक़े से काम किए जाएं जिनसे समाज में बदलाव हो. </p><p>मुस्लिम महिलाएं तो 60 फ़ीसदी ऐसे ही ग़रीबी रेखा वाली ज़िंदगी गुज़ारती हैं और अगर तीन साल के लिए उसका शौहर जेल जाएगा तो उसका क्या होगा?</p><figure> <img alt="तीन तलाक़ विधेयक" src="https://c.files.bbci.co.uk/16A8C/production/_108121829_cdaa99f9-4c48-418d-b554-939295e0eb9c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>'</strong><strong>समाज बदल रहा है</strong><strong>…</strong><strong>'</strong></p><p>जब सरकार ख़ुद कहती है कि पूरे देश में तीन तलाक़ के 200 मामले आए तो मतलब है कि सामाजिक सुधार का काम हो रहा है. </p><p>सरकार इंतज़ार तो करे, सामाजिक सुधार का काम चंद दिनों में नहीं होता है. फिर सरकार ने ख़ुद इसके लिए क्या किया. क्या कभी विज्ञापनों और संदेशों के ज़रिए इस पर रोक की अपील की? </p><p>मुझे लगता है कि ये पूरी तरह राजनीतिक मामला है, न कि मुसलमान महिलाओं के भले के लिए ये किया गया है. इसमें विपक्ष ने भी अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई. कुछ राजनीतिक दलों ने राज्यसभा से वॉक आउट करके सरकार का समर्थन ही किया. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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#TripleTalaqBill: ऐतिहासिक फ़ैसला या ज़ुल्म का क़ानून?
<figure> <img alt="तीन तलाक़ विधेयक" src="https://c.files.bbci.co.uk/320C/production/_108121821_21edd603-63ed-4d2c-97c3-c44450bf7674.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पिछली एनडीए सरकार में अध्यादेश के ज़रिए लागू होने वाला तीन तलाक़ विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में पास हो गया. </p><p>पिछली सरकार में लोकसभा में पारित होने के बाद विधेयक राज्यसभा में लंबित हो गया था. राज्यसभा में सरकार का बहुमत न होने के […]
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