ढाका : बांग्लादेश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश और इस पद तक पहुंचने वाले पहले हिंदू सुरेंद्र कुमार सिन्हा पर भ्रष्टाचार निरोधी आयोग ने तकरीबन चार लाख 75 हजार डॉलर का धन शोधन करने का आरोप लगाया है. ये आरोप उनके देश छोड़ने के दो साल बाद लगाये गये हैं.
देश छोड़ने के दौरान उन्होंने कहा था कि उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया था. सिन्हा को जनवरी 2015 में देश का 21वां प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. ‘डेली स्टार’ की रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार निरोधी आयोग ने सिन्हा और 10 अन्य पर बुधवार को तत्कालीन फार्मर्स बैंक से धन शोधन का आरोप लगाया. वह तब निशाने पर आये थे जब उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त 2017 को संविधान के 16वें संशोधन को निरस्त कर दिया था. इस संशोधन के जरिये संसद को कदाचार या अक्षमता के आधार पर न्यायाधीशों को हटाने की शक्ति दी गयी थी. फैसले के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना और वरिष्ठ मंत्रियों ने सिन्हा की जमकर आलोचना की थी और उनमें से कई ने उनके इस्तीफे की मांग की थी.
दो अक्तूबर, 2017 को विधि मंत्री ने कहा था कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश स्वास्थ्य कारणों से एक महीने के अवकाश पर जायेंगे. हालांकि, देश छोड़कर ऑस्ट्रेलिया जाने के दौरान उसी साल 13 अक्तूबर को न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा था कि वह बीमार नहीं हैं और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया. उनके देश छोड़कर जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा कि न्यायमूर्ति सिन्हा ‘भ्रष्टाचार और धन शोधन’ समेत 11 आरोपों का सामना कर रहे हैं. भ्रष्टाचार मामले में बैंक के पूर्व एमडी एकेएम शमीम, वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं साख संभाग के पूर्व प्रमुख गाजी सलाहुद्दीन, साख संभाग के प्रथम उपाध्यक्ष स्वप्न कुमार रॉय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व शाखा प्रबंधक जियाउद्दीन अहमद, प्रथम उपाध्यक्ष शफीउद्दीन अस्करी और उपाध्यक्ष लुतफुल हक शामिल हैं. उन पर चार लाख 75 हजार डॉलर का शोधन करने के लिए फर्जी साख पत्रों का इस्तेमाल करने और इसे सिन्हा के खाते में अंतरित करने का आरोप लगाया गया.