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नियमित तैयारी से मिली सफलता

भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की राह संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) से होकर गुजरती है. महाराष्ट्र के 17 वर्षीय मेधावी छात्र कार्तिकेय गुप्ता ने जेईई एडवांस्ड में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को अपना आदर्श माननेवाले कार्तिकेय शुरू से ही मेधावी रहे हैं. इससे पहले […]

भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की राह संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) से होकर गुजरती है. महाराष्ट्र के 17 वर्षीय मेधावी छात्र कार्तिकेय गुप्ता ने जेईई एडवांस्ड में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को अपना आदर्श माननेवाले कार्तिकेय शुरू से ही मेधावी रहे हैं.

इससे पहले वे इंडियन नेशनल फिजिक्स आेलंपियाड, इंडियन नेशनल केमिस्ट्री आेलंपियाड, इंडियन नेशनल एस्ट्रोनॉमी आेलंपियाड, इंडियन नेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड के साथ ही किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना भी क्वाॅलिफाई कर चुके हैं.

दो वर्ष पूर्व शुरू की तैयारी : जेईई एडवांस्ड 2019 परीक्षा में बल्लारपुर, मुंबई के कार्तिकेय गुप्ता ने 372 में से 346 अंक हासिल कर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. वर्ष 2004 के बाद पहली बार बॉम्बे जोन से किसी विद्यार्थी ने इस परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. इसी वर्ष जनवरी में जेईई मेन परीक्षा में कार्तिकेय ने 100 पर्सेंटाइल प्राप्त किया था और महाराष्ट्र के स्टेट टॉपर बने थे. तब उनकी ऑल इंडिया रैंक 18 थी. कार्तिकेय ने महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा में भी 93.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे. अपनी सफलता से खुश कार्तिकेय कहते हैं कि उनकी चाहत आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने की है. इसके लिए उन्होंने 2017 से ही तैयारी शुरू कर दी थी.
टॉप करने की नहीं थी उम्मीद : कार्तिकेय बीते दो वर्षों से मुंबई स्थित एक कोचिंग इंस्टीट्यूट के छात्रावास में रहकर जेईई की तैयारी कर रहे थे. कोचिंग क्लास के बाद वे छह से सात घंटे स्व-अध्ययन करते थे. वे कहते हैं कि उन्हें टॉप करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, लेकिन आंसर के अपलोड हो जाने के बाद जब उन्होंने आंसर चेक किया, तो उनके द्वारा दिये गये ज्यादातर प्रश्नाें के उत्तर सही थे. उन्होंने परीक्षा में एक भी प्रश्न नहीं छोड़ा था. कार्तिकेय और उनके परिवार को विश्वास था कि परिणाम आने पर वे शीर्ष पांच या 10 में शामिल रहेंगे. कार्तिकेय का कहना है कि उनकी सफलता में पिता चंद्रेश गुप्ता और मां पूनम गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने हमेशा सपोर्ट किया है.
तनाव मुक्त रहना है सफलता का मंत्र : कार्तिकेय कहते हैं कि हमें परीक्षा को लेकर कभी तनाव में नहीं आना चाहिए. शारीरिक और मानसिक तौर पर रिलैक्स रहना चाहिए. तैयारी के दौरान जब भी उन्हें तनाव होता था, तो वे रात को खाते समय हॉस्टल के अपने दोस्तों के साथ बातचीत कर उसे दूर कर लेते थे. उनका कहना है कि गेम्स की तरह ही पढ़ाई को भी एंज्वॉय करना चाहिए. शांत दिमाग और नियमित तैयारी से सफलता प्राप्त की जा सकती है.
सेल्फ स्टडी का सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है. वे यह भी कहते हैं कि कभी भी दिमाग में डाउट न रखें. कोई भी डाउट होने पर उसे शिक्षक या किसी दूसरे जानकार व्यक्ति से बात कर दूर करें. हर एक टॉपिक को पूरे मन से पढ़ें. तैयारी के दौरान कार्तिकेय ने स्मार्टफोन की जगह अपने पास कीपैड वाला फोन रखा था. इस तरह दो वर्षों तक वे सोशल मीडिया से दूर रहे थे.
प्रस्तुित : आरती श्रीवास्तव

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