<figure> <img alt="जयशंकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/1670C/production/_107361919_gettyimages-1149303678.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भाग लेने के लिए किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक पहुंच चुके हैं.</p><p>मोदी की इस यात्रा के साथ ही उनकी सरकार की विदेश नीति से जुड़ी प्राथमिकताएं साफ़ होती जा रही हैं.</p><p>बिश्केक में उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वह क्षेत्रीय संगठनों से चरमपंथ के ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिक्रिया देने का आह्वान करेंगे और चीनी-रूसी राष्ट्रपतियों से भी मुलाक़ात करेंगे.</p><p>बीजिंग और मॉस्को दोनों ही देश मध्य एशिया में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं जहां कई प्रमुख शक्तियां एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में लगी हुई हैं. भारत इसी क्षेत्र में अपनी पहुंच को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.</p><p>साल 2017 में भारत एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना. भारत इस मध्य एशिया क्षेत्र में तालमेल बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहेगा जो कि आने वाले समय में अफ़ग़ानिस्तान में सामने आने वाले बदलावों में एक अहम भूमिका अदा करेगा.</p><p>ऐसे में ये कोई संयोग नहीं है कि मोदी ने पिछले महीने अपने शपथ ग्रहण समारोह में किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सोरोनबाये जेनेबकोव को आमंत्रित किया था.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48569928?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इमरान ख़ान पर मोदी भरोसा क्यों नहीं कर पा रहे </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48392363?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मुस्लिम दुनिया की मीडिया में मोदी की जीत ‘चिंता या उम्मीद'</a></li> </ul><h3>मोदी की विदेश नीति 2.0</h3><p>विदेश नीति के मोर्चे पर मोदी सरकार ने चुनाव जीतने के बाद ही काम करना शुरू कर दिया है.</p><p>प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव और श्रीलंका की यात्रा की. इसके साथ ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पिछले हफ़्ते भूटान का दौरा किया.</p><p>मोदी ने पहली विदेश यात्रा के लिए मालदीव और श्रीलंका को चुनकर ये साबित कर दिया है कि वो अपनी ‘नेबरहुड-फ़र्स्ट पॉलिसी’ यानी पड़ोसी देशों को विदेश नीति में तरजीह देने की नीति के प्रति समर्पित हैं.</p><p>ख़ास बात ये है कि मोदी उस समय इस नीति के प्रति अपने समर्पण को दर्शा रहे हैं जब चीन ने दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने दख़ल को गंभीर रूप से बढ़ाया है.</p><p>मोदी की यात्रा के दौरान, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने भी अपने प्रशासन की ओर से ‘इंडिया-फ़र्स्ट पॉलिसी’ यानी भारत को प्रमुखता देने की नीति पर ज़ोर देकर भारत और मालदीव के संबंधों को ऐतिहासिक करार दिया.</p><p>मालदीव की पिछली सरकार में दोनों देशों के संबंध काफ़ी तनावपूर्ण हो गए थे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48617826?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी के लिए क्यों बेहद अहम है एससीओ की बैठक?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48577927?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी का ‘घर में घुस कर मारने’ का दावा ग़लतः शरद पवार</a></li> </ul><p>भारत-मालदीव के संयुक्त बयान में भी सोलेह ने अपनी सरकार की ‘बहुपक्षीय और पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी’ को गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया.</p><p>वहीं, मोदी ने जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में मालदीव की सहायता करने का ऐलान किया है.</p><p>मोदी की श्रीलंका यात्रा की बात करें तो उनके इस दौरे की थीम भी चरमपंथ था.</p><p>मोदी ने हाल ही में हुए चरमपंथी हमलों को ‘संयुक्त ख़तरा’ क़रार देते हुए साफ़ किया कि चरमपंथ के ख़िलाफ़ साझा मुक़ाबले में भारत नेतृत्व करने के लिए तैयार है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48531579?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ट्रंप के झटके से भारत में नौकरियों पर ख़तरा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48576180?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मालदीव जाकर क्या मिला?</a></li> </ul><p><a href="https://twitter.com/MEAIndia/status/1138988638862073856">https://twitter.com/MEAIndia/status/1138988638862073856</a></p><p><strong>वैश्विक उथल</strong><strong>-</strong><strong>पुथल में भारतीय विदेश नीति</strong></p><p>मोदी की विदेश नीति एक ऐसे वक़्त में आकार ले रही है जब अमरीका और चीन के बीच बढ़ता हुआ तनाव विश्व व्यवस्था में एक असंतुलन पैदा कर रहा है.</p><p>व्यापारिक मुद्दों पर असहमतियों के चलते भारत-अमरीका संबंध भी एक ख़राब दौर से गुज़र सकते हैं.</p><figure> <img alt="मोदी-ट्रंप" src="https://c.files.bbci.co.uk/0130/production/_107340300__107206481_71802c60-a7e2-43f3-a8fa-55c3e3db3a12.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अमरीका ने भारत के 5.6 अरब डॉलर के निर्यात पर भी शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया है जिसे इससे पहले छूट मिली हुई थी.</p><p>लेकिन ये सिर्फ़ एक बड़ी समस्या के एक सिरे जैसा ही है.</p><p>हालांकि, भारत सरकार ने कहा है कि वह अमरीका के साथ आर्थिक और आम लोगों के बीच संबंधों को लगातार प्रगाढ़ बनाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा.</p><p>लेकिन ये बात पूरी तरह साफ़ है कि आने वाले दिन चुनौतियों से भरे हो सकते हैं. अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को आने वाले दिनों में चुनावों का सामना करना है.</p><p>ऐसे में वह दुनिया भर में व्यापारिक मुद्दों पर अमरीकी हितों की सुरक्षा करने की बात को तरजीह देते रहेंगे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48578039?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या होगा जब मोदी-इमरान और विराट-सरफ़राज़ होंगे आमने-सामने</a></li> </ul><figure> <img alt="ट्रंप-जिनपिंग" src="https://c.files.bbci.co.uk/2840/production/_107340301__107207155_cf91fa62-f6b9-4de4-82be-43dbf9269f05.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>एस. जयशंकर का विदेश मंत्री बनना</h3><p>नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को विदेश मंत्री के रूप में जगह दी है.</p><p>जयशंकर का विदेश मंत्रालय संभालना भी इस ओर संकेत देता है कि भारत क्षेत्रीय स्तर पर अपनी पहचान को बदलना चाहता है.</p><p>मोदी ने पिछले महीने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक (बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) के सदस्य देशों को बुलाया था.</p><p>इस संगठन में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं.</p><p>बीते कुछ सालों से भारत सरकार अपनी विदेश नीति में इस संगठन को प्रमुखता दे रही है.</p><p>20 साल से भी ज़्यादा पुराने इस संगठन के देशों में वैश्विक जनसंख्या का लगभग 21 फ़ीसदी हिस्सा रहता है. इन सभी देशों की कुल जीडीपी 2.5 ट्रिलियन डॉलर से भी ज़्यादा है.</p><p>मोदी सरकार के इस संगठन की ओर ध्यान देने से पहले कुछ ही देशों ने इस संगठन का नाम सुना था. दरअसल, इस संगठन ने सार्क देशों के संगठन की जगह ली है जिसके सदस्य देश अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48567802?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मालदीव में मोदी: जुमा मस्जिद बनवाएगा भारत</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46579958?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फिर से भारत के क़रीब आ रहा मालदीव?</a></li> </ul><hr /><h3>पाकिस्तान के प्रति निराशा</h3><p>साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क संगठन के देशों को आमंत्रित किया था.</p><p>ऐसे में मोदी सरकार का सार्क संगठन से हटकर बिम्सटेक की ओर ध्यान देना ये बताता है कि नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ तालमेल करके कुछ हासिल करने की उम्मीद छोड़ दी है.</p><p>चुनाव जीतने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने नरेंद्र मोदी को फ़ोन करके बधाई दी थी. इस पर मोदी ने कहा था कि अगर पाकिस्तान चरमपंथ पर अपनी नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करेगा तब ही उनकी सरकार किसी तरह की प्रतिक्रिया दे पाएगी.</p><p>भारत का बिम्सटेक से होकर अपनी विदेश नीति को एक शक्ल देना ये बताता है कि वर्तमान सरकार अपनी पूर्वी सीमा की ओर ध्यान देना चाहती है.</p><p>बंगाल की खाड़ी भारत को दक्षिण एशियाई देश जैसे बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका के साथ ही नहीं जोड़ती है. ये म्यांमार और थाइलैंड के साथ भी भारत को जुड़ने का मौक़ा देती है.</p><p>इस तरह मोदी ने भारत की रणनीतिक परिधि को नई शक्ल देने और भारत के पड़ोस को ज़्यादा अनुकूल शर्तों पर परिभाषित करने की कोशिश की है.</p><p>साल 2014 में, नेपाल की राजधानी काठमांडू में मोदी ने सार्क सम्मेलन के दौरान कहा था कि क्षेत्रीय सहयोग के अवसरों को ‘सार्क के अंतर्गत या इसके बाहर’ भुनाने की कोशिश की जाएगी.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-39878837?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी जी श्रीलंका से आखिर क्या लेकर आएंगे?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46001068?xtor=AL-%5B73%5D-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">श्रीलंका के सियासी संकट से भारत ख़ुश या चीन </a></li> </ul><hr /><h3>नई शक्ति बनने की ओर भारत</h3><p>मोदी सरकार ने अपने शुरुआती दौर में पाकिस्तान के साथ तालमेल बढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन जब इससे कुछ हासिल होता हुआ दिखाई नहीं दिया तो सरकार ने बिम्सटेक को तरजीह देना शुरू किया. </p><p>कुछ हद तक सरकार की ये कोशिश सफल साबित हुई क्योंकि साल 2016 में इस्लामाबाद में सार्क देशों का सम्मेलन आयोजित हुआ था. </p><p>भारत ने कश्मीर में चरमपंथी हमलों के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इस सम्मेलन को दरकिनार करने का आह्वान किया. इसके बाद कुछ देशों ने भारत की पहल का समर्थन भी किया.</p><p>ऐसे में अगर भारत सरकार बिम्सटेक पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए रचनात्मक ढंग से इसके सदस्य देशों के साथ तालमेल बढ़ाती है तो ये भारत को पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी जगह को मज़बूत करने में मदद दे सकता है.</p><p>भू-राजनीतिक अशांति के इस दौर में भी भारत चीन के साथ संबंध बनाने की कोशिश करता हुआ दिख रहा है. ऐसे में मोदी व्यापक भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत के स्थान को सुदृढ़ करने और क्षेत्र में स्थाई संतुलन तलाश करने की कोशिश करेंगे.</p><p>ऐसा करना तब अहम होगा जब भारत एक संतुलन बनाने वाले देश के रूप में खड़े होने की जगह अपनी पहचान एक मुख्य शक्ति के रूप में हासिल करना चाहे.</p><p>मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में लंबे समय तक तर्क दिया है कि वैश्विक तंत्र में भारत ने सक्रिय रूप से दुनिया के नियम बनाने वाली ताक़त की जगह एक संतुलन बनाने वाली शक्ति के रूप में काम किया है.</p><p>लेकिन इस चुनाव में उनको जो बहुमत मिला है इसके बाद वह भारत की विदेश नीति में मूल बदलाव कर सकते हैं.</p><p>मोदी और उनकी टीम ये संकेत दे रही है कि वह इसके लिए अपनी कमर कस रहे हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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मोदी की विदेश नीति में क्या है जयशंकर फैक्टर: नज़रिया
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