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ये हैं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की बेटियां!

अंतर्मन की आवाज पर उठाये गये कदम की सार्थकता उसे अनुकरणीय बना देती है. तीसरी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गयी शेख हसीना अपनी एक पहल से राष्ट्र प्रमुखों और राजनेताओं के लिए अनुकरणीय कदम की नजीर पेश करती हैं. 2010 में बांग्लादेश के ढाका में एक रासायनिक कारखाने में लगी विनाशकारी आग में अपने […]

अंतर्मन की आवाज पर उठाये गये कदम की सार्थकता उसे अनुकरणीय बना देती है. तीसरी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गयी शेख हसीना अपनी एक पहल से राष्ट्र प्रमुखों और राजनेताओं के लिए अनुकरणीय कदम की नजीर पेश करती हैं. 2010 में बांग्लादेश के ढाका में एक रासायनिक कारखाने में लगी विनाशकारी आग में अपने परिजनों को खोनेवाली लड़कियों को उन्होंने गोद लिया है. अपने सरकारी आवास से उनकी शादी की और आज भी एक मां की तरह उनका ख्याल रखती हैं. इन लड़कियों की अब प्रधानमंत्री से मुलाकात या बात नहीं हो पाती है, पर इनके बीच मां-बेटी जैसा भावनात्मक रिश्ता है.

इनके बीच आपस में ज्यादा संवाद नहीं है, पर संबंध गहरा है. यह संबंध है बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी गोद ली हुई बेटियां रूना, रत्ना और आस्मां का. तीनों लड़कियां आज अपने पति और बच्चों के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं. लेकिन तकरीबन 4 वर्ष पूर्व किस्मत इनसे इनका सबकुछ छीन चुकी थी. ढाका स्थित नीमतली के विनाशकारी अग्निकांड में इन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री ने इन्हें गोद ले लिया था और शेख हसीना के रूप में इन्हें नयी मां मिल गयी. अपनी बेटियां घोषित करने के बाद गोनोभबन यानी देश की सरकार के मुखिया के सरकारी आवास से इनकी शादी की. प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि आज भी इनके संपर्क में रहते हैं. पोहेला बैशाख, यानी बांग्लादेश के नववर्ष पर इनके लिए बाकायदा उपहार भेजे जाते हैं.

रूना अपने पति जामिल और 3 साल के बेटे अली मुर्तजा के साथ पुराने ढाका में होस्सैनी दलान रोड स्थित खुद के घर में रहती हैं. रत्ना और उनके पति सुमोन अपनी पंद्रह महीने की बेटी श्रद्धा के साथ पुराने ढाका में ही किराये के एक मकान में रहते हैं. आस्मा और उनके पति आलमगिर अपने तीन साल के बेटे रामादन तीन महीने की बेटी आयत के साथ ओल्ड ढाका के सादक रोड इलाके में रहते हैं.

3 जून, 2010 को नीमतली, नवाब कतरा के रसायन गोदाम में लगी विनाशकारी आग में तकरीबन 123 लोगों की जान चली गयी थी. यह आग कारखाने से पास के रिहायशी इलाके तक फैल गयी थी. रूना की उस दिन सगाई थी और वह दुर्घटना के वक्त ब्यूटीपार्लर में थीं. वह जब लौटी तो अपनी मां, बहनों और चाची सहित अधिकतर परिजनों को खो चुकी थीं. रूना इस दहला देनेवाले हादसे को भुला नहीं सकी हैं. इसमें उन्होंने अपने परिवार और रिश्तेदारों साहित 41 लोगों को खो दिया, जो बार-बार उन्हें याद आते हैं. हालांकि एक नयी मां के रूप में शेख हसीना को पाने की उन्हें बेहद खुशी है. वह कहती हैं ‘अपने पति और बच्चे के साथ अब मैं ठीक हूं. प्रधामंत्री शेख हसीना के रूप में मुङो एक नयी मां मिल गयी है. वह आज भी अकसर मेरी स्थिति के बारे में पूछती रहती हैं. मैं भी उनसे फिर से मिलना चाहती हूं.’ रूना के पति जामिल नौसेना में काम करते हैं, यह नौकरी उन्हें प्रधानमंत्री की संस्तुति पर मिली है. सकीना अक्तर रत्ना कहती हैं कि ‘हमने जो खोया है उसे कोई नहीं लौटा सकता, लेकिन शेख हसीना का मां के रूप में मिलना हमारे लिए बहुत बड़ी सांत्वना है, हम प्रधानमंत्री से और कुछ नहीं चाहते.’ रत्ना के पति सुमोन को प्रधानमंत्री के निर्देश से बेसिक बैंक में नौकरी मिल गयी है.

आस्मा अख्तर आस्मा अपने पति, बच्चों और सास के साथ रहती हैं. अपने ड्राइंग रूम की दीवार में उन्होंने प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उतारी गयी अपनी तसवीर सजा रखी है. वह कहती हैं,‘वह दहला देने वाली त्रसदी अभी भी मुङो परेशान करती है. जब आग लगी तो मैं कमरे में थी और उसके तुरंत बाद मैंने बेहोश हो गयी थी. मैंने इस हादसे में अपनी मां, दादी और भतीजी को खो दिया था.’ आस्मा के पति आलमगिर को प्रधानमंत्री के निर्देश पर सेना में नौकरी मिल गयी है. लेकिन यह नौकरी स्थायी नहीं है. वह कहती हैं कि अगर नौकरी स्थायी होती तो बेहतर था. रूना, रत्ना और आस्मा प्रधानमंत्री शेख हसीना से मिलना चाहती हैं.

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