नेशनल कंटेंट सेल
ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआइ की पूर्व चीफ डेम स्टेला ने रूस पर शीत युद्ध के दौरान ब्रिटेन की जासूसी करवाने का आरोप लगाया है. ‘द नेशनल आर्काइव’ के साथ बातचीत में स्टेला ने बताया कि शीत युद्ध जब अपने चरम पर था, तब रूसी एजेंट्स ने उनसे ब्रिटेन की जासूसी करवाने के लिए संपर्क किया था.
स्टेला के मुताबिक, शायद उन्हें यह पता नहीं था कि मैं खुद ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रही थी. स्टेला ने बताया कि वह और उनके पति, दोनों ने साठ के अंतिम दशक में नयी दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. स्टेला ब्रिटिश उच्चायोग में एक टाइपिस्ट थीं. उनके जिम्मे ब्रिटेन की जासूसी कर रहे लोगों के बारे जानकारी जुटाना और उनका प्रोफाइल तैयार करना था.
दिल्ली थी जासूसों का अड्डा : स्टेला के मुताबिक, दिल्ली उस समय जासूसों का अड्डा हुआ करती थी. शीत युद्ध के दौरान रूस व पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा था. एक दिन भारत के एक वाम समर्थक बड़े नेता जो स्टेला के मित्र थे, ने डिनर पार्टी रखी. स्टेला और उनके पति भी वहां आमंत्रित थे. यह पार्टी दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस में रखी गयी थी. पार्टी में हमलोगों के बीच हंसी-मजाक चल ही रहा था कि अचानक दरवाजा खुला और रूसी उच्चायोग में काम कर रहा एक कपल पार्टी में आया. स्टेला ने बताया कि उस समय मैं एमआइ-5 के ऑफिस में क्लर्क टाइपिस्ट थी और यह मुझे बड़ा अजीब लगा कि पार्टी में सोवियत यूनियन के किसी बड़े अधिकारी से मेरी मुलाकात करवायी जा रही है. मैं और मेरे पति सोच रहे थे कि हम दोनों किसी गलत काम में आ गये, लेकिन जल्द ही यह गलत साबित हो गया.
खुफिया एजेंसी केजीबी के एक बड़े अधिकारी ने दिया ऑफर : स्टेला ने बताया कि मैंने तुरंत उस आदमी को पहचान लिया. स्टेला के मुताबिक उच्चायोग में काम करते समय हमलोगों को कुछ लोगों की लिस्ट दी गयी थी, जिसमें वह आदमी रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के एक बड़े अधिकारी के रूप में दर्ज था. पूर्व एमआइ5 चीफ ने बताया कि बातचीत के दौरान उसने ब्रिटेन पर मेरी राय जाननी चाही और शीत युद्ध पर रूस का पक्ष रखने लगा. उसे लगा कि मैं उसकी बातों से प्रभावित हो रही हूं. तभी उसने मुझसे उसके लिए काम करने का ऑफर दे डाला.
उसकी नियत मैं तुरंत भांप गयी : हालांकि, बातचीत जल्द ही समाप्त हो गयी और मुझे उससे छुट्टी मिली. स्टेला ने बताया कि इसके बाद मैंने कभी भी उन लोगों से मुलाकात नहीं की. ब्रिटिश खुफिया एजेंसी की पूर्व चीफ ने बताया कि वे नहीं जानते थे कि मैं कौन हूं, लेकिन मैं जानती थी कि सामने वाला कौन है और उसकी नियत क्या है.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का दौर था शीतयुद्ध का
द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद साल 1945 से 1989 के बीच का दौर शीतयुद्ध का था. इस दौरान दुनिया दो ध्रुवों में बंट गयी थी. ये दो ध्रुव थे अमेरिका और सोवियत संघ. शीत युद्ध शब्द का इस्तेमाल अमेरिका और सोवियत संघ के बीच उस दौर में जारी रहे तनावपूर्ण संबंधों के लिए किया जाता है.