- कार्यकर्ताओं के घर में खाते थे खाना, 1700 खर्च कर लड़ा था चुनाव
प्रणव
रांची : लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो चुका है. इसको बेहतर ढंग से संपन्न कराने में प्रशासनिक अमला जोर-शोर से जुटा है. वहीं राजनीतिक दल भी अपनी चालों से विरोधियों को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हैं. इन सबके बीच एक तबका ऐसा भी है, जो महापर्व को रक्तरंजित करने की कायरतापूर्ण कार्रवाई कर अपनी धमक दिखाने की कोशिश करता है.
वह हैं प्रतिबंधित नक्सली और उग्रवादी संगठन. झारखंड में कुल 24 जिलों में से करीब एक दर्जन जिले अतिसंवेदनशील माने जाते हैं. तीन-चार दिन पूर्व प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन के पूर्व रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता संकेत ने दो पेज का रिलीज जारी कर चुनाव का बहिष्कार की बात कह कर अपनी मंशा जता दी है.
ऐसे में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराना पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि महापर्व के जरिये सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश में प्रतिबंधित संगठन के लोग चुनाव में ताल ठोकते रहे हैं.
इनमें पलामू सीट से माओवादी संगठन से ताल्लुकात रखने वाले कामेश्वर बैठा चुनाव जीत कर संसद भी पहुंच चुके हैं. लेकिन वे अपनी सीट बरकरार नहीं रख सकें. उन्हें गंगाजल फेम पूर्व डीजीपी वीडी राम ने पटखनी दी थी.
इसके बाद से श्री बैठा की राजनीति बैठ गयी. वह सियासी मंच से एक तरह से गायब हो गये. वहीं प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआई से संबंध रखनेवाले पौलुस सुरीन तोरपा से लगातार तीन बार से विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं.
बीते लोकसभा चुनाव में दुमका में किया था लैंडमाइन विस्फोट, आठ चुनावकर्मी की हुई थी मौत
मृतकों में पांच सुरक्षाकर्मी थे एसपी पर हुई थी कार्रवाई
2014 लोकसभा चुनाव में दुमका के शिकारीपाड़ा में चुनाव संपन्न करा चुनाव कर्मी बस से वापस लौट रहे थे. इसी दौरान माओवादियों ने लैंड माइंस विस्फोट कर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इसमें मतदान संपन्न करा लौट रहे पांच सुरक्षाकर्मी समेत आठ मतदानकर्मी मारे गये थे..
बाद में मामले की आइजी मुरारी लाल मीणा ने जांच की थी. इसमें दुमका के डीसी हर्ष मंगला और एसपी रहे निर्मला मिश्रा के स्तर से चूक की बात सामने आयी थी. लेकिन मामले में श्री मिश्रा पर कार्रवाई की बात सामने आयी. लेकिन हर्ष मंगला पर कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी.
जिलों को तीन श्रेणी में बांटा गया है : दुमका लोकसभा चुनाव में मिले सबक को पुलिस महकमा ने शायद याद रखा है. यही वजह है कि इस बार राज्य पुलिस ने विशेष ट्रेनिंग की शुरुआत की है.
चुनाव के मद्देनजर नक्सल प्रभावित जिलों को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया है. इन नक्सल प्रभावित जिलों में भी सबसे अधिक प्रभावित बूथों का चयन भी जिलों की पुलिस द्वारा किया जा रहा है. उसी आधार पर सुरक्षा बलों की तैनाती की जायेगी.
अतिसंवेदनशील जिला : गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा, खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, दुमका व बोकारो को अति संवेदनशील जिलों की श्रेणी में रखा गया है. इन जिलाें में बड़ी तादाद में केंद्रीय बलों की तैनाती की जायेगी.
माओवादी गतिविधियों के लिहाज से सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद, गोड्डा को संवेदनशील श्रेणी में रख गया है. वहीं जामताड़ा, पाकुड़, रामगढ़, कोडरमा को कम संवेदनशील वाले जिले की श्रेणी में शामिल किया गया है.
विस्फोटकों से निपटने की ट्रेनिंग
नक्सलियों और उग्रवादियों की काली मंशा को नेस्तनाबूद करने के लिए पुलिस मुख्यालय अपने स्तर पर कवायद कर रहा है. चुनाव में माओवादी लैंड माइंस व आइइडी का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाते रहे हैं.
ऐसे में राज्य पुलिस की ओर से चुनाव कार्य में लगे सीआरपीएफ कर्मियों, सभी जैप बटालियनों और जिला पुलिस को विशेष ट्रेनिंग देनी दी जा रही है. जिलावार भी पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही.
दूसरे राज्यों के साथ समन्वय पर जोर : चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए कम्युनिकेशन ग्रिड स्थापित किया गया है. झारखंड में माओवादी दूसरे राज्यों से आकर चुनाव को प्रभावित न करें, इसके लिए समन्यव समिति लगातार बैठकें कर रही है.
वहीं राज्य पुलिस व केंद्रीय बल द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार अभियान चलाया जा रहा है. झारखंड पुलिस शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पड़ोसी राज्यों के संसाधनों का भी इस्तेमाल करेगी. चुनाव में हेलीकॉप्टर व गाड़ियों के आदान-प्रदान पर सहमति भी बनी है.