10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भैंस पर करोड़ों क्यों ख़र्च कर रही है सरकार?

छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक भैंस चर्चा में है. इस भैंस की क़ीमत एक करोड़ रुपये से अधिक है और इससे भी ज़्यादा महंगी है इसके रहने की जगह. रायपुर के जिस जंगल सफ़ारी में इस भैंस को रखा गया है, उसकी प्रभारी एम मर्सी बेला कहती हैं, "इस भैंस के बाड़े को बनाने में […]

छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक भैंस चर्चा में है. इस भैंस की क़ीमत एक करोड़ रुपये से अधिक है और इससे भी ज़्यादा महंगी है इसके रहने की जगह.

रायपुर के जिस जंगल सफ़ारी में इस भैंस को रखा गया है, उसकी प्रभारी एम मर्सी बेला कहती हैं, "इस भैंस के बाड़े को बनाने में लगभग ढाई करोड़ रुपये खर्च हुए हैं."

कोई आम भैंस नहीं

छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि यह भैंस, एक मादा वन भैंस की क्लोन है और दुनिया में किसी वन्य जीव की यह पहली क्लोनिंग है.

दावा है कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में एक बाड़े में रखी गई ‘आशा’ नाम की यह एक मादा वन भैंस से करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में 12 दिसंबर 2014 को ‘दीपाशा’ नामक क्लोन मादा वन भैंस का जन्म हुआ.

इस क्लोन को अब छत्तीसगढ़ लाया गया है.

रायपुर के जंगल सफ़ारी में एक बाड़े में बंद इस मादा वन भैंस को अभी देखने की इजाज़त नहीं है. यहां तक कि वन विभाग के अफ़सरों को भी सेलफ़ोन या कैमरा लेकर मादा वन भैंस के बाड़े के आसपास फटकने नहीं दिया जा रहा है.

लेकिन इस क्लोन की शुद्धता को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

मुर्रा भैंस

वैज्ञानिकों का कहना है कि जिसे छत्तीसगढ़ सरकार वन भैंस का क्लोन बता रही है, उसकी विस्तृत वैज्ञानिक जांच होनी चाहिए.

इस कथित वन भैंस का क्लोन तैयार करने वाले करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट के प्रमुख वैज्ञानिक और एनिमल बॉयोटेक्नोलॉजी सेंटर के प्रमुख डॉ. प्रभात पाल्टा ने बीबीसी को बताया, "हमने क्लोन जंगली भैंस के ‘जेनेटिक मेकअप’ पर विस्तृत अध्ययन नहीं किया है. हालांकि, हमने माइक्रोसेटेलाइट मार्कर्स का उपयोग करके क्लोन जंगली भैंस के बछड़े के पितृत्व की पुष्टि की है. हालांकि, माइक्रोसेटेलाइट मार्कर्स घरेलू भैंस के हैं क्योंकि जंगली भैंस के माइक्रोसेटेलाइट मार्कर्स पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है."

राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के प्रमुख वैज्ञानिक रहे डॉ. डी के सदाना ने बीबीसी से कई दौर की बातचीत के बाद कहा कि बिना जांच के इस क्लोन को वन भैंस कह पाना मुश्किल है.

उन्होंने कहा, "किसी जीव का क्लोन आमतौर पर हूबहू होता है. लेकिन मादा भैंस आशा और उसकी क्लोन दीपाशा की तस्वीरों को देखने से दीपाशा किसी घरेलू मुर्रा नस्ल की भैंस की तरह नज़र आ रही है. जब तक इसका डीएनए मैपिंग नहीं होता, तब तक वैज्ञानिक तौर पर इसके वन्य वन भैंस होने की पुष्टि नहीं की जा सकती."

हालांकि छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह ने पखवाड़े भर पहले बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि क्लोन की डीएनए मैपिंग की गई है.

दूसरी ओर नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर वन भैंस की क्लोनिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट के डॉ. राजेंद्र मिश्रा यह तो मानते हैं कि वन भैंस की क्लोन का रूप रंग अलग है, लेकिन उनका कहना है कि कई मामलों में दुर्भाग्य से ऐसा होता है.

क्लोन तैयार करने वाली संस्था नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट तो किसी भी तरह की डीएनए मैपिंग से इनकार कर रही है.

लेकिन डॉ. राजेंद्र मिश्रा का दावा अलग है. वे कहते हैं,"करनाल में ही क्लोन डीएनए मैपिंग की गई थी और फिर से डीएनए मैपिंग के लिये हमने सरकार को पत्र लिखा है. इसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी."

राजकीय पशु

वन भैंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है.

दुनिया में 90 फीसदी से अधिक वन भैसों की आबादी भारत के पूर्वोत्तर में बसती है लेकिन मध्य भारत, ख़ासकर छत्तीसगढ़ में वन भैंसों का अस्तित्व ख़तरे में है.

बाघ या हाथी जैसे वन्यजीवों की ही तरह वन भैंसा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 का जानवर है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़रवेशन ऑफ़ नेचर ने वन भैंसा को लुप्तप्राय प्रजाति की श्रेणी में रखा है.

सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ के उदंती-सीतानदी अभयारण्य में शुद्ध प्रजाति के केवल 11 वन भैंसे बचे हैं, जिनमें केवल दो मादा वन भैंस हैं.

हालांकि राज्य के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान और पामेड़ वन्यजीव अभयारण्य में भी वन भैंसा हैं, लेकिन अब तक इन वन भैंसों को लेकर कोई विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ है.

यही कारण है कि पिछले कई सालों से राज्य सरकार गरियाबंद के इलाक़े में बाड़े में रखकर वन भैंसों की वंश वृद्धि के लिए लगातार कोशिश करती रही है. लेकिन हर बार नर वन भैंसा का जन्म होता रहा है.

इसके बाद राज्य सरकार ने असम से शुद्ध प्रजाति के वन भैंसे लाने की कवायद शुरू की.

लेकिन इस बीच राज्य में वन भैंसों पर काम कर रही वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ने राज्य सरकार को वन भैंसों का क्लोन तैयार करवाने का सुझाव दिया.

दस्तावेज़ बताते हैं कि वन भैंसा का क्लोन बनाने के लिये पहले छत्तीसगढ़ समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से वन भैंसा के 69 सैंपल लिये गए. इनमें 10 सैंपल उदंती वन्यजीव अभयारण्य के थे.

हालांकि यह भी दिलचस्प है कि जिस मादा वन भैंस आशा की क्लोनिंग की गई, वह मादा वन भैंस और उसके दो बच्चे, दूसरे सभी वन भैंसों से अलग थे. जिन्हें लेकर आज भी संदेह का वातावरण है कि आशा असल में शुद्ध वन भैंस है भी या नहीं.

इसी आशा नामक वन भैंस के कान के एक टुकड़े को काट कर उसे 4 डिग्री के तापमान में रख कर 24 घंटे के भीतर करनाल ले जाया गया और क्लोन बनाने की प्रक्रिया पूरी की गई.

लेकिन नेचर क्लब के सुबीर रॉय क्लोनिंग की पूरी प्रक्रिया को ही संदिग्ध और आम जनता के पैसों की बर्बादी मानते हैं. उनका कहना है कि इस क्लोन की उपयोगिता क्या होगी, इसे लेकर वन विभाग के पास कोई व्यवहारिक कार्ययोजना नहीं है.

सुबीर रॉय कहते हैं, "छत्तीसगढ़ सरकार के पास यह विकल्प था कि वह पूर्वोत्तर से शुद्ध प्रजाति के वन भैंसे लाकर यहां उनका वंश विस्तार करती, जिस पर अब जाकर सरकार काम कर रही है. इसी तरह मार्च 2015 में आशा ने ही किरण नामक मादा वन भैंसे को जन्म दिया था, उसे भी वंश विस्तार की तरह देखा जा सकता था. लेकिन सरकार ने महज पैसों की बर्बादी के लिए कथित क्लोनिंग की प्रक्रिया को अपनाया, जिसे दुनिया के अधिकांश देशों में अव्यवहारिक और अनैतिक माना जाता है."

ये भी पढ़ें…

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

]]>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें