मिस्र के पूर्व सेना प्रमुख अब्दुल फ़तह अल सीसी ने देश के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है.
मिस्र में मई में हुए राष्ट्रपति चुनावों में सीसी को ज़बरदस्त समर्थन मिला था.
मिस्र के सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय में हुए शपथ ग्रहण समारोह के मद्देनज़र राजधानी क़ाहिरा के मुख्य इलाक़ों में सुरक्षा व्यवस्था के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए थे.
सेवानिवृत्त फ़ील्ड मार्शल फ़तल अल सीसी ने पिछले साल जुलाई में राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सत्ता से हटा दिया था.
मोहम्मद मोर्सी के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड ने राष्ट्रपति चुनावों का बहिष्कार किया था. मिस्र की सरकार मुस्लिम ब्रदरहुड के नेताओं पर कड़ी कार्रवाइयाँ कर रही है और इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया है.
नागरिक अधिकारों के दमन के विरोध में मिस्र के कई धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी संगठनों ने भी राष्ट्रपति चुनावों का बहिष्कार किया था. इनमें पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को 2011 को पद से हटाने के लिए मिस्र में हुई क्रांति का नेतृत्व करने वाला 6 अप्रैल यूथ मूवमेंट भी शामिल है.
भारी जीत
मिस्र में टेलीविजन चैनलों पर लाइव दिखाए गए समारोह में 59 वर्षीय फ़तल अल सीसी ने राष्ट्रपति पद पर चार साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली.
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सत्ता से हटाए जाने के लगभग एक साल बाद अल सीसी ने शपथ ली है.
शपथ ग्रहण समारोह में सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के उप प्रमुख मेहर समी ने कहा कि मोर्सी को सत्ता से हटाया जाना सैन्य तख़्तापलट नहीं था और सीसी देश के लोगों की इच्छाओं का पालन कर रहे थे.
सीसी के राष्ट्रपति बनने के साथ ही अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर फिर से सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं.
मिस्र में मई में हुए राष्ट्रपति चुनावों में सीसी को 96.9 प्रतिशत मत मिले थे जबकि प्रतिद्वंदी उम्मीदवार हमदीन सबाही को 3.1 प्रतिशत मत मिले थे.
कई संगठनों के चुनावों के बहिष्कार के कारण मतदान का प्रतिशत पचास से भी कम रहा था.
चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सीसी अगले एक-दो सालों में जनता से किए गए वादे पूरे नहीं कर पाए या उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए तो उन्हें भी पूर्व राष्ट्रपतियों की तरह ही भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
आलोचकों का यह भी मानना है कि सीसी विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए दमनकारी रवैया भी अपना सकते हैं.
सेना में लंबे समय तक कार्यरत रहे फ़तल अल सीसी को मोहम्मद मोर्सी ने ही मिस्रा का सेना प्रमुख नियुक्त किया था.
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