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विवेचना- मैं सोच भी नहीं सकती थी इमरान पैर पकड़ लेगा: रेहाम ख़ान

एक अंग्रेज़ नाटककार विलियम कंग्रीव ने 1697 में लिखे अपने नाटक ‘ द मोर्निंग ब्राइड’ में लिखा था, ‘हेवेन हैज़ नो रेज लाइक लव टू हैटरेड टर्न्ड, नॉर हेल अ फ़्यूरी लाइक अ वुमन स्कॉर्न्ड.’ लब्बोलुआब ये कि एक तिरस्कृत औरत का ग़ुस्सा जहन्नुम की सभी विभीषिकाओं से भी ज़्यादा ख़तरनाक होता है. कंग्रीव की […]

एक अंग्रेज़ नाटककार विलियम कंग्रीव ने 1697 में लिखे अपने नाटक ‘ द मोर्निंग ब्राइड’ में लिखा था, ‘हेवेन हैज़ नो रेज लाइक लव टू हैटरेड टर्न्ड, नॉर हेल अ फ़्यूरी लाइक अ वुमन स्कॉर्न्ड.’ लब्बोलुआब ये कि एक तिरस्कृत औरत का ग़ुस्सा जहन्नुम की सभी विभीषिकाओं से भी ज़्यादा ख़तरनाक होता है.

कंग्रीव की ये पंक्तियाँ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की दूसरी तलाकशुदा पत्नी रेहाम ख़ान पर पूरी तरह लागू होती हैं जिनकी हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा ने भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन हर जगह तहलका मचा दिया है.

रेहाम ख़ान की कहानी शुरू होती है लीबिया से जहाँ 1973 में उनका जन्म एक पाकिस्तानी ईएनटी सर्जन नय्यर रमज़ान के घर हुआ था. अपने पिता के बारे में रेहाम की सबसे मधुर याद ये है कि उनकी माँ को हमेशा ‘डार्लिंग’ कहकर पुकारते थे.

रेहाम बताती हैं, "हम तो अभिभावकों को समझते नहीं कि वो इंसान भी हो सकते हैं या रोमांटिक भी हो सकते हैं. काफ़ी दिनों तक तो हम समझ ही नहीं पाए कि वो कह क्या रहे हैं. हमारे लिए थोड़ा ‘शॉकिंग’ था उन्हें ‘डार्लिंग’ कहकर पुकारना. न सिर्फ़ ये वो जब भी घर में घुसते थे तो सबसे पहले मेरी माँ का चुंबन लेते थे."

"पाकिस्तानी संस्कृति के लिए ये थोड़ी अजीब बात थी जहाँ सार्वजनिक रूप से भावनाओं के इज़हार करने को अच्छा नहीं समझा जाता. मैं इसलिए भी ये बताना चाहती हूँ कि पाकिस्तान में मैंने नोट किया है, शायद भारत में भी ऐसा ही होता हो कि लोग दूसरों की बीवियों से तो खिलखिलाकर बात करते हैं, लेकिन अपनी बीवी को ज़्यादा तवज्जो नहीं देते."

किशोरावस्था में रेहाम काफ़ी मुखर थीं और कॉलेज में लड़कियों के समूह को उन विषयों की जानकारी देती थीं जिनके बारे में उन्हें घर पर बिल्कुल भी नहीं बताया जाता.

जब कॉन्डोम लेकर स्कूल पहुंचीं रेहाम

नतीजा ये हुआ कि उनके साथियों ने उनका नाम ‘मोर’ रख दिया जिसका पश्तो में अर्थ होता है, माँ.

रेहाम याद करती हैं, "मुझे बहुत परिपक्व समझा जाता था, परिवार में भी और दोस्तों में भी. मैं वो रोल करती थी जिसको आजकल ‘एगनी आंट’ कहा जाता है. मैं अक्सर लड़कियों को जमा कर उनकी मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं पर भाषण देती थीं और वो भी बिना खिलखिलाए."

"मुझे याद है कि कक्षा नौ में अपनी सहेलियों के अनुरोध पर मैं एक कॉन्डोम लेकर अपने स्कूल पहुंच गई थी. होता ये था कि मेरे पिता अफ़ग़ान शरणार्थियों के लिए मुफ़्त मेडिकल कैंप लगाया करते थे और उनकी अलमारी में कॉन्डोम के बड़े-बड़े कार्टन रखे होते है. बचपन में मुझे याद है कि हम उन्हें गुब्बारों की तरह फुलाया करते थे, बिना ये जाने कि उनका असली इस्तेमाल क्या है."

"बड़ी अजीब बात है कि हमारे समाज में लड़कियों की 17-18 साल की उम्र में शादी तो कर दी जाती है, लेकिन उन्हें ये नहीं बताया जाता कि उनके साथ अब होना क्या है. उन्हें सेक्स, गर्भनिरोध या रिश्तों के बारे में कभी बताया ही नहीं जाता. मैं लोगों की नक़ल बहुत अच्छी कर लेती थी. बेनज़ीर भुट्टो का भाषण जब मैं हूबहू वैसा ही सुनाती थी तो लड़कियों का मजमा लग जाता था. जब मैंने ये बात अपनी किताब में लिखी तो मेरी बेटियों ने मेरा मज़ाक उड़ाया कि हाय अल्लाह आपने ये बातें तक किताब में लिख डालीं."

सिर्फ़ 19 साल की उम्र में उनसे 16 साल बड़े, उनकी बुआ के बेटे एजाज़ रहमान ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा जिसे उनके माता-पिता ने स्वीकार कर लिया. लेकिन पहले दिन से ही ये शादी चली नहीं और रेहाम को अक्सर घरेलू हिंसा का शिकार बनना पड़ा.

रेहाम बताती हैं कि ऐसा नहीं था कि उनके पहले पति उन्हें एक आदर्श और निपुण पत्नी बनाना चाहते थे. असल में उनकी मंशा थी उन्हें हमेशा अपने क़ाबू में रखना.

13 साल बाद लिया तलाक़

रेहाम कहती हैं, "सिर्फ़ घरेलू हिंसा ये नहीं होती कि कोई आप पर हाथ उठाए या आपके ऊपर कोई चीज़ उठाकर मार दे. घरेलू हिंसा शुरू ही होती है एक ‘कंट्रोल सिचुएशन’ से. घरेलू हिंसा करने वाला ये परख लेता है कि वो कहाँ तक जा सकता है. कम उम्र की लड़कियों के साथ घरेलू हिंसा ज़्यादा होती है. मैं अपनी शादी के पहले दिन या कहें पहले घंटे से ही समझ गई थी कि कुछ सही नहीं है."

"घरेलू हिंसा में पति का वित्तीय कंट्रोल बढ़ता चला जाता है. पहले गाली-गलौज शुरू होती है और फिर मारपीट शुरू हो जाती है. आपको इस तरह का अहसास कराया जाता है कि सारी ग़लती आपकी है और अगला बंदा आपको नाकारा, बेकार और बदसूरत कहने लगता है जिसकी वजह से आपकी सारी सेल्फ़ एस्टीम (आत्मविश्वास) ख़त्म हो जाती है."

रेहाम बताती हैं कि अपने पहले पति के साथ साढ़े बारह साल तक रहते हुए उन्हें ये अहसास ही नहीं हुआ कि वो घर में रह रही हैं.

घर का मतलब साफ़-सुथरे बिस्तर और चमकते हुए फ़र्श नहीं होते. अगर घर में बेसाख़्ता लगने वाले ठहाके और उन लोगों की बाहें नहीं हैं जिन्हें आप प्यार करते हैं तो उस घर का कोई मतलब नहीं.

13 साल के कड़वे वैवाहिक जीवन और तीन बच्चे पैदा होने के बाद रेहाम ने अपने पहले पति से तलाक़ ले लिया. तलाक़ लेने के बाद उनके शुरुआती दिन आर्थिक तौर पर मुश्किल भरे थे, लेकिन उन्हें मानसिक शांति थी.

उन्होंने पहले ‘लीगल टीवी’ में नौकरी शुरू की और फिर बीबीसी टेलीविज़न में. रेहाम याद करती हैं, "जब मैंने तलाक़ की अर्ज़ी लगाई तो मैं सारी अदालती क़ार्रवाई ख़ुद हैंडल कर रही थी. अपने बच्चों को अपने पति से बचाने की भी कोशिश कर रही थी. बिल्कुल पैसे नहीं थे. मेरे पास सिर्फ़ 300 पाकिस्तानी रुपए थे."

"मेरा जो साझा खाता था, वो भी मेरे पति ने ब्लॉक करा दिया था. लेकिन मेरे लिए ज़्यादा मुश्किल थी आगे क़दम बढ़ाना. ये सोचना कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन जब मैंने क़दम उठा लिया तो ज़िंदगी बहुत आसान हो गई. मशक्कत ज़रूर करनी पड़ी लेकिन घर का माहौल एकदम से ख़ुशगवार हो गया. बच्चों की मुस्कुराहटें वापस लौट आईं और उनकी आवाज़ सुनाई देने लगी."

इमरान ने एसएमएस करके बुलाया

फिर अचानक उन्होंने ब्रिटेन में बीबीसी की नौकरी छोड़ दी और वो पाकिस्तान चली गईं, जहाँ वो एक हाई प्रोफ़ाइल टीवी एंकर बन गईं.

इस बीच उन्हें इमरान ख़ान से दो बार इंटरव्यू करने का मौक़ा मिला. इसके कुछ दिनों बाद इमरान ने रेहाम को एसएमएस भेजा कि वो उनसे मिलना चाहते हैं.

कुछ दिन टालने के बाद रेहाम उनसे मिलने उनके घर गईं जहाँ इमरान ने उनसे शादी करने का प्रस्ताव उनके सामने रख दिया.

रेहाम को वो मुलाक़ात अभी तक याद है. वो कहती हैं, "मैं उनके बरामदे में खड़ी थी. इमरान लॉन में अपने कुत्ते को टहला रहे थे. उन्होंने मुझे अपनी तरफ़ बुलाया. मैं झिझकी, क्योंकि मैंने ऊंची एड़ी के जूते पहन रखे थे. लेकिन बीबीसी ने मुझे सिखाया था कि मैं जहाँ-जहाँ भी जाऊँ, अपने साथ बिना हील की फ़्लैट चप्पल ज़रूर ले कर जाऊं."

"मैंने वहीं अपने जूते उतारे और चप्पल पहनकर इमरान की तरफ़ गई. जब मैं उनके बग़ीचे की तरफ़ बढ़ी तो मैंने देखा इमरान ने मेरे जूते उठाकर मेज़ के बीचों-बीच रख दिए हैं, ताकि उनका कुत्ता उन्हें नुक़सान न पहुंचा सके."

उसी दौरान एक दिलचस्प घटना घटी. रेहाम इमरान के लॉन में बैठी हुई थीं कि वहाँ सैकड़ों की तादाद में मच्छरों ने उनके ऊपर हमला बोल दिया.

इमरान अचानक झुके और उन्होंने अपने दोनों हाथों से रेहाम की पिंडलियों को ढक लिया मानो वो उन्हें मच्छरों से काटने से बचा रहे हों.

रेहाम बताती हैं, "शायद मेरा ख़ून कुछ ज़्यादा ही मीठा है. जब वो बाथरूम गए तो सैकड़ों मच्छर मेरे पैर के आसपास मंडराने लगे. अचानक मैं क्या देखती हूँ कि इमरान ने अपने बड़े हाथों से मेरी पिंडलियों को कवर कर लिया. मैं घबराकर खड़ी हो गई. ये उनकी आम छवि से अलग बहुत केयरिंग और रोमांटिक रूप था. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि एक शख़्स जो इतनी अकड़ में रहता है, मेरे इस तरह पांव पकड़ लेगा. उसी मुलाक़ात में उन्होंने मुझसे कहा कि वो मुझसे शादी करना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा कि क्या आपको पता है कि मैं 42 साल की हूँ? इमरान बोले, ये तो अच्छा है. अब कोई मुझ पर ये आरोप तो नहीं लगाएगा कि मैंने आपको पालने से खींच लिया."

रेहाम ने इमरान का शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. फिर उनमें मतभेद हुए लेकिन फिर 31 अक्तूबर 2014 को दोनों का निकाह हो गया. मैंने रेहाम से पूछा कि इमरान की एक ‘प्ले बॉय’ की इमेज रही है. क्या शादी के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा?

रेहाम ने जवाब दिया, "ये सही है कि जब हम किसी से शादी करते हैं तो उसके पुराने रिकॉर्ड को देखते हैं. लेकिन हमारे बड़े-बूढ़े और आंटियाँ कहते थे कि जो शादी के पहले प्ले बॉय होता है, वो शादी के बाद ठीक हो जाता है. ये बिल्कुल ग़लत बात है. मैं अपने तजुर्बे से आपको बता रही हूँ कि ऐसा नहीं होता है. अगर कोई चीज़ किसी आदमी की आदत बन गई है तो उसे बदला नहीं जा सकता. मेरी किताब में एक लाइन है कि इमरान मुझसे कहते हैं, बेबी यू कान्ट टीच एन ओल्ड डॉग, न्यू ट्रिक. कहने का मतलब ये कि आप जो कुछ कर लें, मैं नहीं सुधरने वाला."

‘अपनी एक्स गर्लफ़्रेंड के क़िस्से सुनाते थे’

पहले दिन से ही इमरान और रेहाम के बीच दूरियाँ बढ़नी शुरू हो गईं. रेहाम का कहना है कि कुछ बाहरी लोगों और इमरान की पहली पत्नी जमाइमा गोल्डस्मिथ का असर उन पर अभी तक बरक़रार था.

मैंने रेहाम से सवाल किया कि क्या इमरान अपनी पूर्व पत्नी और दूसरी महिलाओं का ज़िक्र कभी उनके सामने करते थे?

रेहाम का जवाब था, "बहुत ज़्यादा, हद से ज़्यादा. लोगों के भी उन्होंने कई क़िस्से मुझे सुनाए. ख़वातीन पसंद नहीं करती कि आप उन्हें अपने ‘पास्ट’ के बारे में उन्हें बताएं. लेकिन इमरान अपनी एक्स वाइफ़ और एक्स गर्लफ़्रेंड्स के क़िस्से बताते रुकते ही नहीं थे. अब जब मेरी किताब लोगों ने पढ़ी है तो कुछ महिलाओं ने मुझसे संपर्क किया है जो इमरान की ज़िंदगी का हिस्सा रही हैं और कहा है जो क़िस्से आपने किताब में लिखे हैं, वही क़िस्से इमरान ने उन्हें भी बताए थे."

इमरान के 70 की दशक की एक बॉलीवुड अभिनेत्री के साथ क़िस्से बहुत मशहूर थे. इमरान ने रेहाम से इस बात की पुष्टि की कि वो कहानी सही थी.

रेहाम बताती हैं, "इमरान ने मुझसे कहा कि उन्हें उस अभिनेत्री से डर लगने लगा, क्योंकि उसने लंदन तक उसका पीछा किया. उस अभिनेत्री के एक जानने वाले ने मुझसे कहा कि असल में इमरान उसके पीछे लग गए थे और बाद में उस अभिनेत्री ने इमरान के बारे में कहा था, ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे."

इमरान का रहन-सहन और निजी जीवन की कुछ चीज़ें रेहाम को रास नहीं आईं. इमरान के कैंप से भी उनके ख़िलाफ़ लगातार एक मुहिम शुरू की गई.

रेहाम याद करती हैं, "मैं समझ ही नहीं सकी कि वो अपने दिल में मेरे बारे में क्या सोच रहे हैं. क़रीब-क़रीब पूरा एक साल जो हमने साथ गुज़ारा, वो मेरी तारीफ़ करते थकते नहीं थे. जब मैं कहीं तक़रीर दे कर आती थी या इंटरव्यू देकर आती थी तो वो मेरी इतनी तारीफ़ करते कि मैं शर्मिंदा हो जाती थी. लेकिन मेरी पीठ पीछे मेरे ख़िलाफ़ एक साज़िश रची जा रही थी और इमरान उसका हिस्सा थे. हाँ ये बात सही है कि शादी से पहले भी और शादी के बाद भी जिस तरह से वो पार्टी को चला रहे थे, उस पर मुझे ऐतराज़ था. मैं उनसे शिकायत किया करती थी कि वो किस तरह के लोगों को पार्टी में लेकर आए हैं, जिनमें न कोई वज़ादारी है और न ही इनकी कोई अच्छी राजनीतिक बैकग्राउंड है."

"शादी से पहले तो इमरान कहते थे कि मैं तुम्हारी सलाह पर काम करूंगा. लेकिन शादी के बाद जब मैं यही बात करती थी तो वो मुझे चुप करा देते थे या डांट देते थे. मेरे पार्टी पर हावी होने का तो सवाल ही नहीं उठता था, क्योंकि इमरान मुझसे राजनीति पर बात ही करना नहीं पसंद करते थे. कुछ महीनों के बाद तो उन्होंने मुझसे कह दिया था कि राजनीति के बारे में अगर तुम्हें कुछ बातें करनी हो तो मुझे लिखकर दे दिया करो, क्योंकि शाम का वक़्त तो उनका संगीत सुनने का वक़्त होता था. मुझे ये बात अजीब सी लगती थी."

रेहाम की मानी जाए तो इमरान के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों, काले जादू, जादुई तावीज़ों और इमरान की निजी लाइफ़ स्टाइल ने उन्हें उनसे दूर कर दिया.

रेहाम याद करती हैं, "सच्ची बात ये है कि मैंने आख़िरी वक़्त तक कोशिश की कि मैं इन्हें समझा लूँ. अप्रैल के बाद मुझे ये बात समझ में आ गई थी कि ये स्टेटस-को (यथास्थिति) की पार्टी है और इमरान भी इसे नहीं ठीक कर सकते. काफ़ी अर्से तक मैं समझती रही कि इमरान में हिम्मत नहीं है ग़लत काम करने वालों को रोकने की. उनके अगल-बग़ल जो लोग थे वो करप्ट बैकग्राउंड के लोग थे, लैंड माफ़िया थे."

"उनका एक जानने वाला मुझसे लंदन में मिला और उसने मुझे किचन मनी ऑफ़र की. मुझे ये बहुत अपमानजनक बात लगी, लेकिन इमरान पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उस शख़्स के पैसे ही इमरान के घर में आते थे जिससे उनका घर चलता था. मैं इमरान से कहा करती थी कि आज ये शख़्स जो आपको पाँच लाख रुपए दे रहा है, वही आपसे उम्मीद करेगा कि आप उसे पाँच करोड़ रुपए दें, जब आप कुछ बन जाएं."

"इमरान मुझे कुछ काम करने से पहले मुझसे पूछते ज़रूर थे. मसलन वो कहते थे कि ये जो मैं नीली टाई पहने हुए हूँ वो बिल्कुल ठीक है न. जब मैं कहूं कि बिल्कुल ठीक है तो वो जाकर गुलाबी टाई पहन लेते थे. अगस्त आते-आते मैंने उनसे कहना शुरू कर दिया था कि आप मुझसे पूछते क्यों हैं, जब आपको उसकी उल्टी बात ही करनी होती है."

इमरान को नुक़सान पहुंचाने के लिए लिखी किताब?

रेहाम की ये किताब उस समय आई जब इमरान पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली का चुनाव लड़ रहे थे. कुछ हल्कों में ये भी कहा गया कि इस किताब के ज़रिए रेहाम ने इमरान को राजनीतिक रूप से नुक़सान पहुंचाने की कोशिश की है.

लेकिन अगर उनका ये मक़सद रहा भी हो, तो वो इसमें सफल नहीं हुईं और इमरान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.

मैंने रेहाम से पूछा कि आपको इस बात का अफ़सोस नहीं कि अगर आपने इमरान से तलाक़ नहीं लिया होता तो आप पाकिस्तान की फ़र्स्ट लेडी होतीं?

रेहाम का जवाब था, "मेरे लिए ये मुमकिन नहीं था कि मैं इस तरह के शख़्स के साथ ‘कंप्रोमाइज़’ कर सकूँ. वो सिर्फ़ मेरे साथ बदतमीज़ी करते तो मैं बर्दाश्त कर लेती, लेकिन वो मुल्क़ के मुस्तक़बिल के साथ खेल रहे थे. मैं समझती हूँ कि इमरान ने जिस वजह से मुझसे शादी करने की पेशकश की, वो ग़लत थी. मैं उनके साथ बहुत मिसमैच इंसान हूँ."

"एक राजनीतिज्ञ या प्रधानमंत्री की बीवी बनने के लिए मेरा ‘जेनेटिक स्ट्रक्चर’ सही नही है. अगर कोई ग़लत काम करे, उसे मैं नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती. जब रिश्ता टूटा तो मुझे ये यक़ीन नहीं आ रहा था कि मैं ऐसी बेवकूफ़ कैसे हो सकती थी कि मैंने इस शख़्स से शादी की."

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