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#BBCShe शादी के लिए डिग्री ले रही हैं लड़कियां

<p>उस युवती की आंखों में उलझन और झिझक थी. वो अपनी बहन की कहानी बता रही थी जिसे उच्च इंजीनियरिंग डिग्री होने के बावजूद सबकुछ छोड़कर शादी करनी पड़ी थी.</p><p>अब उसके दो बच्चे हैं और वो शादीशुदा ज़िंदगी में ख़ुश है. लेकिन वो अपनी ज़िंदगी से और भी बहुत कुछ चाहती थी जिसे हासिल करने […]

<p>उस युवती की आंखों में उलझन और झिझक थी. वो अपनी बहन की कहानी बता रही थी जिसे उच्च इंजीनियरिंग डिग्री होने के बावजूद सबकुछ छोड़कर शादी करनी पड़ी थी.</p><p>अब उसके दो बच्चे हैं और वो शादीशुदा ज़िंदगी में ख़ुश है. लेकिन वो अपनी ज़िंदगी से और भी बहुत कुछ चाहती थी जिसे हासिल करने का मौका उसे कभी नहीं मिला.</p><p>#BBCShe के तहत जब हम तटीय शहर विशाखात्तनम की आंध्रा यूनिवर्सिटी में छात्राओं से बातें कर रहे थे तब ऐसी ही कहानियां बार-बार सामने आ रही थीं.</p><p>लड़कियां जल्द शादी में ढकेल दिए जाने और करियर के ख़्वाब छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने का डर ज़ाहिर कर रही थीं. </p><p>जो लड़कियां हमसे बात कर रही थीं वो जेनेटिक्स, फ़ॉर्माकोलॉजी, क़ानून, प्रबंधन और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी क्षेत्रों की छात्राएं थीं. इनमें से कुछ स्नातकोत्तर कर रही थीं जबकि कई शोध छात्राएं थीं.</p><h1>बिहार से अलग तस्वीर</h1><p>ये बिहार के ठीक उलट था जहां लड़कियां अभी भी प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. #BBCShe की टीम बीते सप्ताह बिहार में ही थी.</p><p>लड़कियों की उच्च शिक्षा के मामले में आंध्र प्रदेश बिहार से बहुत आगे है.</p><p><a href="http://aishe.nic.in/aishe/viewDocument.action?documentId=227">ऑल इंडिया सर्वे ऑफ़ हायर एजुकेशन</a> 2015-2016 में आंध्रा में उच्च शिक्षा में लड़कियों का अनुपात (सकल नामांकन अनुपात यानी जीईआर) मुख्य राज्यों में देश में दूसरे नंबर पर है. इस सूची में शीर्ष पर तमिलनाडु है.</p><p>जीईआर दरअसल कुल योग्य छात्रों की तुलना में उच्च शिक्षा में दाख़िला लेने वाले छात्रों का अनुपात होता है.</p><p>भारत में ये 18-23 आयुवर्ग में मापा जाता है. इस समय भारत में उच्च शिक्षा में महिलाओं का नामांकन अनुपात 23.5 प्रतिशत है. लेकिन भारत के अलग-अलग राज्यों में भारी विविधता है. </p><p>बिहार में ये दर 12.6 प्रतिशत है जबकि तमिलनाडु में 42.4 प्रतिशत है. आंध्र प्रदेश देश के उन शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है जिनमें महिलाओं का जीईआर 26.9 प्रतिशत से अधिक है.</p><p>उच्च शिक्षा में अधिक उपस्थिति का मतलब ये होना चाहिए था कि नौकरियों में भी अधिक महिलाएं हों. लेकिन आंध्र यूनिवर्सिटी की छात्राओं के अनुभव से ऐसे संकेत नहीं मिलते.</p><p>वास्तव में सबसे चौंकाने वाला बयान एक 22 वर्षीय छात्रा ने दिया जिसने कहा, &quot;हमारे अभिभावक हमें यूनिवर्सिटी भेज रहे हैं ताकि हमें अच्छी डिग्रियां मिल सकें और जब हमारा सीवी संभावित दूल्हों के पास भेजा जाए तो अच्छा लगे. वो हमें करियर बनाने के लिए यहां नहीं भेज रहे हैं.&quot;</p><h1>पारिवारिक दबाव</h1><p>इस छात्रा की बात से लगभग सभी सहमत थे. जब उसने अपनी बात ख़त्म की तो हॉल तालियों से गूंज उठा. </p><p>ये बात स्पष्ट थी कि सभी लड़कियां अपने परिवारों की ओर से शादी के लिए भारी दबाव महसूस कर रही थीं. </p><p>भारत में नौकरियों में महिलाओं का प्रतिशत नौकरी करने की चाहत और योग्यता रखने वाली महिलाओं की तुलना में 24 प्रतिशत है. ये विश्व के औसत 39 प्रतिशत से बहुत नीचे है.</p><p><a href="https://data.worldbank.org/indicator/SL.TLF.TOTL.FE.ZS">विश्व बैंक की एक रिपोर्ट</a> के मुताबिक इस मामले में साल 2016 में आई 185 देशों की सूची में भारत का स्थान 172वां था.</p><p>यही नहीं इस मामले में बीतते समय के साथ भारत का प्रतिशत गिर ही रहा है. साल 1990 में जहां ये 28 प्रतिशत था वहीं साल 2016 में 24 प्रतिशत ही रह गया था. .</p><p>सभी राज्यों की तुलना में आंध्र प्रदेश की स्थिति सबसे बेहतर है, लेकिन यहां भी ये प्रतिशत गिर रहा है. साल 2000 में 46 प्रतिशत से कम होकर साल 2011 में ये 36 प्रतिशत ही रह गया है.</p><p>सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक्स एंड सोशल स्टडीज़ की एक फ़ील्ड <a href="http://www.nird.org.in/nird_docs/srsc/srsc261016-19.pdf">सर्वे रिपोर्ट</a> के मुताबिक भारत में कामकाजी शादीशुदा महिलाओं की संख्या गिर रही है और ये ट्रेंड ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में नज़र आ रहा है.</p><p>आंध्र यूनिवर्सिटी में हमने जिन महिलाओं से बात की वो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों से थीं. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने बताया कि उनके परिवारों में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जा रही है क्योंकि कम उम्र की लड़कियों के लिए कम दहेज देना पड़ता है. वहीं शहरी क्षेत्र की छात्राओं का कहना था कि उच्च शिक्षा दहेज कम करने में मददगार साबित होती है.</p><p>उनमें से एक ने कहा, &quot;अगर आपकी डिग्री अच्छी है तो आपको वेतन भी अच्छा मिलता है, यहां अगर आपकी डिग्री अच्छी है तो आपको कम दहेज देना पड़ता है.&quot;</p><p>पटना से विशाखापत्तनम तक आने में मैंने लंबा फ़ासला देखा. सांस्कृतिक, भौतिक और विकास के मामले में. लेकिन जहां तक महिलाओं के सामने मुद्दों के सवाल है, वो यहां भी हैं और शादी और दहेज के इर्द-गिर्द ही घूम रहे हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक </a><strong>करें. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>

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