यह एक ऐसा विरोध है जो कई मायनों में हटकर है. केरल के एक युवा ने सोशल मीडिया को हथियार बनाया और राज्य सरकार का ध्यान खींचने में कामयाबी पाई.
दरअसल, 30 साल के श्रीजीत राज्य सचिवालय के बाहर पिछले 768 दिनों से धरने पर बैठे हैं और कई बार उन्होंने भूख हड़ताल भी की है.
श्रीजीत की मांगों को सोशल मीडिया पर लाने वाले अखिल थॉमस का कहना है, "वह नारियल पानी और पानी पर ज़िंदा रहा. कई दिनों के बाद उसने कुछ अन्न खाया."
श्रीजीत हाथ से लिखे पोस्टर्स के साथ फुटपाथ पर बैठते हैं. थॉमस का उनसे मिलना भी संयोगवश ही हुआ, जब वो पट्टनामतित्था से राजधानी तिरुवनंतपुरम आए थे और तभी उन्होंने श्रीजीत को देखा.
श्रीजीत की मांग है कि उनके छोटे भाई श्रीजीव मौत की जाँच सीबीआई करे. उनका आरोप है कि मई 2014 में उनके भाई की पुलिस थाने में हत्या कर दी गई थी क्योंकि वह उस महिला से प्यार करता था, जो कि एक पुलिस अधिकारी की संबंधी थी.
धरनास्थल पर युवाओं की नारेबाज़ी के बीच श्रीजीत ने बीबीसी से कहा, "राज्य पुलिस की इस मामले की जाँच करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वो मेरी शिकायत सुनने तक को तैयार नहीं है. यही वजह है कि मैं इस बात पर ज़ोर दे रहा हूँ कि इस मामले की जाँच सीबीआई करे."
परेश मेस्ता की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी गई
लेकिन, इस पूरे मामले में पुलिस जो कहानी बता रही है वो अलग ही है.
हवालात में मौत
केरल उच्च न्यायालय में पेश याचिकाओं में पुलिस निरीक्षक गोपाकुमार ने आरोप लगाया था कि श्रीजीव चोरी के मामलों में लिप्त थे और इन्हीं मामलों की तफ्तीश के लिए उन्हें पुलिस थाने लाया गया था और हवालात में रखा गया था.
आरोप ये भी है श्रीजीव ने हवालात में कीटनाशक के साथ-साथ सुसाइड नोट भी छिपा रखा था.
पुलिस निरीक्षक गोपाकुमार के वकील एलन पपाली ने कहा, "ये सभी तथ्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण को सौंप दिए गए हैं. लेकिन तत्कालीन पीठासीन अधिकारी ने हमें प्राधिकरण के सामने पेश हुए विशेषज्ञों से पूछताछ करने की इजाज़त नहीं दी."
पपाली ने कहा, "इसलिए, हमने हाईकोर्ट में अपील की और इस मामले में स्टे देने की मांग की, क्योंकि पीठासीन अधिकारी ने एकतरफा आदेश जारी किया था. उन्होंने इस बात की भी परवाह नहीं की कि प्राधिकरण के अन्य चार सदस्य इस मामले को सुनें. हाईकोर्ट ने पीठासीन अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है."
उन्होंने कहा कि क्योंकि इस मामले में स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल थे, इसलिए पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा, "अगर इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है."
लेकिन, सरकार ने सरकार की नींद तब खुली जब सचिवालय के एकदम सामने धरना दे रहे श्रीजीत के समर्थन में टॉविनो थॉमस जैसे अभिनेता उतरे. इसके बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने श्रीजीत और उनकी मां को मुलाक़ात करने के लिए बुलाया.
सरकार का समर्थन?
श्रीजीत कहते हैं, "मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि वो इस मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करे और सरकार इस याचिका का विरोध नहीं करेगी."
विजयन ने श्रीजीत और उनकी मां को ये भी बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआई जाँच कराने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था, लेकिन केंद्र ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली.
लेकिन, मुख्यमंत्री की सलाह के मुताबिक वकरील कालीश्वरमराज ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. उन्होंने बीबीसी से कहा, "अदालत में इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी."
इस बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर और केसी वेणुगोपाल ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाक़ात की. मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया की सीबीआई इस मामले की जाँच को आगे बढ़ाएगी.
लेकिन श्रीजीत ने तब तक अपनी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है, जब तक कि उन्हें सीबीआई जाँच का आदेश दिखाया नहीं जाता.
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