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पत्रकार विनोद वर्मा की पेशी के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं का हंगामा

छत्तीसगढ के मंत्री राजेश मूणत की कथित सेक्स सीडी के मामले में ग़ाज़ियाबाद से गिरफ़्तार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को रायपुर की एक अदालत ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया है. पुलिस वर्मा को लेकर शनिवार रात रायपुर पहुंची थी. उन्हें रविवार को रायपुर में न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया […]

छत्तीसगढ के मंत्री राजेश मूणत की कथित सेक्स सीडी के मामले में ग़ाज़ियाबाद से गिरफ़्तार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को रायपुर की एक अदालत ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया है.

पुलिस वर्मा को लेकर शनिवार रात रायपुर पहुंची थी. उन्हें रविवार को रायपुर में न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया.

वर्मा की अदालत में पेशी के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया.

आरोप है कि पुलिस ने मौक़े पर उपस्थित कुछ महिला पत्रकारों के साथ मारपीट की. पुलिस जब विनोद वर्मा को लेकर कोर्ट से बाहर निकली तो मौक़े पर मौजूद पत्रकारों ने उनसे बातचीत की कोशिश की.

आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने एक महिला पत्रकार को बाल खींचते हुए लात से मारा, जबकि एक दूसरी पत्रकार के सीने पर आपत्तिजनक तरीक़े से हाथ रख कर धक्का दिया.

महिला पत्रकारों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार के मामले में सरकार ने एक इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया है. इसके अलावा पूरे मामले की महिला मजिस्ट्रेट से जांच कराने की भी घोषणा की गई है. पुलिस का कहना है कि निलंबित इंस्पेक्टर गौरव तिवारी मामले की जांच से जुड़े हुए थे.

वर्मा के वकील फ़ैसल रिज़वी और सतीश वर्मा ने अदालत में उनकी गिरफ़्तारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन का हवाला देते हुए कहा कि विनोद वर्मा को ‘सरकार के निर्देश पर फंसाया गया है’.

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वर्मा के वकील सतीश वर्मा ने बीबीसी से कहा, "विनोद वर्मा की तरफ़ से अदालत में आदेवन दिया गया है कि छत्तीसगढ़ में संवैधानिक पदों पर बैठे दो लोगों ने उन्हें फंसाया है.’

उन्होंने कहा, ‘विनोद वर्मा ने इन दोनों मंत्रियों के नाम भी अदालत को बताए हैं. हमने अदालत को बताया कि विनोद वर्मा के पास से कोई सीडी बरामद नहीं की गई है."

वकीलों ने आरोप लगाया कि विनोद वर्मा को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस की टीम एफआईआर दर्ज़ होते ही हवाई जहाज से दिल्ली पहुंच गई, लेकिन वर्मा की स्लिप डिस्क की बीमारी और उनके अस्पताल में भर्ती रहने का हवाला दिए जाने के बाद भी उन्हें जानबूझ कर प्रताड़ित करने के लिए सड़क मार्ग से लाया गया.

विनोद वर्मा ने अदालत को ख़ुद ये बताया कि उन्हें लेकर शनिवार की दोपहर दो बजे ही पुलिस रायपुर के पास पहुंच चुकी थी, लेकिन उन्हें रायपुर लाने के बजाए देर रात तक शहर के आसपास के इलाक़े में घुमाया जाता रहा.

विनोद वर्मा की गिरफ़्तारी के समय उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 506 के तहत मामला दर्ज़ किया गया था.

लेकिन आज जब उन्हें अदालत में पेश किया गया तो पुलिस ने अदालत को जानकारी दी कि भारतीय दंड संहिता की धारा 507, 120 बी और आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत नया मामला भी उनके ख़िलाफ़ दर्ज़ किया गया है.

मामले में सरकारी वक़ील ने सात दिनों की पुलिस रिमांड मांगी थी, जिसका विनोद वर्मा के वक़ीलों ने विरोध किया.

शाम चार बजे के आस पास शुरु हुई अदालती कार्रवाई तीन घंटे तक चली और अदालत ने विनोद वर्मा को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर इस हिदायत के साथ सौंप दिया कि विनोद वर्मा की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए.

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विनोद वर्मा की अदालत में पेशी के समय सुरक्षा व्यवस्था का भी सवाल खड़ा हुआ. रविवार शाम को अदालत में लाते समय थाने के बाहर ही पुलिस की गाड़ी को कुछ लोगों ने रोकने की कोशिश की और पुलिस की गाड़ी के सामने ऑटो खड़ा कर दिया गया.

इस कार्रवाई में शामिल लोगों ने जम कर गाली-गलौच की और पुलिस कुछ नहीं कर पाई.

यहां तक कि अदालत से वापसी के समय भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता कोर्ट परिसर में घुस गए और उन्होंने नारेबाजी और धक्का-मुक्की की. इसके बाद पुलिस विनोद वर्मा को कमरे के भीतर ले जाने पर मज़बूर हो गई.

इस समय भी भाजपा कार्यकर्ता पुलिस की उस गाड़ी पर अपना ग़ुस्सा उतारते रहे, जिसमें विनोद वर्मा को ले जाया जा रहा था.

छत्तीसगढ़ में खौफ़ में जी रहे हैं पत्रकार

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