अराफात की पहाड़ी: अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और हिदायत के लिए दुआ का हाथ आसमान में बुलंद किये दुनिया भर से आए 20 लाख से ज्यादा हजयात्री मक्का के नजदीक अराफात की पहाड़ी में गुरुवार को जमा हुए. 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचे पारे और तेज धूप के बीच हज यात्रियों न मक्का के पूर्व में स्थित इस पहाड़ी पर पहुंचे. माना जाता है कि इसी जगह पर 1400 साल से भी ज्यादा पहले पैगंबर मुहम्मद ने अपना आखिरी खुत्बा (प्रवचन) दिया था. इस खुत्बे को इस्लाम में एक अहम मुकाम हासिल है.
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हज की पांच दिनों की यात्रा का दूसरा दिन नमाज के लिए समर्पित है. इंडोनेशिया से यहां आये 32 वर्षीय मौलाना याहिया ने कहा कि मैं बीती रात यहां आया और नमाज अदा की, तस्वीरें ली और अपने परिवार के लोगों तथा दोस्तों से बात की. हालांकि, पड़ीसी कतर से इस यात्रा पर आमतौर पर आने वाले हजारों लोग नहीं आये हैं और कुछ ही दर्जन लोग पहुंचे हैं. खाड़ी क्षेत्र में राजनयिक संकट के चलते ऐसा हुआ है. ट्यूनीशिया की एक महिला ने कहा कि यह पहला मौका है, जब मैंने इस तरह की कोई चीज देखी. यह दिन मेरे तीन बच्चों और मेरे परिवार ने अल्लाह से दुआएं मांगने के लिए महदूद कर दिया.
जबल अल रहम या रहम का पहाड़ के सामने स्थित एक अस्पताल में अस्वस्थ लोगों को चिकित्सा मुहैया की जा रही है. 40 डिग्री की रेगिस्तानी गर्मी से कुछ लोग अस्वस्थ हुए हैं. हज यात्री मुजदालिफास में रात बिताने के बाद अगले दिन शैतान को प्रतीकात्मक रूप से कंकड़ मारेंगे. यह रस्म जमरत पुल पर अदा की जाती है. वहां 2015 में एक भगदड़ मची थी, जिसमें करीब 2,300 लोगों की जान चली गयी थी. ईरानी अधिकारियों ने बताया कि इस साल की हज यात्रा में 86,000 से अधिक ईरानी नागरिक भाग ले रहे हैं.
सऊदी अरब ने कहा कि हज यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसने एक लाख से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है. वहीं, एक खबर के मुताबिक, मिस्र से आये 47 साल के हज यात्री खालिद अहमद ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अल्लाह हमारे गुनाह माफ कर देगा. हमें उम्मीद है कि अपने खुदा की इनायत से हम एक नयी शुरुआत करेंगे. अपने आखिरी खुत्बे में पैगंबर मोहम्मद ने मुसलमानों से अपने कर्ज चुकाने, शैतान से बचने, रोजाना पांच वक्त नमाज अता करने, रमजान में रोजे रखने और खैरात अदा करने को कहा था.
पैगंबर ने इस खुत्बे में लोगों को औरतों के हकों की याद दिलायी थी और कहा था कि सारे कबीले और जातीय समूह बराबर हैं, उनमें कोई ऊंच-नीच नहीं है. जो अच्छे काम करेंगे, वे ही अच्छा कहलायेंगे. उन्होंने संपन्न लोगों से जिंदगी में एक बार हज करने को भी कहा था. हज के दौरान उम्मीद की जाती है कि हाजी दुनियादारी की मोह-माया से ऊपर उठेंगे, उसके प्रतीकों से अपना नाता तोड़ कर सादगी भरी जिंदगी गुजारेंगे.
पूरे हज के दौरान मर्द बिना सिला कपड़ा पहनते हैं. औरतें ढीला-ढाला कपड़ा पहनती हैं. वे अपने बाल ढके रहती हैं. वे अपने नाखुनों पर पॉलिश नहीं लगातीं और मेकअप से परहेज करती हैं. अमीर हो या गरीब सब के लिबास एक जैसे होते हैं और सभी एक ही रंग में रंगे दिखते हैं. तकरीबन एक जैसे सफेद लिबास पहने दुनिया भर के 160 से ज्यादा देशों से हज यात्री मुसलमानों के बीच एकता, सादगी और अल्लाह के सामने बराबरी के प्रतीक के तौर पर देखे जाते हैं.