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गोरखपुर ग्राउंड रिपोर्ट: ‘एक के ऊपर एक लाशें पड़ी थीं’

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 100 नंबर वार्ड को कौन नहीं जानता. इंसेफ़ेलाइटिस के मरीजों के लिए बनाया गया यह वार्ड साल भर ख़ासकर बरसात के मौसम में खबरों में बना रहता है. 30 बच्चों की मौत की घटना के बाद शनिवार की सुबह जब हम अस्पताल पहुंचे तो वार्ड में भर्ती बच्चों […]

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 100 नंबर वार्ड को कौन नहीं जानता.

इंसेफ़ेलाइटिस के मरीजों के लिए बनाया गया यह वार्ड साल भर ख़ासकर बरसात के मौसम में खबरों में बना रहता है.

30 बच्चों की मौत की घटना के बाद शनिवार की सुबह जब हम अस्पताल पहुंचे तो वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजन फ़र्श और सीढ़ी पर लेटे नजर आए.

जिनके बच्चों की हालत गंभीर थी और जिन्हें गहन चिकित्सा कक्ष यानी आईसीयू में रखा गया था, उनके चेहरे मुर्झाए हुए थे. शायद वे रातभर सोए नहीं थे.

इस वार्ड में बाहर से लेकर भीतर तक इमरजेंसी तक, जिनसे भी मेरी बात हुई, सभी ने दबी जुबान से यहां होने वाली गंभीर लापरवाहियों का ज़िक्र किया.

मरने वालों का आंकड़ा कहीं अधिक

कुशीनगर से आईं समीना अपने नाती को लेकर चार दिन से अस्पताल में हैं.

वह बताने लगीं, "बंबई से आई है बेटी. उसका तीन साल का बेटा अचानक बीमार हो गया. यहां लाए तो पता चला कि मस्तिष्क ज्वर हो गया है. चार दिन से मुंह में और नाक में नली लगी है. क्या इलाज हो रहा है, कोई बताने वाला नहीं."

अकेली समीना ही नहीं, बल्कि इस तरह की शिकायत करने वाले कई और लोग मिले.

शुक्रवार को यह वार्ड उस समय सुर्खियों में आया जब कथित प्रशासनिक लापरवाही के चलते 30 बच्चों की मौत की ख़बरें आईं. बताया जा रहा है कि अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन ख़त्म हो गई और अस्पताल प्रशासन ने ये बात जानते हुए भी अतिरिक्त ऑक्सीजन का कोई इंतज़ाम नहीं किया था.

मौत का आंकड़ा 30 बताया जा रहा है जबकि स्थानीय अख़बार यह संख्या 50 तक बता रहे हैं.

एक के ऊपर एक लाशें पड़ी थीं

एक बुज़ुर्ग महिला स्थानीय भोजपुरी भाषा में बताने लगीं कि वैसे तो रोज़ यहां दस-बीस बच्चे मरते हैं, लेकिन शुक्रवार को तो एक के ऊपर एक लाशें पड़ी थीं.

महिला के साथ खड़े लोगों ने दबी आबाज में बताया, "पचासों बच्चे मर गए कल, कोई पूछने वाला नहीं."

वहीं, अस्पताल प्रशासन बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को वजह नहीं बता रहा है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मीडिया में आ रही इस ख़बर को सीधे तौर पर भ्रामक बताया है.

जबकि मीडिया के पास ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को लिखा वो पत्र भी है जिसमें बक़ाया भुगतान करने की बात कही गई है.

कंपनी ने बकाया भुगतान न होने के कारण और ऑक्सीजन देने में असमर्थता जाहिर की थी.

मुन्नी देवी शुक्रवार की सुबह अपने बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची थी. उनके बच्चों को डायरिया हो गया है.

उन्होंने बताया, "बच्चे की हालत गंभीर है. उसे नली के ज़रिए ऑक्सीजन दिया जा रहा है."

फ़िलहाल मुन्नी देवी को इस बात का संतोष ज़रूर है कि उनके बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है, लेकिन शुक्रवार की हृदय-विदारक घटना को याद कर वह रो पड़ीं.

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