कोलकाता : परिवार भले ही एक हों लेकिन उसके सदस्यों की राजनीतिक विचारधारा इस लोकसभा चुनाव में अलग अलग है तथा यहां तक हो सकता है कि कुछ अपने गृह संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में एकदूसरे के खिलाफ हों.
पश्चिम बंगाल के रायगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस की वर्तमान सांसद दीपा दासमुंशी अपने ही देवर एवं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार सत्यरंजन दासमुंशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी हैं. दीपा पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नी हैं जो कि गत कुछ वर्षों से दिल्ली के एक अस्पताल में कोमा में हैं. सत्यरंजन उनके भाई हैं.
सत्यनारायण कहते हैं कि उनकी लडाई राजनीतिक है और अपने पारिपारिक संबंध के चलते वे चुनावी रैलियों में एकदूसरे के खिलाफ कोई निजी टिप्पणी नहीं करते. उन्होंने कहा, मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं कहता क्योंकि हम एक ही परिवार से हैं. मैं अपनी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा किये अच्छे कार्यों और मैं तृणमूल के सिद्धांत के अनुरुप काम करुंगा.
इसी तरह से तृणमूल के दशरथ तिर्की और वाम मोर्चा के वर्तमान सांसद मनोहन तिर्की का विवाह एक ही परिवार में हुआ है लेकिन दोनों जलपाईगुडी जिले की अलीपुरद्वार सीट से एकदूसरे के खिलाफ खडे हैं. मनोहर ने कहा, हमारे राजनीतिक संबंध हमारे निजी संबंधों के बिल्कुल विपरीत हैं. यद्यपि दोनों की पत्नियां बहने हैं लेकिन दोनों इन दिनों आपस में नहीं मिलते.
दशरथ वाम मोर्चा के घटक आरएसपी के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए लेकिन बाद में तृणमूल में शामिल हो गए. बंगला फिल्म अभिनेता देव तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर घतल से चुनाव लड रहे हैं जबकि उनके चाचा शक्तिपद अधिकारी केशपुर से माकपा क्षेत्रीय समिति के सदस्य हैं. कम्युनिस्ट विचारधारा के लंबे समय से समर्थक रहे अधिकारी तब निराश हुए जब ममता बनर्जी ने उनके भतीजे को उम्मीदवार घोषित किया.
कोलकाता में भाजपा के तथागत राय और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय भाई हैं लेकिन दोनों चुनाव में अलग अलग सीटों से लडेंगे. सौगत अपनी दमदम सीट बरकरार रखने के लिए उतरेंगे जबकि तथागत कोलकाता दक्षिण सीट से लडेंगे.