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आदिवासियों के संघर्ष को नमन करेंगे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, डोंबारीबरु में मनेगा शहादत दिवस

खूंटी के डोंबारीबुरु (dombari buru movement) में बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ आखिरी लड़ाई लड़ी थी. यहां उनके अनुयायियों को अंग्रेजों ने गोलियों से भून डाला था. डोंबारीबुरु में भगवान बिरसा मुंडा के इस संघर्ष की याद में एक विशाल शहीद स्मारक बनाया गया है.

Dombari Buru Movement: स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए जो पंक्ति सबसे ज्यादा बोली जाती है, वो है- ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा…’ देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए अपने झारखंड के आदिवासियों ने भी बहुत बड़ा संघर्ष किया था. भगवान बिरसा मुंडा ने तो अंग्रेजों के खिलाफ तीर-धनुष से ही संघर्ष का ऐलान कर दिया था.

डोंबारीबुरु में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की रणनीति बनाने पहुंचे थे बिरसा मुंडा

खूंटी के डोंबारीबुरु में बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ आखिरी लड़ाई लड़ी थी. 9 जनवरी 1899 बिरसा मुंडा डोंबारीबुरु में अपने अनुयायियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा बनाने के लिए पहुंचे थे. अंग्रेजों को इसकी खबर मिल गयी और बिरसा मुंडा और उनके अनुयायियों को अंग्रेजी फौज ने घेर लिया. आदिवासियों ने तीर-धनुष की मदद से ही अंग्रेजों से लोहा लिया, लेकिन उनकी आग उगलती गोलियों के सामने ज्यादा देर टिक न सके. सैकड़ों आदिवासियों की मौत होगीय. डोंबारीबुरु में इसी दिन की याद में विशाल शहीद स्मारक बनाया गया. हर साल उन वीर सपूतों की शहादत को याद करने के लिए डोंबारीबुरु में समारोह का आयोजन होता है. बड़े नेता भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं. वहां मेला भी लगता है.

अंग्रेजों के जुल्म की याद दिलाता है खूंटी का डोंबारीबुरु

डोंबारीबुरु अंग्रेजों के जुल्म की याद दिलाता है. अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद होने वाले आदिवासियों की कुर्बानी की याद दिलाता है. यहीं पर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध की रणनीति तैयार कर रहे भगवान बिरसा मुंडा और उनके अनुयायियों की सभा पर अंग्रेजों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी. बताया जाता है कि इसमें सैकड़ों महिला, पुरुष और बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

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डोंबारीबुरु में शहीदों की याद में बना है 110 फीट ऊंचा विशाल स्तंभ

हालांकि, अंधाधुंध फायरिंग में भगवान बिरसा मुंडा बच निकले थे. लेकिन, बड़ी संख्या में आदिवासियों की मौत हो गयी थी. जहां गोलियां चली थी, उस स्थान पर शहीदों की याद में 110 फीट ऊंचे विशाल स्तंभ का निर्माण किया गया है. वहीं, नीचे मैदान में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्थापित की गयी है. यहां हर साल 9 जनवरी को शहीदों की याद में मेला लगता है.

डोंबारीबुरु में 2 बजे मनेगा शहादत दिवस

इस वर्ष भी डोंबारीबुरु में दिन में 2 बजे के बाद शहादत दिवस मनाया जायेगा. इस अवसर पर बिरसा उलगुलान एवं डोंबारीबुरु के शहीदों पर विशेष चर्चा, सीएनटी एक्ट पर चर्चा व पेसा अधिनियम और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों पर चर्चा होगी. इसके अलावा डोंबारीबुरु में केंद्रीय मंत्री सह खूंटी के सांसद अर्जुन मुंडा और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा विशेष तौर पर उपस्थित होंगे. वे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. सांस्कृतिक समारोह में भी दोनों भाजपा नेता शामिल होंगे.

शहादत दिवस पर जलाया गया दीया

इससे पहले, आदिवासी छात्र संघ के तत्वावधान में रविवार को बिरसा कॉलेज परिसर में डोंबारीबुरु मेें शहादत दिवस के पूर्व संध्या पर दीया जलाया गया. डोंबारीबुरु में शहीद अमर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस दौरान दुर्गावती ओड़ेया, सनिका मुंडा, दुबराज सिंह मुंडा, रामा पुरान, राकेश सेठ, जीनीद चंपिया, मनीषा कंडुलना, राखी कुमारी, सुनील नायक व अन्य उपस्थित थे.

रिपोर्ट – चंदन कुमार, खूंटी

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