North Bengal News: दार्जीलिंग में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (GTA) के चुनाव में 9 महीने पुराना भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) 45 में से 27 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. जीटीए के पूर्व अध्यक्ष अनीत थापा के नेतृत्व में बीजीपीएम, बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) से अलग हुआ एक गुट है, जिसने पर्वतीय क्षेत्र में एक दशक के बाद हुए जीटीए चुनाव का बहिष्कार किया था.
अधिकारियों ने कहा कि एक अन्य नवगठित दल हमरो पार्टी ने 8 सीट पर जीत दर्ज की है तथा तृणमूल कांग्रेस के खाते में पांच सीटें गयी हैं. चुनाव में 5 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी विजय हासिल की है. पहली बार तृणमूल ने जीटीए चुनाव में सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है. दार्जीलिंग की अर्ध-स्वायत्तशासी परिषद जीटीए का चुनाव रविवार को संपन्न हुआ था. एक दशक के दौरान क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति में कई परिवर्तन होने के बाद यह चुनाव हुआ.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग के नजदीकी सहयोगी थापा ने गत वर्ष सितंबर में बीजीपीएम का गठन किया था. उन्होंने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये. थापा की पार्टी ने 36 सीट पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा, ‘पर्वतीय क्षेत्र के लोग विकास चाहते हैं. हम सभी को क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना है.’
जीटीए के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि जो भी इसे नियंत्रित करता है, उसे पर्वतीय क्षेत्र की राजनीति में काफी महत्व मिल जाता है. चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए हमरो पार्टी ने कहा कि वह जीटीए में एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभायेगी. हमरो पार्टी के प्रमुख अजॉय एडवर्ड्स ने कहा, ‘पर्वतीय क्षेत्र के लोगों ने जनादेश दिया है. हम इसे पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं.’
टीएमसी के विजयी उम्मीदवार बिनय तमांग ने कहा कि पार्टी क्षेत्र के विकास के लिए काम करना जारी रखेगी. टीएमसी ने 10 सीट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग ने दावा किया कि चुनाव परिणाम पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को नहीं दर्शाते हैं. उन्होंने कहा, ‘जीटीए के पास कोई स्वायत्तता नहीं है.’
वर्ष 2012 में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने जीटीए के पहले चुनाव में सभी सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, हिंसक प्रदर्शन होने के कारण वर्ष 2017 में चुनाव नहीं हुआ था और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक प्रशासक निकाय ने परिषद का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था. इस बार भारतीय जनता पार्टी, जीजेएम और जीएनएलएफ ने चुनाव का बहिष्कार किया था.
उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी महकुमा परिषद की 9 सीट, 22 पंचायतों और 4 पंचायत समितियों के लिए भी सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई. इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘टीएमसी ने पंचायत समितियों में सर्वाधिक सीट जीती है और सिलीगुड़ी महकुमा परिषद में तृणमूल कांग्रेस आगे चल रही है.’ दिन में राज्य की 6 नगर पालिकाओं के छह वार्डों में हुए उपचुनाव में भी मतों की गिनती हुई.
इनमें से टीएमसी ने 4, जबकि कांग्रेस और माकपा ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस ने पुरुलिया जिले की झालदा नगर पालिका के वार्ड संख्या दो में 778 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि तृणमूल कांग्रेस उत्तर 24 परगना जिले के पानीहाटी नगर पालिका के वार्ड संख्या आठ में विजयी रही.