फिल्मकार हंसल मेहता की हालिया रिलीज फिल्म फराज में अपने अभिनय के लिए अभिनेता आदित्य रावल इनदिनों सराहे जा रहे हैं. वह इस फिल्म को एक सपने के पूरा होने जैसा करार देते हैं, क्यूंकि हंसल मेहता के साथ फिल्म करना हमेशा से उनकी विशलिस्ट में था. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
फिल्म में आपके परफॉरमेंस की बहुत तारीफ हो रही है, किसी खास की तारीफ आप शेयर करना चाहेंगे?
मौजूदा हालात में मेरे लिए तीन लोगों के विचार बहुत मायने रखते हैं. सबसे अहम इस फिल्म के निर्देशक हंसल सर. हंसल सर जब इस फिल्म को एडिटर अमितेश मुखर्जी के साथ एडिट कर रहे थे. फिल्म का पहला कट देखने के बाद उन्होने मुझे कॉल किया और कहा कि तुमने बहुत ही अच्छा काम किया है. आगे भी ऐसे ही केयर और इंटेलीजेंट के साथ अपने किरदार को जीना. दूसरा मेरे पिताजी परेश रावल का.उनके साथ ऐसा रिश्ता है कि वो मुझे नंगा सच बोल सकते हैं.उनको भी इस फिल्म में मेरा परफॉरमेंस बहुत पसंद आया. ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है.तीसरा जो मेरे लिए बहुत मायने रखता है. वह है राजकुमार सर. वे शाहिद और ओमेर्ता फिल्म के लीड रहे हैं. फ़राज़ कहीं ना कहीं इस त्रिलॉजी की तीसरी फिल्म कही जा सकती है.इस में शाहिद की आत्मा है, जो ओमेर्ता की आत्मा से टकराती भी है.राज सर ने पहले दोनों पार्ट किए हैं, इसलिए मैं उनकी राय को लेकर थोड़ा नर्वस था, लेकिन उनको भी हमारी पिक्चर और काम बहुत – बहुत अच्छा लगा.
ये फिल्म किस तरह से आप तक पहुंची थी?
हमारे फिल्म के निर्माता साहिल ने मुझे कांटेक्ट किया था कि मुकेश भट्ट मिलना चाहते हैं. ये सब बांग्लादेश गए थे. इस कहानी पर रिसर्च करने ,वे कुछ महीनों बाद मुझसे मिले. उन्होंने कहा की हम ये फिल्म बना रहे हैं.आप हंसल सर से एक बार जाकर मिलिए. मैं हंसल सर से जाकर मिला. हमारी कहानी को लेकर बहुत बात हुई. जिसमें मुझे उनका पॉइंट ऑफ़ व्यू समझ आया. निर्देशक हंसल सर के साथ काम करने को लेकर मैं एक अरसे से उतावला था। उनकी कई फिल्मों का मैं बहुत बड़ा वाला फैन हूँ, हंसल सर ने कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के साथ बात की हुई है साथ में उन्होंने मिलकर यह फैसला किया कि मैं निबरस के किरदार के लिए परफेक्ट रहूँगा.
फिल्म से जुड़ी क्या तैयारियां थी?
हमने तैयारी मार्च 2020 में शुरू कर दी थी और फिल्म अब रिलीज़ हुई है. आप समझ सकती हैं कि कितनी लम्बी जर्नी रही है. इसकी सबसे अहम वजह कोविड भी था. हम जैसे ही शूटिंग शुरू करने वाले थे कोविड आ गया. इस फिल्म का नवम्बर तक कुछ नहीं हो रहा था. इस फिल्म को बनाने में थोड़ी तकलीफें जब आ रही थी , तो अनुभव सर मैदान में उतरे उन्होंने मदद की,महाना और टी सीरीज के साथ. हमने दूसरी बार शूटिंग शुरू की, तो कोविड की दूसरी लहर आ गयी. ,वो तो और जोर का झटका था.फिर जुलाई २१ में हम शूटिंग के लिए उतरे , हमने कोविड बबल में रहकर शूटिंग शुरू की.किरदार कि तैयारियों की बात करुं कुरान शरीयत के सूरा की या शरीयत पढ़ने की, उसके लिए हमने बकायदा वर्कशॉप किया. इकलाख अहमद खान जो हंसल सर के एसोसिएट्स हैं.वो इस फिल्म के राइटर भी हैं.उनके साथ हमने वर्कशॉप की ,उन्होंने हमें नमाज पढ़ना सिखाया. तलफ्फुज़ पर काम किया
क्या आपकी निजी तैयारी भी थी?
मैं तो ऐसा हूं कि जितनी तैयारी मेरे लिए करुं, वो बेहतर है, क्यूंकि तैयारी जितनी अच्छी होगी. आप आत्मविश्वास से उस किरदार को अच्छे से निभा सकते हैं.मैंने किताबें और इंटरव्यूज पढ़ना, ऐसे लोग की डाक्यूमेंट्रीज और इंटरव्यू देखना शुरू किया, ताकि जो लोग ये काम कर रहे हैं. उनकी सोच को थोड़ा समझ सकूं.
फिल्म का सबसे मुश्किल सीन कौन सा था?
शूटिंग का पहला सीन हमेशा मेरे लिए मुश्किल होता है, क्यूंकि आपको पहली बार किरदार को परफॉर्म करना होता है.इसमें पेट में तितलियां भी उड़ती है.इस फिल्म में मेरा पहला सीन रेस्टोरेंट का है. जब रेस्टोरेंट पर आतंकी हमला कर रहे हैं. हमलोगों ने शूट लगभग क्रोनोलॉजी अनुसार ही किया था, लेकिन वह सीन आसान नहीं था. वो फिल्म का बहुत ही महत्वपूर्ण दृश्य है.उसमें बहुत तामझाम है. उस शुरूआती सीन में ही बॉडी लैंग्वेज, हमारे मेकअप से लेकर सेट में भी काफी बदलाव होता है. उस बदलाव के साथ शूटिंग, वो भी पहला सीन करना आसान नहीं था लेकिन हंसल सर ने बहुत गाइड और सपोर्ट किया.
निर्देशक के तौर पर हंसल सर की क्या खासियत आप पाते हैं?
हंसल का बहुत अनुभव है. उन्होने कमाल की फ़िल्में बनायीं हैं.वो एक फ्रेशनेस हर कहानी में लाते हैं. स्कैम के बाद उन्होंने ये बनाया है. वे दुनिया में कोई भी कहानी और एक्टर पकड़ते थे. वो उनके साथ काम करता था.उन्होंने चुनी फ़राज़. सारे युवा अभिनेताओं के साथ. आपको लगेगा कि और आसानी से बन गयी होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्हें बहुत लड़ाईयाँ लड़नी पड़ी. बजट बढ़ रहे हैं, क्यूंकि प्रोजेक्ट लगातार देर होते जा रहा है. कई लोग फिल्म से हट गए,लेकिन हंसल सर का पैशन था कि ये फिल्म बनाना है. उनके साथ काम करके ये समझ आया कि ज़िन्दगी में काम कुछ भी हासिल कर लो, लेकिन ये पैशन आपको हमेशा रखना है.
2005 में बांग्लादेश में हुए इस आतंकी घटना के बारे क्या आपको पहले से पता था?
हां, मुझे पता था. मैं काफी कुछ पढ़ते रहता हूं. दुनिया के जो भी ग्लोबल, हिस्ट्रोरिकल इवेंट्स होते हैं. मैं उन्हें पढ़ता रहता हूं. मैं ये घटना सुनकर उस वक़्त भी चौंक गया था. उस वक़्त ये बताया गया था कि ये आंतकी घटना करने वाले हमारे बीच के लोग थे. वे पढ़े -लिखे थे. फैमिली बैकग्राउंड भी अच्छा था. बांग्लादेश के बाहर जाकर फुटबाल खेलते थे. ऐसे लोग जब आतंकवाद से जुड़ते हैं, तो वह और भी ज्यादा डरावनी चीज होती है. उस वक़्त जब मैंने पढ़ा था, तो भी लगा था कि ये लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं.
जहान कपूर के साथ ऑफ स्क्रीन बॉन्डिंग कैसी थी?
ऑफ स्क्रीन हमारी बॉन्डिंग कमाल की थी. मुझे नहीं लगता कि भविष्य में ऐसा किसी और के साथ हो पाएगा. हमने साथ में ही तैयारियां चालू की थी.कोविड आ गया, तो हमने ज़ूम पर उसके बाद जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो हमने साथ में मिलकर हम फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ते थे या कोई मेरे लिखे हुए नाटक या कुछ और पढ़ते थे. कोविड की वजह से बहुत वक़्त खाली रहता था, तो हम बहुत सारा समय साथ में बिताते थे, जिसमें हमारी बॉन्डिंग काफी बढ़ गयी.हम साथ में जल्द ही एक नाटक भी करने वाले हैं. ये नाटक मैंने लिखा भी है.
फिल्म को सभी ने सराहा, लेकिन टिकट खिड़की पर फिल्म ज्यादा दर्शक नहीं मिले, क्या ये बात परेशान करती है?
एक एक्टर के तौर पर मैं इस बारे में ज्यादा सोचता भी नहीं हूं.मैं बस अपने किरदार को बढ़िया तरीके से करना चाहता हूं. हंसल सर चाहते थे कि जो भी ये फिल्म देखें, वो सराहे और बहुत से लोगों के मैसेज आ रहे हैं.
अपकमिंग प्रोजेक्ट्स
एक्टर के तौर पर एक अमेज़न का शो आ रहा है और राइटर के तौर पर फिल्म भी आ रही है.