रविवार 25 जुलाई से ‘श्रावण मास’ तो शुरू हो गया है, पर ‘श्रावणी मेला 2021’ नहीं. कोविड-19 के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी श्रावणी मेला स्थगित रहने से बाबा नगरी की डगर (अजगैबीनाथ धाम से बाबाधाम) वीरान पड़ी हुई है. हालांकि दिन भर में कभी-कभी गुजर रहे कांविरयों की टोली द्वारा लगाये जा रहे ‘बोल-बम’ के नारों व जयकारों से कुछ देर के लिये पथ झंकृत हो उठता है.
वर्ष 2020 की तरह ही वर्ष 2021 में भी श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होने से समूचे पथ में बुनियादी सेवाओं व सुविधाओं का घोर अभाव भी है. इससे वर्तमान में कांवर-यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी भी झेलनी पड़ रही है. लगातार दूसरी बार श्रावणी मेला के स्थगन से कांवरिया पथ पहुंचने वाले भिखारियों की टोली से लेकर बड़े-बड़े व्यवसायियों में भी मायूसी छायी हुई है.
चूंकि श्रावणी मेला अपने साथ केसरिया वस्त्रधारी शिवभक्तों के सैलाब तो लाता ही था, रोजगार के कई अवसर भी साथ लाता था. इधर कांवरिया पथ के कुरावा स्थित किशनगंज सेवा सदन (किशनगंज धर्मशाला) में कुछ देर के लिए विश्राम कर रहे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला के जियागंज के श्रद्धालुओं ने बताया कि वे लोग रविवार की शाम तक बाबाधाम पहुंचेंगे. गंगाजल को अपने पंडा के सुपुर्द कर देंगे, ताकि सावन मास की पहली सोमवारी को उनका जल बाबा पर चढ़ जाये.
इस ग्रुप के शिवभक्त पलटू राय व संजीव राय ने बताया कि वे अठारह सालों से लगातार बाबाधाम जा रहे हैं. कोरोना काल में भी उनकी संकल्प यात्रा अटूट रही. पहली बार बाबा दरबार जा रहे कौशिक दास ने बताया कि भोलेनाथ के प्रति उनलोगों में अटूट आस्था है. बाबा का आशीर्वाद रहेगा, तो जीवन भी सुख पूर्वक कटेगा, मृत्यु भी सुखद ही होगी. ग्रुप में श्रद्धालु बप्पा दास, गोविंद मंडल, असीम साहा, अनूप दास, प्रियांशु तालुकदार, राहुल घोष आदि शामिल थे.
इधर श्रावणी मेला के स्थगित रहने के कारण राज्य सरकार द्वारा कांवरिया पथ में बुनियादी सेवाओं व सुविधाओं को भी बहाल नहीं किया गया है. प्रशासनिक स्तर पर बाबाधाम जाने वाले कांवरियों को पहले ही रोकने के लिये सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार किये जा रहे हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan