छठी मैया (Chhathi Maiya) और सूर्य (Surya) की आराधना का पर्व छठ आज से शुरू हो गया है. व्रतियों के घर से घाट तक उत्सवी माहौल है. बाजारों में रौनक बढ़ गयी है। व्रत को लेकर खूब खरीदारी की जा रही है. गली-मोहल्लों में छठी मइया के गीत गूंजने लगे हैं. नहाय-खाय के बाद अगले दिन (9 नवंबर 2021) खरना होता है.
इकट्ठी कर लें पूजा सामग्री
छठ पूजा के लिए बांस की बड़ी टोकरियों या सूप की जरूरत होगी. इसके अलावा लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन और मिठाई की जरूरत होगी.
प्रसाद ग्रहण करने का ये है नियम
खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है. मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बादी ही परिवार के अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद ही भोजन करता है.
छठ पूजा 2021 तिथिः (Chhath Puja 2021 Tithi)
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08 नवंबर: दिन- सोमवार- नहाय खाय.
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09 नवंबर: दिन- मंगलवार- खरना.
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10 नंवबर: दिन- बुधवार- छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य.
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11 नवंबर: दिन- गुरुवार- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन
छठ पूजा का महत्व
सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र और महान योद्धा कर्ण ने की थी. मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव और छठी मईया की पूजा अर्चना करने निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.