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गया: मौसमी बीमारियों ने बढ़ाया जिले के अस्पतालों का लोड, कम पड़ रहे मगध मेडिकल के इमरजेंसी बेड

मगध मेडिकल के इमरजेंसी में देखा जाये, तो 75 बेड लगाये गये हैं. यहां पर रविवार को 128 व सोमवार की शाम तक 116 मरीज भर्ती के लिए पहुंचे हैं. ऐसे में यहां मरीजों को बेड मिलने व डॉक्टरों को इलाज करने में खासा परेशानी होती है.

गया: उमस भरी गर्मी में थोड़ी सी असावधानी बरतने पर कई तरह की बीमारियां लोगों को अपने चपेट में ले रही है. जिले के सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भीड़ काफी बढ़ गयी है. जिला अस्पताल व मगध मेडिकल में देखा जाये, तो हर दिन मेले के समान भीड़ दिख रही है. प्रमंडल के सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल के इमरजेंसी में देखा जाये, तो 75 बेड लगाये गये हैं. यहां पर रविवार को 128 व सोमवार की शाम तक 116 मरीज भर्ती के लिए पहुंचे हैं. ऐसे में यहां मरीजों को बेड मिलने व डॉक्टरों को इलाज करने में खासा परेशानी होती है. बेड का इंतजाम यहां के डॉक्टर मरीज के थोड़ा स्टेबल होने पर वार्ड में ट्रांसफर कर करते हैं. ऐसे में कई मरीजों का इलाज स्ट्रेचर पर या फिर कुर्सी पर बैठाकर शुरू कर दिया जाता है. मगध मेडिकल के ओपीडी में हर दिन 1300 से 1400 मरीज दिखाने पहुंचते हैं. जिला अस्पताल जेपीएन के इमरजेंसी में 30 व ओपीडी में 700- 800 मरीज हर दिन इलाज के लिए पहुंचते हैं. यही स्थिति अन्य सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी है. डॉक्टरों की मानें, तो इन दिनों सबसे अधिक मरीज गर्मी के कारण पहुंच रहे हैं.

इन बीमारियों का बढ़ गया खतरा

हीट स्ट्रोक: अधिक तापमान में हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है. इसकी वजह से तेज सिर दर्द व चक्कर आने लगते हैं. बॉडी में डिहाइड्रेशन की परेशानी होता है. हीट की चपेट में आने पर मरीजों को तुरंत ही इलाज की जरूरत होती है. तुरंत इलाज नहीं मिलने पर मरीज के मस्तिस्क, किडनी, हृदय व मांसपेशियों पर बहुत बुरा असर डालता है. लापरवाही में मरीज की मौत भी हो जाती है.

फूड प्वाॅयजनिंग: गर्मी के दिनों में सबसे अधिक लोगों में फूड प्वाॅयजनिंग का खतरा बना रहता है. इसका मुख्य कारण ताजा खाना नहीं खाना है. इस मौसम में खाना जल्द ही खराब हो जाता है. लोग लापरवाही में वहीं खाना खा लेते हैं और इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं. इससे बचने के लिए लोगों को ताजा खाना के साथ पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए.

टायफॉइड: गर्मी आते ही सबसे ज्यादा लोगों के मुंह से टायफॉइड सुनने को मिलता है. कई बार लोग इसे सिर्फ बुखार समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिस वजह से यह समस्या कई बार जानलेवा साबित हो सकती है. इसमें तेज बुखार, भूख नहीं लगना, हर समय उल्टी महसूस होना और खांसी जुकाम होता है. खाने-पीने की चीजों में स्वच्छता का खास ख्याल रखें.

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इन बीमारियों से भी रहें सावधान 

घेंघा: गर्मी के मौसम में लोगों में घेंघा की शिकायत भी बहुत देखने को मिलती है. यह थॉयराइड ग्लैंड के बढ़ जाने से होता है. इस रोग में गर्दन में सूजन आ जाती है. घेंघा से पीड़ित शख्स को सांस लेने में कठिनाई और खांसी की परेशानी होती है.

खसरा: खसरा एक वायरल बीमारी होती है, जो सांस के जरिये फैलती है. इसका संक्रमण अधिकतर छोटे बच्चों में फैलता है. घर में जिस किसी को खसरा हो उससे दूसरे लोगों को एतिहात बरतने की जरूरत होती है. इस बीमारी में शरीर पर लाल रंग छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं. इससे बचने का उपाय टीका करण है.

पीलिया व चेचक भी होने का है खतरा

पीलिया: गर्मी के दिनों में होनेवाले रोगों में पीलिया प्रमुख है. इसे हेपेटाइटिस ए भी कहा जाता है. इसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिससे शरीर पीला पड़ने लगता है. इसके अलावा पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है. गर्मी में दूषित खाने से दूरी बनाए रखें. पीलिया होने पर तो स्वच्छता का रखना जरूरी होता है. सिर्फ उबला हुआ खाना व पानी पीना चाहिए.

चेचक: गर्मी के दस्तक देते ही चेचक का संक्रमण फैलता है. इसके रोगी के शरीर में लाल दाग हो जाते हैं व सिरदर्द और बुखार की शिकायत रहती है. इसका शुरुआती लक्षण गले में खराश होना है. चेचक के रोगी को खांसी और छींके बहुत आती है, जिससे यह रोग दूसरों में भी फैल जाता है. इससे बचने के लिए भी टीके लगाये जाते हैं.

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हर किसी को सतर्क रहने की जरूरत

मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पीके सिन्हा ने बताया कि गर्मी के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए हर किसी को सतर्क रहने की जरूरत होती है. लापरवाही जान पर बन आती है. गर्मी में ताजा खाना, नमक-नींबू व चीनी का घोल, फल का सेवन, सत्तू का शरबत, दही का शरबत व आम का घोल पीना चाहिए. इस मौसम में चेचक, हीट स्ट्रोक, पीलिया, खसरा, घेंघा, टायफॉइड आदि बीमारियों का खतरा अधिक होता है. इसके बाद भी अगर इसके चपेट में आते हैं, तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

हर स्तर पर की गयी है तैयारी

सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह कस कहना है कि सरकारी सभी अस्पतालों में गर्मी के चपेट में आने के बीमार हुए लोगों के लिए इलाज की व्यवस्था की गयी है. पीएचसी व अन्य जगहों पर एंबुलेंस तैयार रखा गया है. इससे निबटने के लिए कई स्तर पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गयी है. इस मौसम में मरीजों की संख्या हर जगह बढ़ गयी है. इसके कारण थोड़ी बहुत दिक्कतें आती हैं. लेकिन, उसका समाधान निकाल लिया जा रहा है. हर स्तर पर कर्मचारी व डॉक्टर सहयोग कर रहे हैं.

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