27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

‘भोजपुरी फिल्मों के लिए कुछ अलग कर रहे निर्देशकों से अपील है कि हमको लो, ऑस्कर ना दिला दें तो बताना’, जानिए दुर्गेश कुमार ने ऐसा क्यों कहा

Durgesh Kumar: पंचायत 2 फेम अभिनेता दुर्गेश कुमार ने कहा, पंचायत 2 मेरे अभिनय करियर का टर्निंग पॉइंट रहा है. उसके बाद संघर्ष थोड़ा आसान हुआ है. हालांकि अभी भी आराम नगर के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

पंचायत 2 फेम अभिनेता दुर्गेश कुमार बीते दिनों अपनी फिल्म भक्षक को लेकर सुर्खियों में थे. इस शुक्रवार रिलीज हो रही फिल्म लापता लेडीज में एक बार फिर बेहद दिलचस्प किरदार में नजर आनेवाले हैं. इस फिल्म और उनकी अब तक की जर्नी पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत….

लापता लेडीज में आपकी एंट्री कैसे हुई?
कास्टिंग डायरेक्टर रोमिल के सहायक राम रावत ने कहा कि मूंछ बढ़ाइए और उसके बाद एक स्क्रिप्ट भेजी. मैंने सीन करके भेज दिया और मेरी एंट्री फ़िल्म में हो गई. 80 प्रतिशत कास्टिंग और 20 प्रतिशत परिचय से प्रोजेक्ट्स मिल जाते हैं.

किरण राव के निर्देशन को किस तरह से परिभाषित करेंगे?
वह काफ़ी अलग तरह की निर्देशिका है ,जब तक परफ़ेक्ट शॉट ना हो वह रिटेक पर रिटेक करती रहती है. सीन, डायलॉग के अलावा वह किरदारों की सायकोलॉजी को भी बहुत ही बारीकी से पकड़ने की कोशिश करती हैं . बहुत ही अलग दुनिया और किरदारों को इस फिल्म में रचा गया है.

अब तक की जर्नी को किस तरह से परिभाषित करेंगे?
बहुत मुश्किल है, बिना किसी तैयारी और फॅमिली सपोर्ट के करना लेकिन लगन से आप हर बाधा को पार कर देते हैं. हम लगे रहे हैं, तो जीवन में कुछ-कुछ चीज़ें हो रही हैं.

Also Read- Singham Again: अर्जुन कपूर ने विलेन की भूमिका निभाने पर तोड़ी चुप्पी, कहा- रोहित शेट्टी की कॉप यूनिवर्स में खूंखार…

पंचायत 2 के बाद संघर्ष कितना आसान हुआ है?
पंचायत 2 मेरे अभिनय कैरियर का टर्निंग पॉइंट रहा है. उसके बाद संघर्ष थोड़ा आसान हुआ है. हालांकि अभी भी आराम नगर के चक्कर लगाने पड़ते हैं. शाम के पाँच से रात के नौ बजे तक उधर ही रहता हूं. कई बार सामने से काम भी मांगना पड़ता है. बदलाव ये है कि कुछ भी नहीं बल्कि अच्छे रोल के ऑडिशन आने लगे. हमेशा ऑडिशन के जरिये ही किरदार मिला है, ऐसा भी नहीं है. भक्षक फ़िल्म के लिए पुलकित भाई ने सामने से कॉल किया था. मुझे लगता है कि किसी किरदार के लिए जब तक मुझे पुरस्कार नहीं मिलेगा तब तक आराम नगर के चक्कर लगाना नहीं छूटेगा.

आपके संघर्ष में आपके परिवार का कितना सपोर्ट रहा है ?
मेरा परिवार डॉक्टर्स का हैं. शुरुआत में वह मेरे एक्टर बनने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ थे तो वह सपोर्ट नहीं करते थे. ऐसे में बहुत सारे अलग – अलग काम किए. नोएडा के एक स्कूल में क्लास चौथी के बच्चों को पढ़ाया. मोटर साइकिल की एक दुकान में रिसेप्शनिस्ट का काम भी किया. धीरे-धीरे परिवार भी सपोर्ट करने लगा. मेरे पिताजी डॉक्टर हरेकृष्ण चौधरी, मेरी मां का नाम रामदाना चौधरी मेरे बड़े भाई डॉक्टर शिव शक्ति चौधरी इन लोगों ने इस जर्नी में मेरी बहुत मदद की है. पिछले कुछ सालों से घरवालों की मदद की ज़रूरत नहीं पड़ती है . खुद से ही अपने खर्चे सबकुछ मैनेज कर लेता हूं. 7 नवंबर 2013 को मैं मुंबई आ गया था. मेरी अब तक की जर्नी में कास्टिंग डायरेक्टर्स ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है. मुकेश छाबड़ा जी का विशेष धन्यवाद करना चाहूंगा.

आपके किरदारों का गवई अन्दाज़ सभी को ज़्यादा पसंद है ,क्या ऐसे किरदारों से आप ज़्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं ?


ऐसा कुछ नहीं है. अभी मैंने गैंग्स ऑफ़ गाज़ियाबाद करके एक फिल्म किया है. उसमें मेरा किरदार बहुत अलग है. मुख्य बात ये है कि आप कितने नेचुरल और रीयलिस्टिक है. ये लोगों को ज़्यादा पकड़ आता है, तो अपने हर किरदार में वही रखने की कोशिश करता हूं. मेरा मेथड पुअर थिएटर वाला है. उसी ने मुझे एक्टर के तौर पर गढ़ा है फिर एनएसडी.

आपकी ख्वाहिश किस तरह के किरदार करने की है ?
फिल्म दुश्मन में जो आशुतोष राणा ने किरदार किया है. मैं वैसा कुछ करना चाहता हूं. मुझे उम्मीद है कि मैं दर्शकों को चौंका सकता हूं. अभी प्रोसेस में है

अभिनय में किसके काम को आप पसंद करते हैं?
नवाज भाई का काम मुझे बहुत पसंद है. उनके साथ मैंने फ्रीकी अली फिल्म की है. उन्होंने पंचायत 2 देखकर मुझे मैसेज किया था कि बहुत अच्छा काम किया है.

गांव से अभी भी कितना जुड़ाव रख पाते हैं?
मैं पंचायत 2 शुरू करने के बाद दरभंगा छह महीने के लिए चला गया था. भक्षक मैंने दरभंगा से ही शूट किया है. दरभंगा से लखनऊ जाकर शूट करता था, लापता लेडीज भी ऐसे ही किया. दरभंगा से फ्लाइट लेकर भोपाल जाता था. मैं अपनी मां से बहुत जुड़ा हुआ हूं. मेरी रोज सुबह और शाम में मां बाबूजी से बात होती है.

बिहार की क्या बातें मुंबई में मिस करते हैं ?
मछली भात, दाल भात और आलू का भुजिया, मेथी, अचार ये सब बहुत मिस करते है?

साउथ, बंगाल का सिनेमा हमेशा से ही हिंदी सिनेमा से कदम से कदम मिलाकर चलता रहा है, लेकिन भोजपुरी सिनेमा बहुत पीछे हैं, इस पर आपकी क्या राय है ?
हमलोग बहुत मेहनत करके आये हैं. कुछ डायरेक्टर लोग कुछ अच्छा काम कर रहे हैं. अचल मिश्रा, पार्थ सौरभ अच्छा काम कर रहे हैं. भोजपुरी फिल्मों के लिए कुछ अलग करने की सोच रखने वाले निर्देशकों से अपील है कि यार हमलोग को लो ना या यार ऑस्कर ना दिला दें तो बताना.

Also Read- Jhalak Dikhhla Jaa 11: मनीषा रानी को इस स्टार ने किया सपोर्ट

आनेवाले प्रोजेक्टस
वेब सीरीज गैंग्स ऑफ गाजियाबाद और पंचायत 3 भी नजर आऊंगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें