36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

1932 के खतियान पर कोल्हान के पूर्व DIG राजीव रंजन बोले- सरकार के फैसले से मूलवासियाें काे नहीं हाेगा लाभ

1932 के खतियान को आधार मानकर स्थानीय नीति के प्रस्ताव पर कोल्हान के पूर्व DIG राजीव रंजन सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. कहा कि सरकार के इस फैसले से कई मूलवासियों को फायदा नहीं होगा. इसका कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि जंगलों में रहने वाले आदिवासी- मूलवासी का सर्वे भी नहीं हो सका.

Jharkhand News: झारखंड सरकार द्वारा कैबिनेट में स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान को आधार मानने के प्रस्ताव पारित करने पर कोल्हान के पूर्व डीआइजी राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई मूलवासियों को फायदा नहीं होगा. झारखंड के लाखों लोग जंगल क्षेत्र में रहते हैं. वर्ष 1947 से पूर्व झारखंड के कई जिलों में राजतंत्र और जमींदारी प्रथा थी. आदिवासी और मूलवासी जंगलों में रहते थे. इस कारण उनका सर्वे भी नहीं हो सका.

1951 में खत्म हुई थी जमींदारी प्रथा

पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व DIG राजीव रंजन ने कहा कि मैं खुद यहां का मूलवासी एवं सदान हूं. हमारे पूर्वज पलामू में वर्ष 1932 से पूर्व से रह रहे हैं. बावजूद सरकार के इस फैसले से सदानों को ज्यादा फायदा होता नजर नहीं आ रहा है. पूर्व में झारखंड के पलामू, रामगढ़, सरायकेला, देवघर, पाकुड़, झरिया में राजा और जमींदार का राज चलता था. वर्ष 1951 में जमींदारी प्रथा को खत्म किया गया.

कोल्हान में 1958 से 64 के बीच हुआ सर्वे

उन्होंने कहा कि रैयती जमीन को छोड़ सरकार द्वारा जमींदारों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया. कोल्हान में 1958 से 1964 में सर्वे हुआ था. जंगल सरकार के अधीन हो गये, लेकिन जंगल में रहने वाले आदिवासियों का सेटलमेंट नहीं हुआ. वर्ष 2006 के बाद उन्हें वन पट्टा सरकार द्वारा दिया जा रहा है. भूमिहीनों को बासगीत निर्गत कर भू-स्वामी बनाया गया.

Also Read: झारखंड के CM हेमंत सोरेन ने की हाई लेवल मीटिंग, सुखाड़ को लेकर पलायन पर ब्रेक लगाने के लिए दिए ये निर्देश

1932 का खतियान मानकर स्थानीयता को लागू करने से नहीं मिलेगा लाभ

पूर्व डीआइजी ने कहा कि 1954 में बिहार भूदान यज्ञ अधिनियम 1951 आया, जिसे झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2002 में अपनाया गया. सरकार द्वारा 1932 का खतियान मानकर स्थानीयता को लागू किया जाता है, तो जंगलों में रहने वाले लाखों आदिवासी परिवार बाहर हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में कार्यकाल के दौरान वे कई जिले में एसपी रहे. वहीं, कोल्हान डीआइजी रहते हुए कई जंगल क्षेत्र का भ्रमण किया. वर्तमान में भी कई लोग जंगल एवं पहाड़ों में रह रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें