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सिलीगुड़ी नगर निगम: पांच दिनों में कहां से लायें छह पार्षद

सिलीगुड़ी:सिलीगुड़ी नगर निगम में एमआइसी तथा वार्ड नंबर पांच की फारवर्ड ब्लॉक पार्षद दुर्गा सिंह के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिलीगुड़ी की राजनीति में भूचाल आ गया है. एक ओर जहां मेयर अशोक भट्टाचार्य तथा वाम मोरचा के तमाम बड़े नेता बोर्ड बचाने की तैयारी में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर […]

सिलीगुड़ी:सिलीगुड़ी नगर निगम में एमआइसी तथा वार्ड नंबर पांच की फारवर्ड ब्लॉक पार्षद दुर्गा सिंह के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिलीगुड़ी की राजनीति में भूचाल आ गया है. एक ओर जहां मेयर अशोक भट्टाचार्य तथा वाम मोरचा के तमाम बड़े नेता बोर्ड बचाने की तैयारी में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस किसी भी कीमत पर बोर्ड पर कब्जा करना चाहती है. कुछ दिनों पहले ही तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने अगस्त महीने के अंदर ही सिलीगुड़ी नगर निगम पर कब्जा करने की घोषणा की थी.

गुरूवार को दुर्गा सिंह जब वाम मोरचा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई, तो लगने लगा कि गौतम देव की बात सच होगी. दुर्गा सिंह के साथ ही और भी कई वाम पार्षदों के तृणमूल कांग्रेस में जाने की बात थी. अंतिम समय पर कई पार्षदों ने अपना इरादा बदल दिया. जाहिर तौर पर तृणमूल कांग्रेस जितने अधिक पार्षदों के पार्टी में आने की उम्मीद कर रहे थे, उतने नहीं आये. फिर भी तृणमूल पार्षदों की संख्या 17 से बढ़कर 18 हो गई है.

47 सदस्यीय सिलीगुड़ी नगर निगम में बोर्ड गठन के लिए 24 सीटों का जादुई आंकड़ा चाहिए. स्वाभाविक तौर पर तृणमूल कांग्रेस को अभी और भी छह पार्षदों के समर्थन की आवश्यकता है. अब सवाल ये है कि अगस्त महीना खत्म होने में मात्र पांच दिन बचे हैं. गौतम देव को अपने दावे के अनुसार इन पांच दिनों में और छह पार्षदों को अपनी पार्टी में लाने की आवश्यकता पड़ेगी. इसी को लेकर गौतम देव सहित तृणमूल के तमाम आला नेता रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि ये छह पार्षद कहां से आयेंगे. अभी जो आंकड़ा है उसके अनुसार दुर्गा सिंह के तृणमूल में जाने के बाद वाम मोरचा सदस्यों की संख्या 22 रह गई है. वाम मोरचा बोर्ड को एक निर्दलीय पार्षद का समर्थन हासिल है. एक तरह से कहें तो वाम मोरचा बोर्ड भी दुर्गा सिंह के जाने के बाद अल्पमत में है. दूसरी तरफ तृणमूल पार्षदों की संख्या 17 से बढ़कर 18 हो गई है. इनके अलावा कांग्रेस के चार तथा भाजपा के दो पार्षद हैं. कांग्रेस तथा भाजपा दोनों ही अपने पार्षदों पर कड़ी निगरानी रख रही है. ऐसे कांग्रेस तथा भाजपा नेताओं को अपने पार्षदों के टूटने की भी चिंता सता रही है. यह अलग बात है कि दोनों ही पार्टियों के नेता अपने पार्षदों के नहीं टूटने का दावा कर रहे हैं. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि यदि उनके दोनों पार्षद तृणमूल में चले जायें, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. फांसीदेवा पंचायत समिति तथा माटीगाड़ा ग्राम पंचायत के भाजपा सदस्य तृणमूल कांग्रेस में पहले ही शामिल हो चुके हैं. इस आशंका को देखते हुए भाजपा के नेता सतर्क हैं. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दार्जिलिंग के सांसद तथा केन्द्रीय मंत्री एसएस अहलुवालिया की भी सिलीगुड़ी की घटना पर नजरें टिकी हुई हैं.

वह जिले के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं. इस मुद्दे पर भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि उनकी पार्टी के दोनों ही पार्षद भाजपा में बने रहेंगे. उनके पार्षदों का तृणमूल में जाने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने विपक्षी पार्षदों के अपने पाले में शामिल करने के तृणमूल के मुहिम की भी निंदा की है. उन्होंने कहा कि भाजपा एक अलग तरह की पार्टी है और उसकी नीति एवं आदर्श सबसे अलग है. भाजपा के दोनों पार्षद इसी नीति और आदर्श के साथ बंधे हुए हैं. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी नगर निगम में वार्ड नंबर एक से मालती राय तथा वार्ड आठ से खुशबू मित्तल भाजपा पार्षद हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के चार पार्षदों की स्थिति को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के अधिकांश पार्षद तृणमूल को समर्थन देना चाहते हैं. इन पार्षदों का तर्क है कि अशोक भट्टाचार्य के मेयर रहते सिलीगुड़ी में विकास का कोई भी काम नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से आम लोगों में भारी रोष है.

वाम मोरचा बोर्ड को समर्थन करने तथा अशोक भट्टाचार्य के साथ बने रहने का मतलब है कि अपने-अपने वार्डों में विकास नहीं कर पाना. इसकी कीमत अगले चुनाव में पार्षदों को चुकानी पड़ सकती है. इसी चिंता के कारण कांग्रेस के कई पार्षद अशोक भट्टाचार्य को मेयर पद से हटाना चाहते हैं. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा विधायक शंकर मालाकार फिलहाल कोलकाता में हैं. वह शीघ्र ही सिलीगुड़ी आने वाले हैं. श्री मालाकार स्वयं तृणमूल के इस पहल की निंदा कर चुके हैं. लेकिन उनके सामने भी अपने चारों पार्षदों को बचाये रखना सबसे बड़ी चुनौती है. इस मुद्दे पर वार्ड नंबर 16 के कांग्रेसी पार्षद सुजय घटक का कहना है कि कांग्रेसी पार्षदों ने अभी कोई भी निर्णय नहीं लिया है. कांग्रेस के हित में जो होगा, वही कांग्रेसी पार्षद करेंगे. उन्होंने वाम मोरचा बोर्ड की भी आलोचना की. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि वाम मोरचा पहले खुद को तो बचा ले, उसके बाद बोर्ड बचाने की सोचे.

कैसे जुटेगा आंकड़ा
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यदि तृणमूल कांग्रेस भाजपा के दो तथा कांग्रेस के चार पार्षदों को अपने पाले में ले आती है, तो बोर्ड बनाने में कोई परेशानी नहीं होगी. तृणमूल पार्षदों की संख्या बढ़कर 24 हो जायेगी. राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है और सिलीगुड़ी नगर निगम पर वाम मोरचा का कब्जा है. राज्य सरकार अपने इस विरोधी बोर्ड को किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं कर रही है. सिलीगुड़ी में विकास का काम ठप्प पड़ा हुआ है. आलम यह है कि पैसे के लिए मेयर अशोक भट्टाचार्य को क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से सहायता मांगनी पड़ रही है. हाल ही में अशोक भट्टाचार्य ने सिलीगुड़ी में एक पुल बनाने के लिए सांसद कोष से धन देने के लिए सचिन तेंदुलकर को चिट्ठी लिखी है.
चुनाव में हार का सता रहा है डर
तृणमूल विरोधी जितने पार्षद हैं उन्हें करीब तीन साल बाद होने वाले नगर निगम चुनाव में हार का डर सता रहा है. इन पार्षदों का मानना है कि राज्य सरकार तथा वाम बोर्ड के बीच खींचतान की कीमत उन्हें भी चुकानी पड़ रही है. अधिकांश कांग्रेसी तथा भाजपा पार्षदों ने कहा कि धन की कमी की वजह से वह अपने वार्ड में कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. स्वाभाविक तौर पर इससे आम लोगों की नाराजगी बढ़ेगी और अगले चुनाव में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.

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